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कचरे का बेहतरीन उपयोग-सोसायटी बनीं हरी-भरी और रंग-बिरंगी

माहिम की मातोश्री पर्ल सोसायटी ने अपनी छत को बाग की तरह सजाया है। इसके लिए सिर्फ उन्होंने गीले कचरे का सदुपयोग किया है।

कचरे का बेहतरीन उपयोग-सोसायटी बनीं हरी-भरी और रंग-बिरंगी
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हरी मिर्च, पालक, लाल टमाटर, ककड़ी, भिंडी, करी पत्ता, मेथी के अलावा अन्य सब्जियां तथा तरह तरह के रंग बिरंगे फूल देखकर आपको लग रहा होगा कि यह कोई बाग है। हां आप चाहें तो इसे बाग कह सकते हैं, पर छत वाली बाग। यह मुंबई की सोसयटी की एक छत का नजारा है।

इस बाग को तैयार करने के लिए कोई खर्चा भी नहीं करना पड़ा है। बस खर्च इतना है कि जो घर से निकलने वाला कचरा हम फेंक देते हैं या बीएमसी को देते हैं और बीएमसी उसका शहर से बाहर ढेर तैयार कर देता है, तो बस इस सोसायटी के रहिवासियों ने ऐसा नहीं किया है। कचरे को इस सोसायटी के रहिवासियों ने एक तरह से खाद बनाकर हीरे में तब्दील कर दिया है। 

मातोश्री पर्ल, यह 22 मंजली इमारत माहिम में स्थित है। इस इमारत में 65 फ्लैट्स हैं। इन फ्लैट्स से हररोज लगभग 30 किलो गीला कचरा जमा किया जाता है। रहिवासियों ने इस कचरे से खाद तैयार करने के लिए 2 मशीनें खरीदी हैं। इन मशीनों से अच्छी गुणवत्ता वाली खाद तैयार की जाती है। 30 किलों कचरे से लगभग 10 किलो हररोज खाद तैयार होती है। पिछले 2 सालों से यह इमारत इस काम में अग्रसर है। जिसके चलते लगभग 6 हजार 300 किलो ग्राम गीला कचरा ढोने से बीएमसी बच गई है। इसके विपरीत इससे रहिवासियों ने अबतक 800 किलो ग्राम से अधिक खाद तैयार की है। इस खाद का उपयोग करते हुए लगभग 4 हजार स्क्वेयर फिट छत पर रहिवासियों ने सुंदर बाग सजाई है। इसकी खास बात यह है कि इसकी पूरी जवाबदारी सोसायटी के बच्चों पर सौंपी गई है। सोसायटी के बच्चे इस जवाबदारी को बाखूबी निभा रहे हैं।

 

हिन्दुस्तान टाइम्स को कमेटी सदस्य सतिश किनी जानकारी देते हुए कहा, हमारी कोई बड़ी सोसायटी नहीं है। जो वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों के अंतर्गत नहीं आती है। फिर भी हमने इस अवसर का लाभ उठाया। हमारे लिए नेचर इतना कुछ करता है हमें भी नेचर के लिए कुछ करना चाहिए, इसी मकसद से इस योजना को शुरु किया गया। पानी और वायु प्रदूषण से मुंबईकर बेहद परेशान हैं। हमारी सोसायटी के बच्चों को इसका सामना ना करना पड़े और सोसायटी में अच्छा वातावरण रहे इस ओर हमारा प्रयास जारी है। यह सोसायटी जिस तरह से गीले कचरे का उपयोग करती है, उसी तरह से सूखे कचरे का भी उपयोग करती है। सोसाटयी में 2 हजार 200 किलो सूखा कचरा एकत्र किया जाता है। इस कचरे को 'आरयुआर' संस्था की मदद से रिसायकलिंग किया जाता है। पिछले साल अगस्त में सोसायटी आरयुआर संस्था के संपर्क में आई। आरयुआर ने सोसायटी में अनेक वर्कशॉप की। जिसके बाद सोसायटी के सूखे कचरे का सही उपयोग होने लगा। 

आरयुआर की मदद से सोसायटी के सूखे कचरे को 7 भागों में वर्गीकृत किया जाता है। इसमें यामध्ये कार्डबोर्ड, पेपर, प्लास्टिक बॉटल्स, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट, मेटल ग्लास और टेट्रापैक कार्टन्स का समावेश है। इस कचरे को रिसायकल कर बेचा जाता है। एकत्र हुए पैसे से सोसायटी में सास्कृतिक कार्यक्रम या अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

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