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महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन पूरे!


महाराष्ट्र सरकार के 100 दिन पूरे!
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28 नवंबर 2019 को दादर के शिवाजी पार्क में शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी की सहायता से पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 6 मार्च 2020 को उद्धव ठाकरे सरकार के कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो गये। 100 दिन पूरे होते ही उद्धव ठाकरे सरकार ने अपना पहला बजट भी पेश कर दिया।  इतना ही नहीं , सरकार के 100 दिन पूरे होने के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे 7 मार्च को अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन भी करेंगे। 


उद्धव ठाकरे के अयोध्या पहुंचने से पहले गुरुवार दोपहर शिवसेना के कार्यकर्ताओं की एक विशेष ट्रेन अयोध्या के लिए लोकमान्य तिलक टर्मिनस (एलटीटी) से वहां के लिए रवाना हुए. शिवसेना के अध्यक्ष ठाकरे शनिवार को अयोध्या का दौरा करेंगे और महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के सौ दिन पूरे होने पर भगवान राम की पूजा करेंगे। लेकिन ये 100 दिनों का सफर भी उद्धव ठाकरे के लिए काफी आसान नहीं रहा। 


बीजेपी से तोड़ना पड़ा गठबंधनसाल 2019 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ चुनाव लड़ा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के आए परिणामों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। बीजेपी को 105 सीटें तो वहीं शिवसेना को 56 सीटें मिली थीं। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की ज़रूरत है। हालांकी चुनाव खत्म होने के बाद बीजेपी और शिवसेना में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद हुआ। शिवसेना ने बीजेपी से मांग की ढाई साल के लिए राज्य का मुख्यमंत्री पद शिवसेना को दिया जाए, बीजेपी ने इस सिरे से खारीज कर दिया।


अजीत पवार और धनंजय मुंडे ने किया देवेंद्र फड़णवीस को समर्थन

बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना , कांग्रेस और एनसीपी में सरकार बनाने की बात चल ही रही थी तभी 23 नवंबर की सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने डडिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। इस उलटफेर में धनंजय मुंडे ने अहम रोल अदा किया था।राजनीतिक जानकारों के मुताबिक धनंजय मुंडे ने शपथ ग्रहण के पहले विधायकों को एकजुट किया और अपने घर पर बुलाया था। यहीं से सभी विधायक राज्यपाल के घर पहुंचे और मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई गई। हालांकी इन सब मामले के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार मीडिया के सामने आए उन्होने कहा की एनसीपी ने बीजेपी को समर्थन नहीं दिया है। 


मीडिया से बात करते हुए शरद पवार ने कहा, ‘एनसीपी का विधायक दल का नेता होने के नाते अजित पवार के पास आंतरिक उद्देश्यों के लिए सभी 54 विधायकों के नाम, हस्ताक्षर और निर्वाचन क्षेत्रों के साथ सूची थी. मुझे लगता है कि उन्होंने यह सूची समर्थन पत्र के रूप में राज्यपाल को सौंपी होगी. अगर यह सच है तो राज्यपाल को भी गुमराह किया गया है”। शरद पवार के काफी दबाव के बाद अजीत पवार ने देवेंद्र फड़णवीस को दूसरी पारी वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया।  

कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर बनाई सरकार


इस बीच शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी का दामन थाम लिया। तीनों ही पार्टियों ने मिलकर राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार बनाई।  इस सरकार में जहां शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद मिला तो वही एनसीपी को वित्तमंत्री और गृहमंत्री का पद मिला,कांग्रेस को राजस्व मंत्रालय जैसा भारी भरकम मंत्रालय मिला। इसके साथ ही कांग्रेस के नाना पटोले को विधानसभा का स्पीकर भी बनाया गया।  

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