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बीजेपी के एक युग का अंत - अटल बिहारी वाजपेयी!

अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक राजनेता ही नहीं हैं, बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका भी निभाई थी

बीजेपी के एक युग का अंत - अटल बिहारी वाजपेयी!
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया है।   यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उन्हे भर्ती कराया गया था।   अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान सभी पार्टियों के नेता करते थे, यहां तक की एक बार एक पत्रकार को सवाल का जवाब देते हुए अटल जी ने कहा था की वो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बदौलत ही जिंदा है। 


भारत छोड़ो आंदोलन'के दौरान जेल में रहे

अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक राजनेता ही नहीं हैं, बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका भी निभाई थी। वे पढ़ाई बीच में ही छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए।  साल 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में उन्हें 23 दिन के लिए जेल भी गए। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को जनसंघ का जनक भी माना जाता है।  

ग्‍वालियर में हुआ जन्म
वाजपेयी 1998 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री थे, हालांकी उनका स्वास्थ्य खराब होने के साथ ही धीरे-धीरे वह सार्वजनिक जीवन से दूर होते चले गए और कई साल से अपने आवास तक सीमित हैं। मध्‍य प्रदेश के ग्‍वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्‍में अटल बिहारी वाजपेयी का एक लंबा समय इस शहर में गुजरा है. पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में बतौर टीचर नौकरी लगने के बाद यहीं शिफ्ट हो गए थे. माता-पिता की सातवीं संतान अटल की तीन बहनें और तीन भाई थे।


उदारवादी नेता की छवि
अटल बिहारी वाजपेयी की छवि हमेशा से ही एक उदारवादी तौर के नेता पर रही है।  और यहीं वजह की अटल बिहाजी वायपेयी की राजनीतिक दुश्मन भी  उन्हे बड़े सम्मान के साथ देखते है, 1998 में पोखरण में हुए परमाणू परीक्षण के जिक्र के बिना शायद अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल के बारे में बात करना बेईमानी होगी।  1998 में पोखरण में हुए परमाणू परिक्षण के समय जिस तरहसे वाजपेयी जी ने फैसले लिये उन्ही की बदौलत देश आज परमाणू संपन्न देश बन गया है।  
 
संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिंदी में भाषण देनेवाले पहले प्रधानमंत्री
1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर लोगों का दिल जीत लिया था। अटल बिहारी देश के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होने इतने बड़े मंच पर हिंदी में भाषण दिया था।  दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी को हिंदी पढ़ने लिखने का शौक था , खाली समय में वाजपेयी जी कविताएं भी लिखा करते थे।  अपनी बातों को कविताओं के जरिए कहने में वाजपेयी जी को महारत हासिल थी।  
 
नरेंद्र मोदी को दी थी राजधर्म निभाने की सलाह
अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2002 में हुए गुजरात दंगो के बाद तत्तकालिन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को को राजधर्म निभाने की भी सलाह दी थी।

12 बार सांसद बने 
अटल बिहारी वाजपेयी 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने. 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले अटल बिहारी बाजपेयी इस चुनाव में हार गए थे। लेकिन  साल 1957 में वह सासंद बने ।अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे और इसी दौरान 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे।

2 सांसदो की पार्टी को 182 सांसदो की पार्टी बनाया 
अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी को ना ही सिर्फ मजबूत बनाया , बल्की पार्टी को 2 सांसदो से लेकर 182 सांसदो की पार्टी तक बना डाला।  1980 में बीजेपी के गठन के बाद पार्टी ने पहला आम चुनाव 1984 में लड़ा. तब बीजेपी को केवल दो सीटों पर ही कामयाबी मिली थी। बीजेपी ने फिर 1999 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाकर लोकसभा चुनाव लड़ा. इस गठबंधन में 20 से अधिक दल शामिल हुए. इस गठबंधन को 294 सीटों पर जीत मिली. इसमें बीजेपी को 182 सीटें हासिल हुई थीं।

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