महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को फोन पर एक दूसरे से बात की। बताया जाता है कि इन दोनों के बीच फोन पर उस मुद्दे को लेकर बातचीत हुई थी जिसमें एक दिन पहले ही पत्रकारों से बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि, हम महाराष्ट्र सरकार में भले ही सहयोगी पार्टी में हैं लेकिन हम डिसीजन मेकर नहीं हैं। इस बयान के बाद शिवसेना नाराज बताई जा रही थी।
पिछले दो तीन दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में कई छोटे और बड़े घटनाक्रम सामने आए जिसे लेकर अलग-अलग तर्क और बातें कहीं जा रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण का बीच कथित रुुप सेे फोन पर हुई बातचीत के एक ऑडियो क्लिप वायरल होने से मामला और गरमा गया। इस बातचीत में चव्हाण एक व्यक्ति से कहतेे हुए सुने जा रहे हैं कि राज्य में हम भले ही सरकार में हैं लेकिन यह हमारी नहीं शिव सेना की सरकार है।
इसके बाद, ऐसी भी खबर आई कि भाजपा सत्ता पक्ष के असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं के सहारे महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।इसके बाद शिवसेना नेता सांसद संजय राउत और फिर एनसीइपी अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की।
इस बैठक के बाद, शरद पवार सीधे मुख्यमंत्री से मिलने के लिए मातोश्री चले गए। इसी दौरान भाजपा सांसद नारायण राणे ने भी राज्यपाल से मुलाकात की और महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
इस सब के बीच, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अप्रत्यक्ष रूप से यह कहते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त कर दी कि भले ही महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी सत्ता में है, लेकिन वह डिसीजन मेकर नहीं है।
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम होने लगी कि महाविकास आघाड़ी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यानी सहयोगी पार्टियों में फुटमत की खबरें आने लगीं।
इन सभी घटनाक्रम को देखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार 27 मई को वर्षा बंगले में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई थी। बताया जाता है कि इस बैठक के दौरान उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी ने फोन पर बातचीत की।