महाराष्ट्र कांग्रेस (maharashtra congress) ने केंद्र से मांग की है कि कोरोना महामारी (Coronavirus pandemic) के चलते 'न्याय' स्किम (nyay scheme) के तहत हर गरीब के खाते में 10 हजार रुपये ट्रांसफर किए जाएं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण (prithviraj chavhan) ने कहा कि, सरकार को कोरोना वायरस (Covid-19) के प्रकोप से होने वाली विकट आर्थिक स्थिति से गरीबों को बाहर निकालने के लिए उनके खाते में सहायता स्वरूप सीधे नकद राशि प्रदान करनी चाहिए।
चव्हाण ने आगे कहा, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को ऋण देने के बजाय, केंद्र सरकार को अपने कर्मचारियों को सीधे भुगतान करने के लिए नकद पैकेज प्रदान करना चाहिए। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम देश के सकल घरेलू उत्पाद का 30% हिस्सा हैं, इसलिए सरकार को उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए।
पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में हमारा देश कोरोना महामारी जैसी गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है। इस संकट में, गरीब, मजदूर, श्रमिक और किसान सबसे कमजोर कड़ी हैं। केंद्र की भाजपा सरकार को इस संकट में इन लोगों की मदद करने की जरूरत है। इन लोगों के पास वर्तमान में न तो कोई रोजगार है, न ही आय का कोई साधन, किसान तबाह है। इसलिए हम सभी को इनका समर्थन करने की जरूरत है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा, सबसे पहले प्रत्येक गरीब परिवार के खाते में 10,000 रुपये जमा किए जाने चाहिए। साथ ही, जैसा कि कांग्रेस पार्टी ने सुझाव दिया है, 'NYAY' योजना के अनुसार, उन्हें अगले 6 महीनों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह अपने बैंक खाते में जमा करना चाहिए। इसके साथ ही केंद्र ने छोटे और मझोले उद्यमों को भी कर्ज देने की सलाह दी है। साथ ही उन्हें प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता देने को भी कहा ताकि पैसा मध्यम वर्ग में वितरित हो।
कोरोना विषाणूच्या प्रादुर्भावामुळे निर्माण झालेल्या गंभीर आर्थिक परिस्थितीतून बाहेर पडण्यासाठी सरकारने गरिबांना थेट रोख रक्कम देऊन मदत केली पाहिजे. #SPEAK_UP_INDIA #NYAY pic.twitter.com/OZAIZaf5gR
— Prithviraj Chavan (@prithvrj) May 28, 2020
प्रमुख मांगे
रोजगार दिए जाएं
चव्हाण ने आगे कहा कि दूसरे राज्यों से अपने गृहनगर जाने वाले प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुँचने का सारा खर्च केंद्र सरकार वहन करे। साथ ही प्रवासी मजदूरों को उनके ही राज्यों में रोजगार उपलब्ध कराया जाए।
कांग्रेस नेता ने यह भी सुझाव दिया कि, मनरेगा के तहत काम करने की अवधि 200 दिनों से आगे बढ़ाई जाए।
गरीब, मजदूर और किसान वर्ग राष्ट्र के पहले कर्तव्य हैं, किसी भी देश के विकास में इनका प्रमुख योगदान होता है। अब संकट के समय में हमारा कर्तव्य है कि हम इन्हें सपोर्ट करें।