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उत्तर मुंबई लोकसभा सीट: उर्मिला मातोंडकर का ग्लैमर भारी पड़ेगा गोपला शेट्टी पर?

इस सीट से गोपाल शेट्टी की दावेदारी को इतना मजबूत माना जा रहा था की कांग्रेस को इस सीट पर लड़ने के लिए कोी उम्मीदवार जल्दी मिलता नहीं दिख रहा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में मौजूदा बीजेपी सांसद गोपाल शेट्टी ने कांग्रेस के संजय निरुपम को लगभग साढ़े चार लाख से भी ज्यादा मतों से हराया था, जो कि एक रिकॉर्ड है।

उत्तर मुंबई लोकसभा सीट: उर्मिला मातोंडकर का ग्लैमर भारी पड़ेगा गोपला शेट्टी पर?
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मुंबई में लोकसभा चुनाव के लिए लगभग सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में मुंबई में जो सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है वह है उत्तर मुंबई की सीट। इस सीट से जहां बीजेपी ने एक बार फिर से मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी को टिकट दिया है तो वही कांग्रेस ने उनके सामने  बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को उतारा है।  

दरअसल इस सीट से गोपाल शेट्टी की दावेदारी को इतना मजबूत माना जा रहा था कि कांग्रेस को इस सीट पर लड़ने के लिए कोई उम्मीदवार जल्दी मिलता नहीं दिख रहा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में मौजूदा बीजेपी सांसद गोपाल शेट्टी ने कांग्रेस के संजय निरुपम को लगभग साढ़े चार लाख से भी ज्यादा मतों से हराया था, जो की एक रिकॉर्ड है।


बीजेपी की परंपरागत सीट
इस सीट को बीजेपी की परंपरागत सीट भी माना जाता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक इस सीट से 5 बार चुनाव जीते है। हालांकि साल 2004 के लोकसभा चुनाव में अभिनेता गोविंदा ने कांग्रेस के टिकट पर लड़कर राम नाईक को हराया था और 2009 में कांग्रेस के ही संजय निरुपम ने भी अपनी जीत दर्ज की थी।पिछले 8 बार के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 6 बार बीजेपी को जीत मिली है।

पार्टी में कद्दावर नेता की छवि
सांसद गोपाल शेट्टी बीजेपी के कद्दावर नेताओं में जाने जाते है। नगरसेवक और विधायक रहने के साथ वह मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके है। गोपाल शेट्टी ने जनप्रतिनिधी जीवन में 27 साल से भी ज्यादा का समय बिताया है। तीन बार नगरसेवक, दो बार विधायक और अब वह सासंद है।  इसके साथ ही वह मुंबई के उपमहापौर भी रह चुके है।  गोपाल शेट्टी ने शुरु से ही बीजेपी का दामन थान रखा है, उन्होने अन्य नेताओं की तरह कभी भी कोई दलबदल नहीं किया।  गोपाल शेट्टी मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।  

6 चुनावों का तजुर्बा
गोपाल शेट्टी ने एक आम कार्यकर्तो के रुप में पार्टी में अपनी शुरुआत की थी , जिसके बाद उन्होने 1992 में, 1997 मे, 2002में बीएमसी में नगरसेवक का चुनाव लड़ा और तीनों बार वह जीतकर भी आये। साल 2004 और 2009 में उन्होने महाराष्ट्र विधानसभा की भी चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की। इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होने अपनी जीत दर्ज की। बीजेपी और गोपाल शेट्टी की पकड़ बोरिवली और आसपास के इलाको में काफई तगड़ी मानी जाती है।

भू-खंड से जुड़े कई मामलो में आया नाम 
सासंद गोपाल शेट्टी को इलाके मे गार्डन सम्राट के नाम से भी जाना जाता है, अपने सांसद फंड का उन्होने एक बहूत बड़ा हिस्सा अपने संसदीय क्षेत्र में गार्डन के कामों के लिए किया है , हालांकी उनपर हमेशा ये आरोप लगते रहे है की बीएमसी और सरकारी खाली भूखंड को गोपाल शेट्टी गार्डन बनाने के नाम सरकार से लेते है और फिर उन्हे अपनी ही किसी संस्थान को चलाने के लिए दे देते है। बोरिवली का वीर सावरकर उद्यान, कांदिवली का पोयसर जिमखाना और कांदिवली का ही कमला विहार स्पोर्टस कॉम्पेलेक्स , कुछ ऐसे नाम है जिन्हे लेकर गोपाल शेट्टी पर हमेशा से ये आरोप लगते आ रहे है।

पांच सालों में संपत्ति में 65% की वृद्धि
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मुंबई उत्तर के सांसद गोपाल शेट्टी की कुल संपत्ति में 6 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में गोपाल शेट्टी ने अपनी कुल संप्पति 9.56 करोड़ रुपये दिखाई थी , हालांकी इस बार के लोकसभा में दाखिल किये गए नामांकन के अनुसार उनकी संपत्ति में 65% की वृद्धि हुई है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के उन्हे अपनी कुल संपत्ति 15.78 करोड़ रुपये दिखाई है।

क्रिश्चन समुदाय को लेकर दिया था विवादित बयान 
सांसद गोपाल शेट्टी भूखंड के साथ साथ क्रिश्चन समुदाय को लेकर दिये अपने बयान पर भी विवादों में रहे है। गोपाल शेट्टी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि, 

ईसाइयों ने स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं दिया।उन्होंने उन्हें 'एंग्रीज़' (विदेशी) भी कहा था। भाजपा सांसद ने यह भी दावा किया कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाने वाले केवल हिंदू और मुसलमान थे। उनका कहना था की "ईसाई ब्रिटिश थे, इसलिए उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया था"। 

हालांकी जब इस बयान पर विवाद बढ़ा तो गोपाल शेट्टी ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की जिसके बाद में पार्टी ने नकार दिया।

मुंबई लाइव का विचार
उर्मिला मातोंडकर भले ही राजनीती में नयी हो लेकिन उनके धुआंधार चुनाव प्रचार और लोगों से जुड़ने की कला को देखते हुए उन्हें इस क्षेत्र की कच्ची खिलाड़ी नहीं कहा जा सकता। हालांकि एक नेता के रूप में वे शेट्टी के सामने कहीं नहीं टिकती लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसे कई नतीजे सामने आये हैं जब ग्लैमर के सामने बड़े से बड़े नेता को जनता ने नकार दिया है। इसीलिए इस सीट से फ़ेरबदल होने की संभावना को ख़ारिज नहीं किया जा सकता।    

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