मिलिंद
देवड़ा दिवंगत कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा के बेटे हैं। दक्षिण मुंबई
देवड़ा का ही क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। साल 2009 में वे दक्षिण मुंबई
से ही चुन कर लोकसभा गये, उस समय उन्होंने शिवसेना के मोहन रावले को हराया
था। लेकिन साल 2014 में मोदी की लहर के कारण शिवसेना के अरविंद सावंत से
देवड़ा हार गये।
मिलिंद देवड़ा की अब तक की यात्रा कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद
देवड़ा ने अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। पिता की हार के बाद 2004
में, मिलिंद देवड़ा पहली बार इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर खड़े हुए थे।
उस समय बीजेपी की जयवंतीबेन मेहता देवड़ा के सामने एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन
इस चुनाव में देवड़ा ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए जयवंतीबेन को मात्र दस
हजार मतों के अंतर से ही हराया। उसके बाद पार्टी ने उन्हें केंद्रीय नागरिक
उड्डयन विकास मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी।
राहुल गांधी
के विश्वसनीय
बाद में कांग्रेस ने 2009 के चुनावों में फिर से देवड़ा को उम्मीदवारी
दी। उस समय, देवड़ा ने अपने विरोधी को 1 लाख 12 हजार 682 मतों से हराया।
संसद में देवड़ा की सांसद में उपस्थिति 88% थी। जबकि उन्होंने 274 चर्चा
सत्र में भाग लिया और सवाल पूछा था। उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी
के विश्वसनीय सदस्यों में भी जाना जाता है। अभी हाल ही में पार्टी ने उन पर
विश्वास जताते हुए मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है।
हालांकि कहा जाता है कि 2014 में देवड़ा के हार का कारण सिर्फ मोदी लहर
ही नहीं थी बल्कि मिलिंद का जमीनी नेताओं से संपर्क नहीं था साथ ही स्थानीय
कार्यकर्ता भी देवड़ा से परेशान थे। इनके बीच आपस में सामंजस्य की कमी भी
थी, इसी कारण प्रचार भी ठीक से नहीं हो पाया और इन्हें हार का सामना करना
पड़ा। इस चुनाव में वसेना के अरविंद सावंत ने देवड़ा को 1,28,000 वोटों से
हराया था।
विवाद- मुंबई कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक कलह के कारण मिलिंद देवड़ा
ने इस बात लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में
उन्हें मुंबई अध्यक्ष बनाया गया और पार्टी के आला नेताओं के समझाने पर वे
चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए।
मिलिंद देवड़ा दिवंगत कांग्रेस नेता मुरली देवड़ा के बेटे हैं। दक्षिण मुंबई देवड़ा का ही क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। साल 2009 में वे दक्षिण मुंबई से ही चुन कर लोकसभा गये, उस समय उन्होंने शिवसेना के मोहन रावले को हराया था। लेकिन साल 2014 में मोदी की लहर के कारण शिवसेना के अरविंद सावंत से देवड़ा हार गये।
मिलिंद देवड़ा की अब तक की यात्रा
कांग्रेस के पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा ने अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। पिता की हार के बाद 2004 में, मिलिंद देवड़ा पहली बार इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर खड़े हुए थे। उस समय बीजेपी की जयवंतीबेन मेहता देवड़ा के सामने एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन इस चुनाव में देवड़ा ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए जयवंतीबेन को मात्र दस हजार मतों के अंतर से ही हराया। उसके बाद पार्टी ने उन्हें केंद्रीय नागरिक उड्डयन विकास मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी।
राहुल गांधी के विश्वसनीय
बाद में कांग्रेस ने 2009 के चुनावों में फिर से देवड़ा को उम्मीदवारी दी। उस समय, देवड़ा ने अपने विरोधी को 1 लाख 12 हजार 682 मतों से हराया। संसद में देवड़ा की सांसद में उपस्थिति 88% थी। जबकि उन्होंने 274 चर्चा सत्र में भाग लिया और सवाल पूछा था। उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विश्वसनीय सदस्यों में भी जाना जाता है। अभी हाल ही में पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है।
हालांकि कहा जाता है कि 2014 में देवड़ा के हार का कारण सिर्फ मोदी लहर ही नहीं थी बल्कि मिलिंद का जमीनी नेताओं से संपर्क नहीं था साथ ही स्थानीय कार्यकर्ता भी देवड़ा से परेशान थे। इनके बीच आपस में सामंजस्य की कमी भी थी, इसी कारण प्रचार भी ठीक से नहीं हो पाया और इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में वसेना के अरविंद सावंत ने देवड़ा को 1,28,000 वोटों से हराया था।
विवाद- मुंबई कांग्रेस में गुटबाजी और आंतरिक कलह के कारण मिलिंद देवड़ा ने इस बात लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया था। लेकिन बाद में उन्हें मुंबई अध्यक्ष बनाया गया और पार्टी के आला नेताओं के समझाने पर वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए।