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उत्तर पश्चिम सीट पर क्या उत्तर भारतीय वोट को अपनी ओर खींच पाएंगे संजय निरुपम?


उत्तर पश्चिम सीट पर क्या उत्तर भारतीय वोट को अपनी ओर खींच पाएंगे संजय निरुपम?
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कांग्रेस नेता संजय निरुपम इस साल हो रहे लोकसभा चुनाव में मुंबई की उत्तर पश्चिम सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे है। निरुपम इसके पहले साल 2009 से लेकर साल 2014 के बीच लोकसभा सांसद भी रह चुके है। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होने उत्तर मुंबई सीट से राम नाइक को हराया था, हालांकी साल 2004 में उत्तर मुंबई सीट से गोविंदा ने राम नाइक को हराया था और उसी विरासत को निरुपम ने आगे बढ़ाया। संजय निरुपम सासंद रहने के साथ मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे है।  हालांकी कुछ ही समय पहले उन्हे मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह मिलिंद देवरा को  उनकी जगह मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 

 

शिवसेना से की थी राजनीति करियर की शुरुआत
1988 में निरुपम ने जनसत्ता अखबार से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की। हालांकी 5 साल काम करने के बाद निरुपम ने शिवसेना के मुखपत्र 'दोपहर का सामना' में काम करना शुरु किया। सामना में काम करने के साथ ही उन्होने अपने कदम राजनीति में रखने शुरु किये। तीन साल बाद, सितंबर 1996 में, उन्होंने एक सांसद के रूप में अपना करियर शुरू किया और शिवसेना की ओर से राज्यसभा सांसद बनाए गए। तब से वह राजनीति में सक्रिय रुप से कार्यरत रहने लगे। साल 2000 में वह एक बार फिर से राज्यसभा के लिए चुने गए।

शिवसेना छोड़कर कांग्रेस का थामा दामन 
शिवसेना से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने के बाद निरुपम ने बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया था। 2005 में न‍िरुपम ने श‍िवसेना छोड़कर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी। 2005 में कांग्रेस में आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोन‍िया गांधी ने उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासच‍िव बनाया। उसके बाद वे गोवा, गुजरात और नगालैंड के व‍िधानसभा चुनावों में चुनाव पर्यवेक्षक बने।2009 में कांग्रेस के ट‍िकट पर संजय न‍िरुपम मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से सांसद बनकर संसद में पहुंचे।

लोकसभा चुनाव हारने के बाद मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष पद

उत्तर मुंबई से साल 2009 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद , साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी उम्मीदवार गोपाल शेटट्टी के सामने हार गए थे। हालांकी हारने के बाद भी कांग्रेस ने उन्हे एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौपी। पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्हे मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। हालांकी उनके मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से मुंबई में कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ती चली गई। निरुपम की अध्यक्षता में कांग्रेस ने मुंबई में हुए बीएमसी चुनाव मे काफी खराब प्रदर्शन किया तो वही मुंबई कांग्रेस में गुटबाजी भी खुलकर दिखने लगी।

कई बार दिये विवादित बयान
संजय निरुपम कई बार अपने विवादित बयान के लिए भी सुर्खियों में रहे है। सर्जिकल स्ट्राइक पर सवालिया निशान खड़ा कर निरुपम ने पार्टी के अच्छी खासी मुसीबत खड़ी कर दी थी तो वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी वह अनपढ़ कह चुके है।  निरुपम में साल 2012 में गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान  स्मृति इरानी के लिए भी अच्छे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था।  उन्होंने स्मृति से कहा था, 'आपको राजनीति में आए हुए अभी चार दिन हुए हैं और आप राजनीतिक विश्लेषक बन गई हैं। कुछ समय पहले तक आप टीवी स्क्रीन पर नाच रही थीं और अब आप चुनावी विश्लेषक हो गई हैं।' उनकी इस टिप्पणी की सभी राजनीतिक दलों ने जमकर आलोचना की।

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