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महाराष्ट्र की सरकार में एक बार फिर से मतभेद की खबरें, राउत ने किया खंडन

सांसद संजय राउत से पूछा तो उन्होंने कहा कि, 'जहां चार बर्तन होंगे वहां आवाज जरुर होगी। लेकिन हमारे बर्तन कांच के नहीं है जो जरा सी आवाज पर चटख जाए या टूट जाए।' साथ ही राउत ने किसी मतभेद होने की खबर का खंडन किया।

महाराष्ट्र की सरकार में एक बार फिर से मतभेद की खबरें, राउत ने किया खंडन
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महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (mahavikas aghadi) सरकार में एक बार फिर से मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। मिली जानकारी के अनुसार एनसीपी (NCP) के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल (jayant patil) ने कैबिनेट की एक बैठक में किसी बात पर नाराज हो गए। जिसके बाद जब इस बात को लेकर मीडिया ने शिवसेना (shiv sena) सांसद संजय राउत (sanjay raut) से पूछा तो उन्होंने कहा कि, 'जहां चार बर्तन होंगे वहां आवाज जरुर होगी। लेकिन हमारे बर्तन कांच के नहीं है जो जरा सी आवाज पर चटख जाए या टूट जाए।' साथ ही राउत ने किसी मतभेद होने की खबर का खंडन किया।

सूत्रों के मुताबिक, दरअसल जिस बात को लेकर मतभेद सामने आया, वह यह कि, जल संसाधन विभाग की फाइल वित्त विभाग को भेजने पर जयंत पाटिल और मुख्य सचिव सीताराम कुंटे के बीच कुछ कहासुनी हो गई।

इस बात से नाराज जयंत पाटिल ने कहा कि, अगर इसी तरह से काम करना है तो जल संसाधन विभाग बंद कर दो। 

साथ ही जयंत पाटिल ने जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव विजय गौतम को बहाल करने के सीताराम कुंटे के फैसले पर भी नाराजगी जताई।

इसके बाद से ही महाविकास आघाड़ी में फूट की खबरें आने लगी।

इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए संजय राउत ने कहा कि जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल प्रदेश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हैं। वे राज्य के एक वरिष्ठ नेता, महाविकसगादी के एक महत्वपूर्ण मंत्री, एक अनुभवी नेता हैं। इस बात का खुलासा उन्होंने खुद कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी किया। कैबिनेट में क्या हुआ, यह नहीं बता सकता।  बाहर चाहे कितनी भी अफवाहें फैलाई जाएं, महाविकास आघाड़ी सरकार स्थिर है।इसलिए राजनीतिक जीवन में काम करते समय किसी को नाराज नहीं होना चाहिए। यही विषय है। साथ ही, किसी दूसरे विषय से नाराज नहीं होना चाहिए। इसलिए किसी से नाराज होने का सवाल ही नहीं है।

हालांकि इस मुद्दे पर एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए जयंत पाटिल ने इस मुद्दे को टालते हुए कहा कि यह कैबिनेट के बाहर बात बाहर कहने की प्रथा नहीं है।

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