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Maharashtra Assembly Election 2019: तो क्या NCP और MNS एक दुसरे को कर रहे हैं सपोर्ट?


Maharashtra Assembly Election 2019: तो क्या NCP और MNS एक दुसरे को कर रहे हैं सपोर्ट?
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महाराष्ट विधानसभा चुनाव में जहां एक तरफ शिवसेना-बीजेपी और उसकी अन्य सहयोगी पार्टियों का गठबंधन हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस-एनसीपी सहित अन्य पार्टियां भी युति करके मैदान में कूद पड़ी हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस-एनसीपी के इस गठबंधन में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानि मनसे भी शामिल होना चाहती थी लेकिन किन्हीं कारणवश ऐसा नहीं हो सका। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी आघाड़ी में मनसे साथ नहीं होकर भी आघाड़ी के साथ है, क्योंकि कुछ सीटों पर जो स्थिति बनी हुई है उससे तो यही लग रहा है।

ठाणे में एनसीपी ने वापस ली उम्मीदवारी
मुंबई से सटे ठाणे शहर सीट पट एनसीपी के उम्मीदवार सुहास देसाई ने अंतिम समय पर अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली, देसाई ने अंतिम समय में अपनी उम्मीदवारी वापस क्यों ली, इस बारे में पार्टी ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है लेकिन इस बात की चर्चा जोरों पर है कि देसाई को यह आदेश आलाकमान से मिला है। अब एनसीपी इस सीट से मनसे के उम्मीदवार अविनाश जाधव को सपोर्ट करेगी।

एनसीपी के इस कदम से कांग्रेस भी अनभिज्ञता जता रही है। कांग्रेस का कहना है कि यह सीट पहले हम अपने लिए मांग रहे थे, लेकिन इस सीट के लिए  एनसीपी ने ख़ास तौर पर अपनी मांग रखी। और अब एनसीपी ने यहाँ से अपना उम्मीदवार हटा दिया है इसकी आशा हमें भी नहीं थी। उन्हें ऐसा करने से पहले हमें विश्वास में लेना चाहिए था।

एनसीपी के इस कदम से अब मनसे के अविनाश जाधव की सीधी लड़ाई बीजेपी के संजय केलकर से होगी। हालांकि कांग्रेस का क्या रुख रहता है यह अभी स्पष्ट नहीं है।

नासिक सीट पर भी हुआ 'खेल'
हालांकि एनसीपी ने मनसे के लिए ऐसे ही नहीं बलिदान दिया है। नासिक सीट से मनसे के उम्मीदवार अशोक मुर्तंड ने भी अंतिम समय में अपना नामांकन वापस ले लिया। अब वहां भी चर्चा है किमनसे आघाड़ी के उम्मीदवार को अपना समर्थन दे सकती है।

पुणे में भी वही हाल
कुछ ऐसा ही हाल पुणे की कोथरुड सीट से भी है. वहां भी बीजेपी उम्मीदवार चंद्रकांत पाटिल के खिलाफ मनसे के नितिन भोसले की सीधी लड़ाई है, नितिन को आघाड़ी समर्थन दे रही है।

बीजेपी-शिवसेना की काट ढूंढने के लिए  आघाड़ी और मनसे की यह छुपी हुई राजनीतिक दोस्ती इस समय राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका असर आने वाले चुनाव के कैसा होगा यह देखने वाली बात होगी।

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