महाराष्ट्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (maharashtra bjp president chandrakant patil) ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (amit shah) को पत्र लिखकर राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (ajit pawar) और परिवहन मंत्री अनिल परब (anil parab) की सीबीआई (cbi) जांच की मांग की है। पाटिल के इस पत्र से क्या अजित पवार और अनिल परब की मुश्किलें बढ़ सकती है, यह तो आने वाले समय में पता चलेगा।
निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वजे (sachin Waze) ने सीबीआई को लिखे पत्र में परिवहन मंत्री अनिल परब और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया था। भाजपा (bjp) ने इसी आरोपों को आधार बनाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। हाल ही में भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था।
बता दें कि साल 2004 में ही सचिन वजे को सस्पेंड कर दिया गया था। लेकिन, 2020 में, वर्तमान महाविकास अघाड़ी (mva) सरकार ने उसे पुलिस बल में फिर से बहाल कर दिया। वजे ने खुलासा किया है कि परिवहन मंत्री अनिल परब ने उन्हें मुंबई नगर निगम (BMC) के ठेकेदारों से 2 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था।
सचिन वाझेच्या धक्कादायक खुलास्यांमधून @AjitPawarSpeaks आणि @advanilparab यांचे नाव समोर आले.ठाकरे सरकारला भ्रष्टाचाराचा गंज चढला हे आता स्पष्ट आहे. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष @ChDadaPatil यांनी केंद्रीय गृहमंत्री @AmitShah यांच्याकडे संबंधित प्रकरणावर सीबीआय चौकशी करण्याची मागणी केली. pic.twitter.com/OVIuS7VoOb
— भाजपा महाराष्ट्र (@BJP4Maharashtra) June 30, 2021
चंद्रकांत पाटिल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेजे हुए पत्र में लिखा है कि, सचिन वजे ने यह भी कबूल किया है कि, अजीत पवार ने उसे दर्शन घोड़ावत के माध्यम से अवैध गुटखा विक्रेताओं और निर्माताओं से 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था। इसलिए इन दोनों की सीबीआई से जांच होनी चाहिए।
इस बीच शिवसेना (shiv sena) सांसद संजय राउत (sanjay raut) ने कहा कि, अगर अनिल परब या अजीत पवार के खिलाफ कोई आरोप हैं, तो महाराष्ट्र जांच एजेंसी उन आरोपों की जांच करने में सक्षम है, अदालतें हैं। ईडी या सीबीआई से हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। वे राष्ट्रीय संस्थान हैं। अगर कोई ऐसी घटना है जो देश के लिए हानिकारक है, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग है, तो निश्चित रूप से सीबीआई और ईडी को जांच करनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, हालांकि, अभी जिस तरह के मामले इन जांच एजेंसियों को सौंपे जा रहे हैं, उससे लगता है कि यह एक राजनीतिक चाल है। परंतु इन सब में बेवजह ईडी और सीबीआई की बदनाम होती है। उन्होंनें सवाल किया कि क्या सीबीआई और ईडी पार्टी के सदस्य हैं?