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उद्धव ठाकरे के बाद अब कोर्ट ने भी भीमा-कोरगांव हिंसा की जांच NIA को किया स्थानांतरित

शुक्रवार को न्यायाधीश नवांदर राज्य सरकार की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें जांच को एनआईए को हस्तान्तरित करने पर आपत्ति जताई गई है।

उद्धव ठाकरे के बाद अब कोर्ट ने भी भीमा-कोरगांव हिंसा की जांच NIA को किया स्थानांतरित
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के द्वारा भीमा-कोरगांव हिंसा मामले की जांच एनआईए से कराने के फैसले के एक दिन बाद ही पुणे के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर नवांदर ने इसकी जांच मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट में हस्तांतरित करने का आदेश दिया। शुक्रवार को न्यायाधीश नवांदर राज्य सरकार की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें जांच को एनआईए को हस्तान्तरित करने पर आपत्ति जताई गई है। सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी आरोपियों को 28 फरवरी को एनआईए कोर्ट में पेश करने को कहा। अभी एक दिन पहले ही इस बात की पुष्टि खुद राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने इसकी जानकारी पत्रकारों को दी।

क्या कहा देशमुख ने?

अनिल देशमुख ने पत्रकरों से बात करते हुए बताया कि, 'इस मुद्दे को लेकर मैंने सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकत की। उन्होंने कहा, एनआईए जांच के मुद्दे पर सीएम ने मेरे फैसले को बदलते हुए इसकी जांच एनआईए को सौंपने को कहा है। उनके पास मेरे फैसले को पलटने का आधिकार है।'

देशमुख ने आगे कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की राज्य की पुलिस कर रही थी, परंतु अचानक ही केंद्र सरकार ने एनआईए से जांच कराने का निर्णय लिया। इस पर मैंने बतौर गृहमंत्री आपत्ति जताई थी। लेकिन मेरा मानना है कि कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले की जांच एनआईए को सौंपने पहले राज्य सरकार को विश्वास में लेना चाहिए था, और इस बात की जानकारी भी केंद्र सरकार ने नहीं दी।  

पढ़ें: भीमा कोरेगांव की हो SIT जांच – शरद पवार

पवार हुए नाराज?

लेकिन अब खबर आ रही है कि देशमुख के फैसले को बदलने के कारण एनसीपी चीफ शरद पवार उद्धव के से नाराज हो गये हैं। कोल्हापुर में पत्रकरों से बात करते हुए पवार ने कहा कि,  कानून व्यवस्था का मामला राज्य का है और राज्य सरकार को ऐसे केंद्र के निर्णय का समर्थन नहीं करना चाहिए। पवार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जांच को राज्य से वापस अपने हाथ में लेने का आरोप लगाया।

शरद पवार ने कहा,  भीमा कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र सरकार कुछ एक्शन लेने वाली थी, इसलिए केंद्र ने एल्गार परिषद के मामले को अपने हाथ में ले लिया। एनसीपी प्रमुख ने कहा कि कानून व्यवस्था पूरी तरह से राज्य के हाथ में होनी चाहिए, लेकिन हैरानी वाली बात है कि राज्य सरकार ने केंद्र के इस फैसले का पुरजोर विरोध नहीं किया। बता दें कि महाराष्ट्र में एनसीपी सरकार का हिस्सा है और शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी मिलकर सरकार चला रहे हैं।

आपको बता दें कि 1 जनवरी, 2018 के दिन पुणे के भीमा-कोरेगांव में स्थित 200 वीं वर्षगांठ विजय स्तंभ दिवस मनाने के लिए सैकड़ों दलित जुटे हुए थे, लेकिन अचानक यहां हिंसा भड़क गई और इस घटना में एक व्यक्ति की जान चली गई थी जबकि कई अन्य घायल हो गए थे।

पढ़ें: कोरेगांव भीमा हिंसा की जांच NIA को देना एक साजिश- कांग्रेस

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