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भंडारा अस्पताल हादसा: यहां है वरिष्ठ नेताओं का ढेर फिर भी है समस्याओं का अंबार

कई हैविवेट नेताओं के होते हुए भी भंडारा के जिला सामान्य अस्पताल में 10 मासूम बच्चों की मौत होने की ह्दय विदारक घटना होना बेहद अफसोस का विषय है।

भंडारा अस्पताल हादसा: यहां है वरिष्ठ नेताओं का ढेर फिर भी है समस्याओं का अंबार
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महाराष्ट्र (maharashtra) के सबसे बड़े धान उत्पादक क्षेत्र कहे जाने वाले भंडारा में 9 जनवरी को जिन 10 मासूम बच्चों की जिला सामान्य अस्पताल में शार्ट सर्किट से मौत हुई, उसने यह सवाल खड़े किए हैं कि सिस्टम की खराबी से इस तरह की घटनाएं आखिर कब तक होती रहेंगी। भंडारा भले ही बहुत बड़े जिले में शुमार न होता हो, लेकिन इस जिले की महत्ता वर्तमान में इसलिए हैं क्योंकि इस जिले से महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले (nana patole) का संबंध है। नाना पटोले भंडारा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लाखनी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं। नाना पटोले के अलावा भंडारा जिले के आसपास राज्य के कई ऐसे वरिष्ठ नेताओं का गढ़ है, जिनकी राजनीतिक हैसियत बहुत बड़ी है। 

गृह मंत्री अनिल देशमुख (home minister anil deshmukh) राज्य की उपराजधानी नागपुर (Nagpur) में रहते हैं। नागपुर से भंडारा की दूरी महज 60 किलोमीटर की है। नागपुर तो राज्य विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) का भी गृह नगर है। नाना पटोले, अनिल देशमुख, देवेंद्र फडणवीस के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री नितीन गडकरी (nitin gadkari) का भी नागपुर से ही वास्ता है। इसके अलावा राकांपा के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल (prafulla patel) भंडारा-गोंदिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्यसभा सांसद हैं। कई हैविवेट नेताओं के होते हुए भी भंडारा के जिला सामान्य अस्पताल में 10 मासूम बच्चों की मौत होने की ह्दय विदारक घटना होना बेहद अफसोस का विषय है। भंडारा में दम घुटकर तथा जलने से हुई 10 बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार कौन है, उसका पता लगाकर सत्य बाहर लाने तथा दोषियों पर कार्रवाई करने जैसे बातें हर घटना के बाद सत्ताधीशों की ओर से की तो जाती है लेकिन घटना के बाद समिति बनाने, संवेदनाएं व्यक्त करने, मदद राशि का ऐलान करने की जैसे बातों का वबंडर खड़ा करके सरकार घटना के प्रति कितनी गंभीर हैं, इसका प्रदर्शन पहले भी होता रहा है और इस घटना के बाद भी हो रहा है। 

10 जनवरी को भंडारा जिले में दौरे पर आए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) ने उसी तरह के बयान दिए हैं, जो आमतौर पर इस तरह के बयान मुख्ममंत्री दिया करते हैं। भंडारा में 10 बच्चों की दम घुटकर हुई मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सच बाहर आएगा इस आशय का बयान देकर मुख्यमंत्री ने अपनी संवेदनाएं तो व्यक्त जरूर कर दी हैं, लेकिन क्या वास्तव में सच सामने आएगा, यही सबसे बड़ा सवाल है। 10 जनवरी को जिला सामान्य अस्पताल का दौरा करने से पहले मुख्यमंत्री ने भंडारा जिले के भोजापुर क्षेत्र में रहने वाली गीता बेहरे के घर जाकर उनकी नवजात बालिका की जिला सामान्य अस्पताल में हुए आग्नि तांडव में मौत होने की घटना के प्रति गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें सात्वना दी, इससे पहले शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, भंडारा जिले के पालक मंत्री विश्वजीत कदम ने भी भोजपुर जाकर नवजात बालिका खोने वाली बालिका के परिजनों को सांत्वना दी थी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi), केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (amit shah), केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी (nitin gadkari), राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सभी ने इस घटना पर बेहद दुख व्यक्त किया है। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख, विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ये तीनों बहुत ही तेजर्तरार नेता माने जाते हैं। अवैध रेत उत्खनन के नाम पर कोरोड़ों की राजस्व राशि का नुकसान भी इन दिग्गज नेताओं के होते हुए सरकार को क्यों सहन करना पड़ रहा है, इस सवाल का उत्तर कौन देगा। जिन मां ओं ने अपना नवजात बच्चों को खोया था, उनके आखों से निकल रहे आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अकेले महाराष्ट्र में ही अस्तपतालों में आग लगने की घटना नहीं हुई हैं। महाराष्ट्र के भंडारा में 9 जनवरी को अस्पताल में हुए बाल मौत के तांडव जैसी घटना फिर कभी होने नहीं दी जाएगी, ऐसा आश्वासन भले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके मंत्रिमंडल के अन्य मंत्री यह कह कर रहे हों कि सरकार भंडारा में हुई घटना के बारे में पूरी तरह से गंभीर है, लेकिन खराब सिस्टिम की सुधारने के लिए जब तक सख्ती नहीं बरती जाएगी, सुधार की उम्मीद करना भी बेमानी हो माना जाएगा। 

भंडारा जिला सामान्य अस्पताल में लगी आग की घटना से पहले भी 1 मई, 2011 को महाराष्ट्र के बीड़ के अस्पताल में हुए अग्निकांड में 2 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। बीड के अलावा महाराष्ट्र के अमरावती में 28 मई, 2017 को पंजाब राव देशमुख अस्पताल में लगी आग में 4 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। 17 दिसंबर, 2018 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के मरोल क्षेत्र में स्थित ईएसआईसी अस्पताल में लगी आग 12 लोगों की मौत हो गई थी, इसके अलावा मुंबई के एपैक्स अस्पताल में 12 अक्टूबर, 2020 को लगी आग में दो लोगों की मौत हो गई थी। महाराष्ट्र के अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, आंधप्रदेश में भी अस्पताल में आग लगने की घटनाओं में कई लोगों की जान जा चुकी है। इन घटनाओं से इस बात की पुष्टि होती है कि लापरवाही देश के सभी राज्यों के अस्तपालों में होती रही है, हां इतना जरूर है कि कहीं इसका प्रतिशत कम है तो कही ज्यादा। 

भंडारा जिला सामान्य अस्तपाल में अनेक समस्याएं व्याप्त हैं। इस अस्तपाल में विशेष अति दक्षता विभाग में मासूम बच्चों की मौत का जो तांडव देखने को मिला, जिस घटना ने न केवल भंडारा, बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया है, वह  घटना आने वाले दिनों में तारीख के रूप में दर्ज जरूर होगी, लेकिन भंडारा जिला सामान्य अस्पताल में 9 जनवरी, 2021 को हुई घटना फिर से देश के किसी अन्य राज्य में नहीं होगी, इसकी गारंटी कोई नहीं ले सकता, क्योंकि घटिया सिस्टम, काम हो रहा है तो होने दो, बाद में देखेंगे, इस तरह की विचारधारा के कारण अस्पताल भी जीवन रक्षा की गारंटी नहीं बन पा रहे हैं। 

भंडारा की घटना में 10 गांव के 10 बच्चों को खोया है, जिस मां ओं ने अपने बच्चे खोये हैं, वे अब तो उन्हें वापस नहीं मिलेंगे, लेकिन भविष्य में फिर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए नागपुर-भंडारा-गोंदिया इन तीनों जिलों के वरिष्ठ नेताओं को मिलकर काम करना होगा। जिला अस्पताल प्रधासन ने मुख्यमंत्री के आगमन के मद्देनज़र जिस तरह से अस्पताल में स्वच्छता अभियान चलाया है, उसके स्थान अगर अस्पताल प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा पर बारीक नज़र रखी होती तो उन मां ओं को अपने बच्चों से वंचित नहीं होना पड़ता जो जिला अस्तपाल में आग और धुएं के चपेट में अपना गवां बैठे।

Note: यह लेखक के अपने विचार हैं।

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