एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि, बीजेपी को सत्ता से दूर रखना है तो शिव सेना के साथ जाने में कोई गुरेज नहीं है। अल्पसंख्यकों के द्वारा कहने पर ही एनसीपी और कांग्रेस ने शिव सेना के साथ हाथ मिलाया और महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (maha vikas aghadi) सरकार की स्थापन की। पवार गुरूवार को नरीमन पॉइंट स्थित एनसीपी कार्यालय में आयोजित अल्पसंख्यक सेल के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
पवार ने आगे कहा, बीजेपी को अल्पसंख्यक वोट नहीं देते हैं और उनके चाहने की वजह से महाराष्ट्र में सत्ता का बदलाव हुआ। पवार ने कहा कि यह अल्पसंख्यक ही हैं जो यह फैसला करते हैं कि किसे चुनाव हराना है।
उन्होंने कहा, हर आदमी को 5 साल पहले मोदी के आने की पहली स्थिति पर विचार करना चाहिए। इस समय देश में नागरिक संशोधन कानून (CAA) और NRC को लेकर विवाद शुरू है। पवार ने सवाल उठाते हुए कहा, भटका समाज लोगों के पास कोई कागज नहीं है तो ऐसे में एनपीआर के तहत वे सबूत कहां से लाएंगे. तो क्या उन्हें भारत की नागरिकता मिलेगी?
उन्होंने कहा, जब मैं ICC ने था तो उस समय काम करने के दौरान मैं कई बार पाकिस्तान में आयोजित बैठकों में गया। वहां मैं कई सारे लोगों से मिला जिनके रिश्कतेदार अभी भी भारत में हैं। वह भारत में अपने रिश्तेदारों से मिलने जाना चाहता है। लेकिन क्योंकि वे केवल मुस्लिम हैं, उन्हें भारत आने की अनुमति नहीं मिलती है।
पवार ने आगे कहा, शिव सेना के साथ जाने से पहले हमने न केवल महाराष्ट्र से बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली में भी पार्अटी के ल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधियों से बातकी, उन्होंने भी हमारे इस निर्णय का स्वागत किया।
आपको बता दें कि पवार के इस बयान से शिव सेना के माथे पर बल पड़ सकता है। जहां एक तरफ मनसे हिंदुत्व विचारधारा पर जोर पकड़ती जा रही है तो वहीँ दूसरी तरफ शिवसेना हिंदूत्व के अपने कोर मुद्दे पर बैकफुट पर चल रही है। तो ऐसे में कांग्रेस और एनसीपी जिस तरह से मुस्लिमों के साथ तालमेल बढ़ा रहे हैं उससे शिव सेना पर से हिंदुत्व का टैग हट सकता है।