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कांग्रेस के लिए कितना लाभदायी साबित होगा नाना रूपी ब्रह्मास्त्र

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने यह फैसला किया कि नाना पटोले ही ऐसे नेता हैं, जो सभी मापदंडों पर खरे उतरते हैं, लिहाजा उन्हें बाला साहेब थोरात के स्थान पर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपना ठीक होगा।

कांग्रेस के लिए कितना लाभदायी साबित होगा नाना रूपी ब्रह्मास्त्र
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महाराष्ट्र की महाविकास सरकार में शामिल शिवसेना, राकांपा तथा कांग्रेस इन तीनों राजनीतिक दलों में कांग्रेस (Congress) सबसे कमजोर राजनीतिक दल के रूप में सामने आता रही है। जिस राजनीतिक दल ने राज्य को कई मुख्यमंत्री दिए, उस राजनीतिक दल की स्थिति राज्य में अच्छी नहीं है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस के युवा नेता तथा विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले (nana patole) को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर आसीन किया है। पार्टी को मजबूत करने की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है। मुंबई मनपा (bmc) चुनाव तथा आमागी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र कांग्रेस ने अभी से अपनी कमर कस ली है। 

कहा जा रहा है कि नाना पटोले को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के साथ-साथ राज्य की उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी सरकार में उप मुख्यमंत्री भी बनाने की तैयारी चल रही है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि नाना पटोले को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। कांग्रेस ने नाना पटोले को रूप में जो प्रदेशाध्यक्ष सामने लाया है, जो ब्रह्मास्त्र सामने लाया है, वह कांग्रेस के लिए कितना लाभदायी साबित होगा, यह तो आने वाला समय तय करेगा, लेकिन इतना तो तय है कि नाना पटोले को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपने से सरकार में कांग्रेस की ताकत बढ़ेगी। औरंगाबाद नामांतरण मुद्दा हो या फिर कोई अन्य मुद्दा कांग्रस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष बाला साहेब थोरात (bala saheb thorat) पार्टी का पक्ष अच्छी तरह से नहीं रख पाते थे, इसीलिए पार्टी के शीर्ष नेता किसी ऐसे नेता को प्रदेशाध्यक्ष के रूप में सामने लाना चाहते थे, जो शिवेसना (shiv sena) तथा राकांपा (ncp) नेताओं के साथ होने वाली बैठकों, सरकारी निर्णयों के बारे में अपनी बात मजबूती से रख सके। 

काफी विचार-विमर्श तथा सक्रीयता, लोकप्रियता, कर्मठता तथा पार्टी के प्रति निष्ठा को टटोलने के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने यह फैसला किया कि नाना पटोले ही ऐसे नेता हैं, जो सभी मापदंडों पर खरे उतरते हैं, लिहाजा उन्हें बाला साहेब थोरात के स्थान पर महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपना ठीक होगा और 5 फरवरी, 2021 को नाना पटोले की महाराष्ट्र प्रेदश कांग्रेस अध्यक्ष पद तर ताजपोशी हो गई। पिछले वर्ष दिसंबर माह में मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद पर भाई जगताप (bhai jagtap) की ताजपोशी की गई थी और इस वर्ष फरवरी माह में नाना पटोले जैसे तेजतर्रार युवा नेता को प्रदेश कांग्रेस अद्यक्ष पद पर आसीन किया गया है। नाना पटोले के विधानसभा अधयक्ष रहते समय से ही यह तय हो गया था कि आने वाले दिनों में नाना पटोले को ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। 

अमित देखमुख (amit deshmukh) का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सामने भी आया था, अमित देशमुख वर्तमान में ठाकरे सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, लेकिन नाना पटोले का दिल्ली दरबार में दबदबा कुछ ज्यादा ही प्रभाव डाल रहा था, लिहाजा उन लोगों के मंसूबों पर पानी फिर गया जो नाना पटोले को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर विराजित नहीं होने देना चाहते थे। अमित देशमुख, बाला साहेब थोरात गुट के समर्थक माने जाते हैं, लेकिन थोरात गुट के समर्थक अमित देशमुख को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी नहीं मिल पायी। भाजपा-राकांपा की तुलना में विदर्भ क्षेत्र में कांग्रेस की ताकत कम है। भाजपा के पास नितीन गडकरी (nitin gadkari) जैसे अनुभवी केंद्रीय मंत्री तथा देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) जैसे सक्रिय नेता है तो राकांपा के पास राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल तथा अनिल देशमुख जैसे कद्दावर नेता हैं, लेकिन कांग्रेस के पास भाजपा-राकांपा जेसे प्रभावशाली नेता  विदर्भ क्षेत्र में नहीं है। विदर्भ क्षेत्र में कांग्रेस के पास सिर्फ एक ही तेजतर्रार नेता था, उसे भी विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी दे दी गई थी। विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व संभालते समय नाना पटोले को कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों तथा सामाजिक उत्थान के कार्यो को करने का समय ही नहीं मिल पाता था।

 विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए पार्टी की मजबूती के लिए खुद काम करना संभव नहीं होता था, इसलिए पार्टी ने नाना पटोले की उपयोगिता कांग्रेस की संगठनात्मक शक्ति बढ़ाने में करने का निर्णय लिया और नाना पटोले को नई जिम्मेदारी सौंपी। नाना पटोले के विधानसभा अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद हालांकि यह कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष पद शिवसेना को तथा उपमुख्यमंत्री पद कांग्रेस किया जाएगा, लेकिन जिस तरह से दोनों पदों के लिए लॉबिंग चल रही है, उसके आधार पर यह कहना मुश्किल है कि किस पार्टी की झोली में विधानसभा अध्यक्ष का पद जाएगा और किसकी झोली में उप मुख्यमंत्री का पद जाएगा। कहा तो यह जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद शिवसेना को दिया जाएगा, लेकिन राकांपा सप्रिमो शरद पवार (sharad pawar) ने यह कहकर मामले को उलसा दिया है कि विधानसभा अध्यक्ष पद का पर्याय सभी के लिए खुला है। उलेखनीय है कि नाना पटोले जिन्हें कांग्रेस ने प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है, वे भंडारा-गोंदिया के सांसद भी रह चुके हैं। 

नाना पटोले ने लंबा समय कांग्रेस में व्यतीत किया और कुछ अंतर्गत विरोधों के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन तो जरूर थामा लेकिन भाजपा की कार्यप्रणाली नाना को पंसद नहीं आई और वे 2016 में फिर अपने पुराने राजनीतिक कुनबे यानि कांग्रेस में लौट आए। राकांपा प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल राकांपा परिवार संवाद रैली के माध्यम से राज्य में अपनी ताकत का अंदाजा लगा रही है। नाना पटोले की कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद पर पहले से ही नज़र थी। विधानसभा अध्यक्ष पद पर अच्छा काम करने के बाद अब उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नई भूमिका में सामने लाया गया है और जिस तरह से नाना पटोले काम करते रहे हैं, उसके आधार पर सभी यह मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस ने नाना पटोले के रूप में जो ब्रह्मास्त्र सामने लाया है, उससे कांग्रेस की ताकत राज्य में और ज्यादा बढ़ेगी। नाना पटोले को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी मिलने के बाद राकांपा- कांग्रेस के बीच उसी तरह का टकराव देखने को मिलेगा, जैसा टकराव वर्तमान में शिवसेना-भाजपा के बीच देखने को मिल रहा है।  

Note: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह उनके अपने विचार हैं।

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