अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए मंत्रियों को अगर झूठ भी बोलना पड़ता है तो वे बोलते हैं लेकिन कुछ भी बोलने से पहले या फिर झूठे वादे करने से पहले उन्हें एक बार अपने विभाग से तो पूछ ही लेना चाहिए ताकि बाद में उसका जवाब भी देते बने। अभी हाल ही में महाराष्ट्र में विधानसभा सेशन के दौरान ऊर्जा मंत्री नितिन राउत 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की थी, जिससे लोगों में खुशी की लहर फैल गयी थी, लेकिन RTI से हुए खुलासे में पता चला है कि असल मे इसतरह का कोई भी प्रस्ताव तैयार ही नहीं है और न ही ऐसे किसी प्रस्ताव की जानकारी ऊर्जा विभाग के पास है।
क्या है मामला?
मुंबई के जाने माने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस बाबत ऊर्जा विभाग से महाराष्ट्र में 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त में देने के ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार किया हुआ प्रस्ताव और उसे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा दी गयी मंजूरी पर जानकारी मांगी थी।
लेकिन ऊर्जा विभाग ने जो जवाब उपलब्ध कराया है वो चौकानें वाला है। ऊर्जा विभाग ने अनिल गलगली को पत्र भेजकर बताया कि ऐसा किसी भी तरह का प्रस्ताव ऊर्जा विभाग ने पेश नहीं किया हैं।
इस बारे में ऊर्जा विभाग के पास पूरे महाराष्ट्र से 2 पत्र प्राप्त हुए थे। पहला, चांदिवली राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष बाबू बत्तेली का और दूसरा, नागपुर के रविंद्र तरारे का ।
ऊर्जा विभाग ने अनिल गलगली को महाराष्ट्र विधिमंडल में बिजली और उससे जुड़ी हुई समस्याओं पर हुई चर्चा का दस्तावेज दिए हैं, जिसमें ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत ने 100 यूनिट बिजली मुफ्त में देने की बात कही हैं।
अनिल गलगली के अनुसार इस तरह की लोकलुभावन घोषणा करने के पहले ऊर्जा मंत्री को अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार करना चाहिए था और मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे से चर्चा करनी चाहिए थी।
उन्होंने आगे कहा मंत्रियों को एक तरह से आचारसंहिता की सख्त ज़रूरत है।