सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए अब चुनाव आयोग ने भी इसपर पैनी नजर रखना शुरु कर दिया है। जहां पहले सोशल मीडिया पर कोई भी पार्टी बिना किसी रोक टोक के विज्ञापन दे सकती थी तो वही अब सोशल मीडिया पर दिये जानेवाले हर एक एड का हिसाब चुनाव आयोग को देना होगा। इसके साथ ही अब बॉम्बे हाईकोर्ट में भी इस मामले को दखल में लेते हुए राजनीतिक पार्टियों के लिए एक और आदेश जारी किया जा सकता है।
चुनाव आयोग के अनुसार मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरींग कमिटी (एमसीएमसी) के प्रमाणपत्र के बिना किसी भी तरह का कोई भी विज्ञापन नहीं दिया जा सकता है। चुनाव के समय सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए इस आदेश को जारी किया गया है। केंद्रिय सुचना आयोग ने इस बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया की यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है ।
विज्ञापनों का हटाया जाएगा
व्यावसायिक रूप से प्रसारित विज्ञापनों को तत्काल हटाने का आदेश सोशल मीडिया को दिया जाएगा और इसके अलावा, अब सोशल मीडिया पर दिये जानेवाले विज्ञापन की जानकारी भी चुनाव आयोग को देना अनिवार्य होगा। चुनाव आयोग के फैसले के बाद भी, इन विज्ञापनों को हटाना अनिवार्य है और अदालत इस मामले को अगले सोमवार को निर्देश देगी।
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