भारत का राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में अधिवेशन के दौरान हंगामा इतना बढ़ा कि विधानसभा के बाहर जमकर नारेबाजी हुई। बीजेपी के विधायक राज पुरोहित और ओवीसी की पार्टी AIMIM के विधायक वारिस पठान के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों ही नेताओं के बीच काफी कहासुनी हुई। मामला धक्का मुक्की तक भी पहुंचा गया। उसके बाद मौके पर उपस्थित लोगो ने बीच बचाव कर इन्हें अलग किया।
सबसे पहले भाजपा विधायक अनिल गोटे ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने अबू आजमी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वे यह देश छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन वंदे मातरम् नहीं बोलेंगे। गोटे ने कहा कि शहीद अब्दुल हमीद ने मरने से पहले भारत माता की जय और वंदे मातरम् का नारा लगाया था। बता दें कि आजमी ने कहा था कि वह दश छोड़ देंगे लेकिन किसी भी सूरत में वंदे मातरम नहीं गायेंगे।
भाजपा विधायक राज पुरोहित ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खत लिखकर ‘वंदे मातरम्’ अनिवार्य किए जाने की मांग की है। इसका विरोध समाजवादी पार्टी के अबू आजमी और AIMIM के विधायक वारिस पठान के किया। पठान ने कहा था कि वह इसे नहीं गाएंगे भले ही उनके सिर पर रिवॉल्वर रख दी जाये।
भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे ने अबू आजमी पर जम कर निशाना साधा और कहा कि जिस देश का खाते हैं, जिसकी मिट्टी में दफन होते हैं, उसकी वंदना करने में क्या बुराई है। एकनाथ खडसे ने आगे कहा कि ‘वंदे मातरम्’ का मतलब होता है हे मां तुझे सलाम, इसमें क्या गलत है। खडसे ने कहा कि इस देश में रहना है तो ‘वंदे मातरम्’ कहना ही होगा।
सदन में मौजूद आजमी ने सफाई देते हुए कहा कि कोई गीत देशभक्ति का पैमाना नहीं हो सकता है। उन्होंने जबरन किसी को वंदे मातरम कहलवाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इस्लाम मुझे अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा की इजाजत नहीं देता। आजमी ने आगे कहा मैं हजार बार हिंदुस्तान जिंदाबाद का नारा लगा सकता हूं, लेकिन वंदेमातरम् नहीं गाऊंगा।
वहीं कांग्रेस के नेता असलम शेख ने बीजेपी पर दोष मढ़ते हुए बड़ों मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए बीजेपी वंदे मातरम पर विवाद शुरू कर रही है।
विधानभवन के बाहर परिसर मीडिया के सामने ही वारिस पठान और राज पुरोहित आपस में भीड़ गए। वहां जमकर नारेबाजी भी की गई। बाद में सुरक्षाकर्मियों ने हस्तक्षेप करके मामले को शांत किया और पठान को विधान सभा में ले गए।
मद्रास उच्च न्यायालय के हाल ही में एक याचिका की सुनवाई में कहा था कि तमिलनाडु के सभी स्कूलों में हफ्ते में कम से कम दो दिनों तक राष्ट्रीय गीत को गाए जाने को अनिवार्य बनाया था। मद्रास हाईकोर के इसी आदेश को आधार बनाते हुए बीजेपी विधायक राज पुरोहित ने भी मांग की थी कि महाराष्ट्र के स्कूल और कॉलेजों में वंदे मातरम गाने को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
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