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चुनावी मौसम में क्यों भाव खा रही है प्याज?

प्याज़ इस समय महंगाई के आंसू रुला रही है। प्याज के साथ-साथ अब टमाटर भी थाली से गायब होता जा रहा है। कहीं-कहीं प्याज 100 रूपये किलो तक बिक रहे हैं।

चुनावी मौसम में क्यों भाव खा रही है प्याज?
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प्याज़ इस समय महंगाई के आंसू रुला रही है। प्याज के साथ-साथ अब टमाटर भी थाली से गायब होता जा रहा है। कहीं-कहीं प्याज 100 रूपये किलो तक बिक रहे हैं। अगर प्याज़ की कीमतों पर सरकार ने जल्द काबू नहीं पाया तो अगले महीने महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले चुनावों में वोटरों का मूड का क्या होगा इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे महाराष्ट्र प्याज उत्पादक में सबसे बड़ा राज्य है और यहां एक महीने में चुनाव भी है, इसलिए यहां प्याज़ की कीमतें बढ़ना चिंता का सबब हो सकता है। पता नहीं क्यों जब जब चुनाव करीब आते हैं तो प्याज महंगी हो जाती है।  

मौसम की मार 
बताया जा रहा है कि प्याज़ की कीमतों में जो उछाल आया है उसका प्रमुख कारण मौसम है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर की मानें तो महाराष्ट्र में पिछले साल के सूखे और इस साल काफी हुई बारिश के कारण प्याज़ के उत्पादन पर भारी असर पड़ा है। गौरतलब है कि मुंबई और पुणे जैसे शहरों में 50 से 60 रुपये किलो तक बिक रहा प्याज़ अब 90 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। दिल्ली व उत्तर भारत के कई इलाकों में भी लगभ यही कीमतें हैं।

राजनीतिक दखल 
वैसे महाराष्ट्र के नासिक, पुणे, अहमदनगर और औरंगाबाद जैसे जिले में काफी प्याज पैदा की जाती है इसीलिए इसे प्याज का कटोरा भी कहा जाता है। यही नहीं महाराष्ट्र में देश के कुल प्याज़ उत्पादन का एक तिहाई पैदा करने वाला राज्य है। यहां प्याज़ की फसल को किसान नमी और धूल से बचाकर कांदा चॉल में रखा करते हैं और मांग के हिसाब से रिटेल बाज़ार में सप्लाई करते हैं। यही नहीं बताया जाता है कि यहां पर राजनीतिक पार्टियां ही प्याज की कीमतों पर अपना अधिकार रखती हैं।

उत्पादन और आयात प्रभावित 
साल 2017-18 के मुकाबले महाराष्ट्र में 2018-19 में तकबरीन 90 लाख हेक्टेयर कम इलाके में उत्पादन हुआ है। पिछले साल बाज़ार में सितंबर में जहां 35 हज़ार क्विंटल प्रतिदिन प्याज़ की आवक थी, वहीं इस साल 25 हज़ार रह गई है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान से प्याज़ के आयात को रोक दिया गया है। खबरों की मानें तो अन्य देशों से प्याज़ का आयात नवंबर के अंत तक होने के आसार हैं इसलिए अभी कम से कम एक महीने तक प्याज़ की कीमतें और रुला सकती हैं।

स्टॉक के बावजूद महंगी प्याज
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार इसी साल सरकार ने एक्सपोर्ट सब्सिडी 10 प्रतिशत तक खत्म कर दी थी। ताकि प्याज़ की मांग और सप्लाई में अधिक अंतर न रहें। केंद्र सरकार ने 57 हज़ार टन प्याज़ का भंडार भी तैयार किया था लेकिन इसमें से 18 हज़ार टन अब तक खाली हो चुका है।

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