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मुंबई के आंदोलनकारियों को नहीं पता CAA और NRC के बारे में, पूछने पर मिले हैरान कर देने वाले जवाब

इस भीड़ में कई ऐसे भी मुस्लिम युवा सहित कई ऐसे भी लोग थे जिन्हें इस कानून की जानकारी तो छोड़िए उन्हें ये भी पता नहीं था कि संसद से एनआरसी बिल पास हुआ है या CAA

मुंबई के आंदोलनकारियों को नहीं पता CAA और NRC के बारे में, पूछने पर मिले हैरान कर देने वाले जवाब
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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश भर में आंदोलन चल रहा है। मुंबई में भी गुरूवार को इस कानून के खिलाफ बड़ी संख्या में लोग अगस्त क्रांति मैदान में जमा हुए थे। इस आंदोलन में बॉलीवुड के सेलेब्रेटी सहित कुछ नेताओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। वैसे एक बात गौर करने वाली थी कि इस आंदोलन में युवाओं की संख्या काफी थी।लेकिन इसी भीड़ में कई ऐसे भी मुस्लिम युवा सहित कई ऐसे भी लोग थे जिन्हें इस कानून की जानकारी तो छोड़िए उन्हें ये भी पता नहीं था कि संसद से एनआरसी बिल पास हुआ है या CAA। साथ ही वे इस बात से काफी भयभीत थे कि अब उन्हें इस देश से निकाल दिया  जाएगा। 

आंदोलन में शामिल युवाओं का जोश और जज्बा देखते ही बनता था।कई युवा बड़े-बड़े बैनर और पोस्टर लेकर CAA के खिलाफ इस आंदोलन में शामिल हुए थे। एक युवक से जब इस कानून के बारे में पूछा गया तो उसने जो कहा वह काफी हैरान करने वाला था।उस युवक ने कहा, देश में मोदी सरकार ने NRC लागू कर दिया गया है अब मुस्लिमों को यह देश छोड़ कर जाना पड़ेगा। हम उसके खिलाफ यहां आए हैं।

एक दूसरे युवक से जब CAA और NRC के बारे में पूछा गया तो उसने कहा, देश में ACP (जी हाँ ACP) नाम का जो कानून पास हुआ है उसमें मुस्लिमों को छोड़ कर सभी धर्मों को शामिल किया गया है। हम इस बात से काफी नाराज हैं। यानि कि युवक को कानून का नाम भी नहीं पता था।

अच्छा हद तो तब हो गयी जब एक अन्य युवक ने इस मुद्दे पर अपनी जानकारी सामने लाई। इस युवक की बातें सुनकर आप भी अपना सिर पकड़ लेंगे। इस युवक ने कहा, NRC में जिन धर्म के लोगों को शामिल किया गया है अब उन्हें आरक्षण दिया जायेगा और मुस्लिमों को आरक्षण से बाहर कर दिया जाएगा ... ये प्रदर्शन उसी के लिए है। 

एक युवक ने कहा कि एनआरसी पास हो गया है, लेकिन अभी लागू नहीं हुआ है, जबकि दूसरे युवक का कहना था कि एनआरसी बिल को खारिज करने के लिए हम यहां पर आए हैं।

अच्छा एक युवक ने तो कहा कि, वे केवल यहां आने वाले फ़िल्मी हीरो और हीरोइन को देखने के लिए आए हैं। युवक के अनुसार उसे इस बात का पता वाट्सऐप से पता चला कि आज अगस्त क्रांति मैदान में बड़ी संख्या में फ़िल्मी हीरो-हीरोइन आने वाले हैं।

कुछ भी हो आंदोलन काफी शांत रहा, जिससे मुंबईकरों ने राहत की सांस ली। जिस तरह से आंदोलन के दौरान अन्य जगहों से हिंसा की खबरें आ रहीं थीं उससे आम लोगों के साथ-साथ प्रशासन भी सहमा हुआ था। लेकिन आखिर अंत भला तो सब भला। आंदोलन सफलतापूर्वक समाप्त हुआ।

एक बात गौर करने वाली यह है कि इस कानून को लेकर लोगों के मन में डर और संदेह है जिसे दूर करना सरकार के लिए बेहद ही जरुरी है। जब तक इनके मन से यह डर और संदेह दूर नहीं होगा तब तक आसामाजिक तत्व इन्हें बहका कर सड़कों पर उतारता रहेगा। क्योंकि जामिया, AMU सहित अन्य कई यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सड़क पर उतर कर अपना रोष प्रकट किया उसमें कई आसामजिक तत्व भी थे जिनके इशारे पर हिंसा और आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया गया।

सरकार की तरफ से भी कई बार इस बात की पुष्टी की जा चुकी है कि यह बिल किसी के खिलाफ नहीं है और न ही इस बिल से किसी को देश छोड़ना पड़ेगा। यही नहीं इस बिल को जब गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया था तब और जब राज्यसभा में पेश किया तब भी उन्होंने इस बिल को लेकर स्पष्ट रूप से कहा था कि, यह बिल किसी के खिलाफ नहीं है और न ही इस बिल से किसी को कुछ नुकसान उठाना पड़ेगा।

यही नहीं हर समाचार चैनलों में भी यह बात स्पष्ट रूप से अमित शाह कह चुके हैं इसके बाद भी आखिर लोगों को यह कानून क्यों नहीं समझ में आ रहा है यह समझ से परे हैं। इस कानून को लेकर लगातार आंदोलन हो रहे हैं। अब तो यह आंदोलन हिंसा का रूप धर चुका है। इतने बड़े लोकतांत्रिक देश में अलोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना किसी भी सूरत में ठीक नहीं कहा जा सकता।

अगर कोई भी हिंसा करके यह समझता है कि इससे सरकार यह कानून वापस ले लेगी तो वह गलत मुगालते में जी रहा है।इतिहास गवाह है कि, हिंसा से आंदोलनकारियों को नुकसान ही  उठाना पड़ा है।

और सरकार को भी चाहिए कि वे इस कानून को सही तरीके से लोगों के सामने पेश करें और इस कानून के पक्ष में माहौल बनाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाएं। 

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