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नितिन गडकरी मिले उद्धव ठाकरे से, मित्रता की ओर बढ़ते कदम की आहट!

भाजपा के संकटमोचक नितीन गडकरी ने मित्रता दूत की भूमिका में आकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी तथा राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात करके राज्य में फिर एक बार भाजपा-शिवसेना के करीब आने में संकेत दिए हैं।

नितिन गडकरी मिले उद्धव ठाकरे से,  मित्रता की ओर  बढ़ते कदम की आहट!
Pic courtesy: maharashtra times
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मित्रता तथा निजता इन दोनों शब्दों का समाज में बहुत महत्व है। इसी को ध्यान में रखकर भाजपा ने महाराष्ट्र (maharashtra) में शिवसेना (shiv sena) के साथ अपने रिश्तों में फिर पुरानी चमक लाने की कोशिश की है। मोदी सरकार में परिवहन मंत्री (transport minister) की भूमिका निभा रहे नितीन गडकरी (nitin gadkari) मित्रता दूत बनकर जब विगत 7 जनवरी को शिवसेना के दो दिग्गजों से मिले तो कुछ पलों के लिए ऐसा लगा कि कहीं यह राज्य में नई आहट तो नहीं है। लंबे समय तक एक साथ सत्ता चलाने वाले, कई मंचों की साझा करने वाले राजनीतिक दलों की दूरी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि उसके साथ अब राज्य में फिर एक साथ मिलकर सरकार बनाने की बात असंभव सी नज़र आने लगी है, लेकिन भाजपा (bjp) के संकटमोचक नितीन गडकरी ने मित्रता दूत की भूमिका में आकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी (manohar joshi) तथा राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) से मुलाकात करके राज्य में फिर एक बार भाजपा-शिवसेना (bjp-shiv sena) के करीब आने के संकेत दिए हैं। 

नितीन गडकरी के इस मित्रता दौरे में मनोहर जोशी तथा उद्धव ठाकरे से किन-किन मुद्दों पर बातें हुई, इस बात का खुलासा तो नहीं हो पाया लेकिन इतना जरूर पता चला है कि नितीन गडकरी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने उनकी बातों पर बड़ी गंभीरता से ध्यान दिया है।   

शिवसेना तथा भाजपा के बीच राजनीतिक गठबंधन टूटने तथा राज्य में नए राजकीय समीकरणों के अस्तित्व में आने के बाद शिवसेना तथा भाजपा इन दोनों राजनीतिक दलों के बीच कई मुद्दों पर इतना ज्यादा टकराव बढ़ गया है, जितना टकराव भाजपा का किसी अन्य दलों के साथ नहीं हुआ है। आज स्थिति यह हो गई है कि जिस राजनीतिक दल के नेता ढाई दशकों तक कई राजनीतिक मंचों को साझा कर चुके हैं, वे आसपास बैठना भी पसंद नहीं करते हैं। 

मुख्यमंत्री बनते ही उद्धव ठाकरे ने पूर्ववर्ती देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की सरकार की कई योजनाओं पर या तो ब्रेक लगा दिया या उसके नाम में बदलाव करके यह बताने की कोशिश की कि हमारी सरकार फडणवीस की सरकार से कैसे बेहतर है। इन दिनों मेट्रो कार शेड (car shed) तथा औरंगाबाद (aurangabad) नामांतरण के मुद्दे ऐसे हैं, जिन पर जोरदार चर्चा हो रही है। मेट्रो कार शेड के मुद्दे पर भाजपा-शिवसेना के बीच जगह को लेकर घमासान मचा हुआ है तो औरंगाबाद नामांतरण के मुद्दे पर भाजपा-शिवसेना एक साथ हैं। कांग्रेस (Congress) इस मुद्दे पर सरकार की खिलाफत पर उतारू है। शिवसेना से कई मुद्दों पर टकराव के बावजूद औरंगाबाद नामांतरण पर दोनों दलों के मिलते स्वरों को भांप कर कहीं नितीन गडकरी को मित्रता दूत बनाकर शिवसेना के दो वरिष्ठ नेताओं से मिलने के लिए तो नहीं भेजा गया। 

1995 में राज्य में पहली बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार में सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री रहे नितीन गडकरी जब मनोहर जोशी से मिलने पहुंचे तो उन्हें पैर छूकर प्रणाम किया। मनोहर जोशी तथा नितीन गडकरी की इस मुलाकात ने शिवसेना-भाजपा की पुरानी मित्रता की तस्वीर को एक बार फिर ताजा कर दिया है। इस मुलाकात ने शिवसेना की उस दशहरा रैली (dussehra rally) की यादों को भी ताजा कर दिया, जिसमें शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे (bal thackeray) तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी (atal bihari bajpeyi) की संयुक्त सभा होती थी। कहा जा रहा है कि नितीन गडकरी की शिवसेना के दो दिग्गजों की यह मुलाकात शिवसेना-भाजपा की पुरानी मित्रता को एक बार फिर सामने लाने की कोशिश है। राष्ट्रीय महामार्ग के कार्यों की समीक्षा करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में 7 जनवरी को  एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में शिरकत करने के लिए केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी भी मुंबई आए हुए थे।

 दलीय राजनीति से ऊपर उठकर मित्रता का जतन करने वाले नेता के रूप में अपनी छवि बनाने वाले केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने अपने मुंबई (Mumbai)दौरे के दौरान कुछ वक्त निकालकर शिवसेना के दो वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ पलों के लिए ही सही हलचल तो जरूर मचा दी। नितीन गडकरी का एक ही दिन दोनों नेताओं से मिलने जाने की इतनी जोरदार चर्चा हो रही है कि महाराष्ट्र में ही नहीं दिल्ली में ही ये मुलाकातें राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। शिवसेना प्रमुख दिवंगत बाल ठाकरे के ड्रीम प्रोजेक्ट मुंबई-पुणे एक्स्प्रेस वे (mumbai-pune express way) को साकार करने में नितीन गडकरी ने अहम भूमिका निभाई थी। 

भाजपा से बढ़ती दरारों के बीच नितीन गडकरी की मनोहरजोशी-उद्धव ठाकरे से की गई मुलकात ने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है। महाराष्ट्र में भाजपा के नेता शिवसेना तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर लगातार कटाक्ष करते रहते हैं। शिवसेना पर निशाना साधने का एक भी मौका भाजपा नेता नहीं छोड़ते। विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (chandrakanta patil) मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत सरकार में शामिल शिवसेना के नेताओं पर निशाने साधते रहते हैं, ऐसे में नितीन गडकरी द्वारा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी तथा राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात करना किसी बड़े बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है। मेट्रो कारशेड, औरंगाबाद का संभाजीनगर नामांतरण करने, राज्यपाल नियुक्त सदस्यों के जैसे मुद्दों पर आमने-सामने आने वाले राजनतिक दल भाजपा-शिवसेना के बीच नितीन गडकरी की शिवसेना के दो दिग्गजों से मुलाकात के कई अर्थ भी निकाले जा रहे हैं। 

 मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यालय के @CMOMaharashtra नामक अधिकृत ट्वीटर हैंडल पर औरंगाबाद की जगह संभाजीनगर का उल्लेख  किए जाने से कांग्रेस भी मुख्यमंत्री तथा शिवसेना से खार खाए बैठी है। महाविकास आघाडी (mva) में शामिल कांग्रेस पार्टी ने नेताओं में पहले से ही यह भाव घर कर चुका है कि कांग्रेस को सरकार में बहुत कम आंका जाता है, ऐसे में औरंगाबाद नामांतरण के मुद्दे ने कांग्रेस की नाराजगी को और बढ़ा दिया है। औरंगाबाद महानगरपालिका चुनाव के मद्देनजर शहर के नामांतरण का मुद्दा एक बार फिर से सामने आया है। 

शिवसेना औरंगाबाद के नामांतरण की पक्षधर है तो कांग्रेस इसके विरोध में आवाज बुलंद कर रही है, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस (ncp) ने इस बारे में कोई भूमिका नहीं बनायी है। वह न तो कोई विरोधी स्वर निकाल रही है और न ही इसके पक्ष में बोल रही है। एक तरह से राकांपा ने इस बारे में तटस्थ रहने की भूमिका बना कर रखी है। औरंगाबाद नामांतरण के मुद्दे पर अगर कांग्रेस ने सरकार से बाहर निकलने का मन बनाया तो राज्य में एक बार भाजपा-शिवसेना की सरकार बन सकती है, इस बारे में मुख्यमंत्री का मन टटोलने के लिए भी नितीन गडकरी को मित्रता दूत बनाकर भेजा गया हो। बहरहाल नितीन गडकरी की शिवसेना के दो वरिष्ठ नेताओं से की गई मुलाकात ने राज्य में कुछ पलों के लिए राजनीतिक भूचाल ला दिया, अगर ऐसा कहा जाए, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा।

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