मुंबई में हो रहे किसान आंदोलन के लिए बीजेपी की सांसद पूनम महाजन ने किसानों के संदर्भ में एक विवादित बयान दिया है। पूनम महाजन ने किसानों को 'शहरी माओवादी' बताया। पूनम ने यह बातें एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कही। पूनम के इस विवादित बयान के बाद अब विपक्ष ने अपनी भौंहे टेढ़ी कर ली हैं।
दरअसल पूनम को किसानों द्वारा पहनी हुई लाल टोपी और हाथों में थामे कम्युनिस्ट के झंडे से आपत्ति है।
लोकतंत्र में आंदोलन होता है, लेकिन इन किसानों के हाथों में कम्युनिस्ट पार्टी का झंडा है, इस पर विचार करना चाहिए। देश भर में शहरी माओवादी बढ़ रहे हैं। यह महाराष्ट्र में खास तौर पर पुणे से शुरू हुआ है। ये आपके टैक्स के पैसो पर शिक्षा हासिल करते हैं पीएचडी करते हैं इसके बाद कम्युनिस्ट विचारों से प्रभावित होकर ये युवक नक्सली इलाकों में भाग जाते हैं और फिर शिक्षा के विरोध में काम करते हैं
पूनम महाजन, खासदार, भाजप
पूनम महाजन ने आगे कहा कि इस समय किसानों की समस्या को देखते हुए उनके लिए समाधान खोजना अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस किसान आंदोलन के पीछे कम्युनिस्ट शक्तियों को बताया, यानी अप्रत्यक्ष रूप से, ये सभी किसान यहां खुद की इच्छा से नहीं आएं हैं बल्कि इन्हे लालच देकर यहां भेजा गया है।
पूनम और बीजेपी मांगे माफ़ी
पूनम के इस बयान के बाद कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि किसानों को माओवादी कहना शर्मनाक है। ऐसा कहने वालों को इस देश पर नैतिक रूप से राज करने का कोई अधिकार नहीं है। पूनम और बीजेपी को सभी किसानों से माफ़ी मांगना चाहिए।
एनसीपी सुप्रीमो शारद पवार की बेटी और नेता सुप्रिया सुले ने भी ट्वीट कर पूनम महाजन के इस बयान पर आपत्ति जताई।
पायात काटा रुतल्यावर वाहणारं रक्त लाल असतं म्हणून ते माओवादी नसतं. शेतकऱ्याच्या कष्टाच्या घामालाही कुठल्याच राजकारणाचा वास नसतो. हा मोर्चा कष्टकऱ्यांचा आहे. न्याय्य हक्कांसाठी आंदोलन करणाऱ्या शेतकऱ्यांना शहरी माओवादी म्हणणाऱ्यांचा निषेध. #FarmersMarchToMumbai https://t.co/0gH0q7dzjh
— Supriya Sule (@supriya_sule) March 12, 2018