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सरकार में विदर्भ की घटती ताकत

अब मंत्रिमंडल में विदर्भ क्षेत्र के मंत्रियों की संख्या मांत्र पांच रह गई है, इनमें चार केबिनेट मंत्री हैं तो एक राज्य मंत्री है।

सरकार में विदर्भ की घटती ताकत
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राज्य की महाविकास आघाडी (mahavikas aghadi) सरकार में विदर्भ (vidarbha) का दबदबा कम हो गया है। पहले वन मंत्री संजय राठोड (sanjay rathod) और उनके बाद गृहमंत्री अनिल देशमुख ( home minister anil deshmukh) के इस्तीफे के बाद राज्य मंत्रिमंडल में विदर्भ क्षेत्र के मंत्रियों की संख्या कम हो गई है। अब मंत्रिमंडल में विदर्भ क्षेत्र के मंत्रियों की संख्या मांत्र पांच रह गई है, इनमें चार केबिनेट मंत्री हैं तो एक राज्य मंत्री है। मंत्रिमंडल में डॉ. नितीन राऊत (ऊर्जा), डॉ. राजेंद्र शिंगणे (अन्न तथा औषधि प्रशासन), विजय वडेट्टीवार (मदद तथा पुनवर्सन, ओबीसी कल्याण), सुनील केदार (पशुसंवर्धन, दुग्धविकास, क्रीड़ा तथा युवक कल्याण). एड. यशोमति ठाकुर (महिला तथा बाल कल्याण) बच्चू कडु (स्कूली शिक्षा, महिला बाल कल्याण, कामगार तथा अल्पसंख्यक विकास मंत्री पद पर काबिज हैं। गृह तथा वन मंत्री पद पर विदर्भ क्षेत्र हटने से अब मंत्रिमंडल में विदर्भ का वजन कम हो गया है।

राज्य की पूर्वमंत्री सरकार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis), वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (sudhir mungantiwar) जैसे नेताओं के कारण विदर्भ क्षेत्र का वर्चस्व उस वक्त भी बहुत ज्यादा था। राज्य की वर्तमान सरकार में भी एक वक्त ऐसा बीता है, जब विदर्भ का वर्चस्व ज्यादा रहा है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जो वर्तमान में विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता है, इनके अलावा कांग्रेस के वर्तमान महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले (nana patole) जो अभी कुछ माह पूर्व तक विधानसभा अध्यक्ष पद पर काबिज रहे हैं, लेकिन देखते ही देखते मंत्रिमंडल में विदर्भ क्षेत्र का महत्व कम हो गया। पहले नाना पटोले को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटाकर उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (maharashtra congress president) पद पर विराजित किया गया। इस वजह से राज्य की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी की पहली सरकार में विदर्भ का दबदबा काफी हद तक कम हो गया है।

वैसे संघ मुख्यालय होने की वजह से विदर्भ का नागपुर क्षेत्र जो राज्य की उपराजधानी भी है, का महत्व अपने स्थान पर ही है, लेकिन जहां तक राज्य सरकार और उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) के नेतृत्व वाली सरकार का प्रश्न है, इस सरकार में विदर्भ का प्रतिनिधित्व कम होता जा रहा है। उद्धव के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार में पश्चिम विदर्भ यानि अमरावती संभाग के पास दो कैबिनेट मंत्री पद है तो पूर्व विदर्भ यानि नागपुर विभाग के पास तीन कैबिनेट मंत्री पद हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में विदर्भ के 62 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के अलावा अन्य राजनीतिक दलों को अच्छी सफलता मिली थी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में विदर्भ क्षेत्र को बहुत ज्यादा महत्व मिला था। देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में फडणवीस के अलावा सुधीर मुनगंटीवार, चंद्रशेखर बावनकुले, राजकुमार बड़ोले, डॉ रणजीत पाटिल, प्रवीण पोटे, मदन येरावार, संजय राठौड़, प्रा. अशोक उईके, डॉ अनिल बोंडे, डॉ संजय कुटे,परिणय फुके तथा भाऊसाहेब फुडकर इस तरह 12 मंत्री विदर्भ क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल थे।

राज्य की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पहली सरकार में अगर विदर्भ को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की बात करें तो पता चलेगा कि सरकार में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व पश्चिम महाराष्ट्र को मिला है। सरकार में पश्चिम महाराष्ट्र से शामिल कैबिनेट मंत्रियों में उपमुख्यमंत्री अजित पवार, नवनिर्वाचित गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, बाला साहेब पाटिल का समावेश है। जहां तक इस क्षेत्र से मंत्रिमंडल में शामिल राज्य मंत्रियों का समावेश है, उनमें सतेज पाटिल, शभुंराज देसाई, विश्वजीत कदम, दत्ता भारणे, राजेंद्र पाटिल यड्रावकर का समावेश है। राज्य मंत्रिमंडल मुंबई के प्रतिनिधित्व का जहां तक सवाल है, उनमें मुख्यमंत्री  उद्धव ठाकरे, कैबिनेट मंत्री सुभाष देसाई, आदित्य ठाकरे, अनिल परब, असलम शेख, वर्षा गायकवाड तथा नवाब मलिक शामिल हैं। मुबंई के छोड़कर शेष कोकण क्षेत्र में केबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे, जितेंद्र आह्वाड, उदय सामंत मंत्रिमंडल में बने हुए हैं। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य मंत्री में अदिति तटकरे का समावेश है।

राज्य सरकार के मंत्रिमडल में उत्तर महाराष्ट्र से राकांपा के कद्दावर नेता तथा राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल, बालासाहेब थोरात, के.सी.पाडवी, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, शंकर राव गड़ाख केबिनेट स्तर के मंत्री हैं, जबकि इस क्षेत्र राज्य मंत्री के रूप में प्राजक्ता तनपुरे को स्थान मिला है। मराठवाडा क्षेत्र से कैबिनेट मंत्री के रूप में अशोक चव्हाण, धनंजय मुंडे, राजेश टोपे, अमित देशमुख, संदिपान भुमरे को स्थान प्राप्त है, जबकि राज्यमंत्री के रूप में अदबदुल सत्तार, संजय बंसोडे को स्थान मिला हुआ है। इस तरह देखा जाए तो सरकार के गठन के अल्पकाल में विदर्भ क्षेत्र का सरकार तथा मंत्रिमंडल में दबदबा कम हो गया है. गृहमंत्री तथा विधानसभा अध्यक्ष दोनों ही महत्वपूर्ण पद पर काबिज विदर्भ पुत्र अब इस पदों पर नहीं हैं।

अनिल देशमुख के स्थान पर दिलीप वलसे पाटिल को राज्य का नया गृहमंत्री बना दिया गया है, लेकिन नाना पटोले से रिक्त हुए विधानसभा अध्यक्ष पद पर अब तक किसी की भी नियुक्ति नहीं हुई है, ऐसे में कहा तो यह जा रहा है कि विदर्भ के बैकलॉक तो विधानसभा अध्यक्ष पद पर किसी वैदर्भीय नेता की नियुक्ति करके भरा जाएगा।

अब देखना यह है कि इस पद पर किसकी नियुक्ति होती है, ऐसी भी चर्चाएं होने लगी हैं कि गृहमंत्री की तरह कहीं विधानसभा अध्यक्ष पद पर पश्चिम महाराष्ट्र के ही किसी नेता की ताजपोशी न कर दी जाए. वैसे अभी स्पष्ट तौर पर किसी बड़े नेता का नाम विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए सामने नहीं आया है, चूंकि कांग्रेस (congress) की ओर से उप मुख्यमंत्री पद की मांग लगातार की जा रही है, ऐसे में अगर अजित पवार (ajit pawar) से उप मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष पद की कमान सौंपी जा सकती है। आगे क्या होगा, यह तो भविष्य के गर्त में है, लेकिन इतना तो तय है कि जिसे भी विधानसभा अध्यक्ष पद पर विराजित किया जाएगा, वह तेज तर्रार तथा कुशल राजनेता जरूर होगा। विधानसभा अध्यक्ष पद कांग्रेस के पास ही रहेगा या इस पद पर भी राकांपा का कब्जा होगा, यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं होगा।

NOTE : लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह उनके अपने विचार हैं।

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