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लोकसभा चुनाव लड़ रहे इस उम्मीदवार के खाते में है सिर्फ 1000 रुपये!

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) से चुनाव लड़ रहे विलास हिवाले ने सिर्फ 1ली तक ही पढ़ाई की है, मजदूरी कर पालते है घरवालों का पेट

लोकसभा चुनाव लड़ रहे इस उम्मीदवार के खाते में है सिर्फ 1000 रुपये!
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16वीं लोकसभा यानी की साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद सबसे ज्यादा करोड़पति सांसद चुने गए।  541 सांसदों में से 442 सांसद करोड़पति हैं। इनमें से 15 सांसद अरबपति हैं। इतना ही नहीं इस साल हो रहे लोकसभा चुनाव में भी लगभग कई हजार करोड़ रुपये पार्टियां सिर्फ प्रचार में खर्च कर रही है। कई उम्मीदवार तो ऐसे है जिनकी संपत्ति साल 2014 के मुकाबले काफी बढ़ गई है। सभी बड़ी पार्टियों के लगभग हर उम्मीदवारो ने चुनाव प्रचार में खर्च करने के लिए एक बड़ी रकम निर्धारित की है , तो वही एक एक शख्स ऐसा भी है जो सिर्फ 1000 रुपये के साथ लोकसभा चुनाव लड़ रहा है।  

कांदिवली में रहनेवाले विलास विठ्ल हिवाले इस बार के लोकसभा चुनाव में उत्तर मुंबई से लड़ रहे है।  विलास हिवाले ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की ओर से अपना नामांकन भरा है।  विलास के नामांकन पत्र के अनुसार उनके पास सिर्फ 1000 रुपये है और वह भी उनके बैंक खाते में।  इसके अलाव गांव में उनकी एक खेती की पुस्तैनी जमीन है और कांदिवली में एक झोपड़पट्टी जहां वह रहते है।

मजदूरी का करते है काम
विलास पेशे से मजूदर है , वह रोज की कमाई से अपने परिवार का पालन पोषण करते है।  अगर किसी दिन वह काम पर नहीं जाते है तो उस दिन उनकी कोई भी कमाई नहीं होती है। मजदूर होने के कारण उनकी रोज की कमाई से ही उनका घर चलता है। मजदूरी करने के साथ साथ  वह जब भी अपने गांव जाते है तो किसानी का काम करते है , लेकिन किसानी में ज्यादा कमाई ना होने के कारण ही उन्होने मुंबई आकर मजदूरी का काम शुरु किया था। 

आर्थिक खराब परिस्थितियों के कारण कक्षा पहली तक ही की है पढ़ाई  

विलास के पिताजी की आर्थिक स्थिती अच्छी नहीं थी।  विलास ने अपनी 1ली तक की पढ़ाई मुंबई से ही की , लेकिन विलास के पिताजी रोजी रोटी के लिए वापस अपने गांव चले गए , लेकिन जब गांव में भी कुछ खास नहीं हुआ तो वह फिर से मुंबई आकर अपने परिवार का पेट पालने लगे। विलास के तीन और भाई और एक बहन भी है।  गरीबी के कारण विलास ने बचपन में ही काम करना शुरु कर दिया था , जिसके कारण वह अपनी पढ़ाई तक पूरी नहीं कर पाये।  

चुनाव प्रचार के लिए अपनों का साथ
विलास का कहना है की वह मजदूरी का काम करते है इसलिए अगर एक दिन भी काम पर ना जाए तो उनके घर में चुल्हा नहीं चलेगा। इसलिए विलास दिनभर में अपना काम निपटाने के बाद शाम को अपने अन्य मजदूर साथियों के साथ लोगों से मिलते है और उन्हे अपने मुद्दों के बारे में बताते है।  विसाल के इस कार्य में उनके अन्य मजदूर दोस्तों के साथ साथ उनके पड़ोसी भी उनका साथ देते है और  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के कार्यकर्ता भी उनके साथ घूमते है।  हालांकी आनेवाली 12 अप्रैल के बाद वह लोगों से मेल मुलाकात और तेज करेंगे।  

झोपड़पट्टी, शिक्षा और रोजगार है मुद्दे

विलास हिवाले के कहना है की उन्होने गरीबी में ही जिंदगी गुजारी है इसलिए वह गरीबो के दर्द को अच्छ से समझते है।  मुंबई में आज झोपड़पट्टियों वालों के साथ काफी अन्याय होता है , कई जगहों पर उनके घर टूटने के बाद भी उन्हे घर नहीं दिये जाते, झोपड़पट्टी में बिना स्थानिय लोगों को बताये ही सर्वे किया जाता है, जिससे झोपड़पट्टीवालों के साथ अन्याय होता है।  इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने और कॉन्ट्रेक्ट सिस्टम की नौकरियों को कम कर परमानेंट नौकरी के मुद्दों को भी उन्होने प्राथमिकता दी है।  

लोगों ने मिलकर जमा किया डिपोजिट का पैसा

चुनाव में नामांकन भरने के लिए उम्मीदवार को एक फिक्स रकम डिपोजिट के तौर पर भरना होता है।  विलास का कहना है की उनके डिपोजिट की रकम को भी अलग अलग लोगों ने जमा किया और उसे नामांकन के साथ दिया गया।  आपको बतादे की उत्तर मुंबई से बीजेपी की ओर से सासंद गोपाल शेट्टी और कांग्रेस की ओर से अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर चुनावी मैदान में है।  


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