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अमित शाह का कोंकण दौरा, क्या BJP में नारायण राणे का कद बढ़ेगा?

अमित शाह के कोकण दौरे के बाद नारायण राणे की ओर सबकी नज़र जरूर रहेंगी। भाजपा में प्रवेश के बाद गुम से हो गए नारायण राणे एक बार ताकत के साथ सामने आए हैं, ऐसा कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा।

अमित शाह का कोंकण दौरा, क्या BJP में नारायण राणे का कद बढ़ेगा?
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भाजपा-शिवेसना (bjp-shiv sena) के बीच की दोस्ती अब इतिहास की बात बनती जा रही है। कभी हर मुद्दे पर एक जुबान में बोलने वाली भाजपा-शिवसेना के बीच बड़े भाई-छोटे भाई के रिश्ते की कड़वाहट आने वाले दिनों में भी बरकारार रहेगी, ऐसा इसीलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि पिछड़े दिनों जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (central home minister amit shah) महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के दौरे पर आए थे तो उन्होंने सिंधुदुर्ग जिले के ओरोस में मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन के दौरान महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी (mva) की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की सरकार के रहते समय भाजपा (bjp) ने शिवसेना (shiv sena) का साथ नहीं दिया होता तो आज शायद शिवसेना का अस्तित्व ही समाप्त हो गया होता। 

अमित शाह ने 7 फरवरी को नारायण राणे (narayan rane) के गढ़ में उद्धव ठाकरे को जिस तरह से ललकारा है, उससे यह बात निकलकर सामने आई है कि ढाई दशकों तक साथ-साथ सत्ता का सुख लेने वाले भाजपा-शिवसेना के बीच की राजनीतिक दूरियां अभी-भी कम नहीं हुई हैं। कोकण दौरे में अमित शाह की ओर से दिए गए बयान किस ओर इशारा करते हैं, उसे समझना बहुत जरूरी हैं। राज्य में शिवसेना, राकांपा तथा कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को बईमान सरकार कहने वाले देवेंद्र फड़णवीस ने राज्य भर में महाविकास आघाडी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पेट्रोल-डीजल, रसोईगैस, सिलेंडर तथा बिजली के बढ़े भाव के मुद्दे पर भाजपा की ओर से राज्य भर में आंदोलन किया जा रहा है, ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को निशाने लेना यही बता रहा है कि अभी-भी खटास कम नहीं हुई है।

अपने सिधुदुर्ग दौरे में अमित शाह ने कांग्रेस (Congress) से भाजपा में आए नारायण राणे के बारे में कहा कि जब नारायण राणे ने भाजपा का दामन थामा था, उस वक्त यह कहा जा रहा था कि नारायण राणे को भाजपा में महत्व मिलेगा कि नहीं। अपने दौरे में अमित शाह ने यह भी खुलासा किया कि नारायण राणे संघर्ष करने वाले नेता है, वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेता हैं। नारायण राणे के बारे अमित शाह के गौरव उद्गार को समझे बगैर यह जानना मुश्किल होगा कि अमित शाह के सिंधुदुर्ग दौरे के क्या मायने हैं। कांग्रेस के भाजपा में आए नारायण राणे के लिए केंद्रीय मंत्री तथा वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह के बोल बहुत कुछ कहते हैं। नारायण राणे ने भाजपा में प्रवेश करते समय बहुत से सपने बुने थे। दरअसल नारायण राणे ने भाजपा में प्रवेश इसलिए किया था कि वे राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हो, लेकिन देंवेंद्र फडणवीस नहीं चाहते थे कि नारायण राणे उनकी सरकार का हिस्सा बनें। देवेंद्र फडणवीस की नज़र में नारायण राणे की छवि कुछ वैसी ही थी जैसी एकनाथ खड़से के बारे में थी। 

कभी भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार एकनाथ खड़से (eknath khadse) अब राकांपा (ncp) के नेता बन गए हैं और राकांपा उन्हें भाजपा के खिलाफ बयानबाजी करने के लिए इस्तेमाल कर रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने जिस तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बारे में यह कहा था कि उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने ढाई-ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री दोनों दलों के होंगे, ऐसा आश्वासन दिया था, इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने सिंधुदुर्ग दौरे पर खुलासा करते हुए कहा कि मैं बंद कमरे में कभी राजनीति नहीं करता। उन्होंने इस दौरान यह भी साफ किया कि मैंने कभी-भी शिवसेना को यह शब्द नहीं दिया था कि महाराष्ट्र में उनका मुख्यमंत्री होगा। अमित शाह ने अपने इस दौरे में इस बात का भी खुलासा किया कि 2019 के विधानसभा में जो जनादेश सामने आया, उसके आधार पर राज्य की जनता ने सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा को ही पंसद किया था। जनादेश भाजपा-शिवसेना गठबंधन के लिए था न कि शिवसेना- राकांपा- कांग्रेस की साझा सरकार के लिए। 

जनादेश को ठुकराकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी की जो सरकार बनी है, वह एक जनादेश की अवमानना ही है। राकांपा तथा शिवसेना को 2019 के विधानसभा चुनाव में मिली सीटों का फासला सिर्फ दो सीटों का है, ऐसे में राकांपा सरकार में शामिल होकर अपनी ताकत बढ़ा रही है। राकांपा प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल (jayant patil) की राकांपा परिवार संवाद रैली के माध्यम से यही तो तलाशा गया कि राकांपा कहां-कहां कमजोर है और कहां-कहां उसे अपनी ताकत और ज्यादा बढ़ानी है। राज्य पूर्व मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा वर्तमान में भाजपा के नेता बन चुके नारायण राणे (narayan rane), विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता प्रवीण दरेकर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल तथा गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की मुख्य उपस्थिति में अमित शाह ने शिवसेना तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ-साथ राज्य की महाविकास आघाडी सरकार पर जिस तरह से निशाना साधा, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि भाजपा-शिवसेना के बीच के कटु रिश्ते अभी-भी बरकरार हैं। 

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी (nitin gadkari) द्वारा शिवसेना के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी (manohar joshi) तथा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से की गई मुलाकात के बाद यह उम्मीद जगी थी कि भाजपा-शिवसेना के बीच बढ़ी दूरी जल्दी ही खत्म हो जाएगी और दोनों के बीच के कटु रिश्ते मधुर रिश्तों में तब्दील हो जाएंगे, लेकिन अमित शाह के सिधुदुर्ग दौरे के बाद इस बात खुलासा हो गया कि अभी-भी दोनों राजनीतिक दलों के बीच कड़वाहट दूर नहीं हुई है। अमित शाह की ओर से की गई प्रशंसा के बाद नारायण राणे शिवसेना के खिलाफ अपनी आवाज को और तेज करेंगे, रही सही कसर देवेंद्र फडणवीस पूरी कर देंगे। बहरहाल, अमित शाह के कोकण दौरे के बाद नारायण राणे की ओर सबकी नज़र जरूर रहेंगी। अमित शाह की ओर से की गई प्रशंसा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विरोध में वातावरण बनाने में कितनी कारगर होती है, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन भाजपा में प्रवेश के बाद गुम से हो गए नारायण राणे एक बार भी सामने आएंगे, अगर ऐसा कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह उनके विचार हैं।) 

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