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मुंगेरीलाल जैसा हसीन सपना देख रही उद्धव सरकार

सरकार के गठन के बाद लंबे समय तक मंत्रिमंडल के गठन को लेकर खींचतान जारी रही। भयंकर गतिरोध के बाद मंत्रिमंडल का कामकाज शुरु हुआ।

मुंगेरीलाल जैसा हसीन सपना देख रही उद्धव सरकार
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जनादेश (mandate) के विपरीत जाकर शिवसेना (shiv sena) ने भाजपा (BJP) का साथ छोड़ा और कांग्रेस-राकांपा (congress-NCP) से हाथ मिलाकर राज्य में महाविकास आघाडी (Mahavikas aghadi) की सरकार का गठन किया। सरकार के गठन के बाद लंबे समय तक मंत्रिमंडल के गठन को लेकर खींचतान जारी रही। भयंकर गतिरोध के बाद मंत्रिमंडल का कामकाज शुरु हुआ। अभी सरकार ने अपना कामकाज शुरु किया ही था कि कोरोना वायरस (Coronavirus) कारण देश भर में लॉकडाऊन (lockdown) किया गया। लॉकडॉउन के आरंभिक दिनों राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना हुई, लेकिन धीरे-धीरे हालात इतने खराब हो गए कि महाराष्ट्र राज्य कोरोना (Corona in maharashtra) प्रभावित मरीजों की संख्या में देशभर में सबसे आगे आ गया। कोरोना के कहर के बीच साधुओं पर हमला, किसानों की उपेक्षा, लॉकडाउन के कारण राज्य के अलग-अलग हिस्सों में फंसे लोगों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था में हुई लापरवाही समेत कई ऐसे मामले रहे, जिसमें सरकार के कामकाज पर सवाल उठते रहे, इन सबके बीच कंगना राणावात (kangana ranaut) की बचानबाजी, उसके घर पर मपा का बुलडोजर चलने, पूर्व नौ सैनिक पर शिवसैनिकों की ओर किया गया हमला, शिक्षकों की नाराजगी, मराठा आंदोलन में सरकार के विरोध में नारेबाजी इन सभी के बीच शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता तथा राज्यसभा सांसद संजय राऊत (sanjay raut) का यह कहना कि तीन दलों की सरकार पांच साल चलेगी। तमाम विरोधों तथा विपक्ष की ओर से लगातार हो रहे हमले के बीच राज्य की तीन दलों की महाविकास आघाडी (MVA) की सरकार के पांच साल चलने का सपना देखना मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने के अलावा कुछ और नहीं है। 

सरकार में शिवसेना, राकांपा तथा कांग्रेस (shivsena-congress-ncp) रूपी तीन पहिए हैं, इन तीन पहियों में से दो पहिए ज्यादा काम में लाए जा रहे हैं। कहने को तो शिवसेना (shiv sena) सरकार के सबसे आगे का पहिया है, लेकिन इस पहिए को बहुत से मामलों में खुद चलने की अनुमति नहीं है, इस पहिए में जो हवा है, वह उसकी खुद की नहीं है, अगर गाहे-बगाहे सरकार की ओर से कोई मनमानी हो गई तो उसकी हवा निकाली ली जाती है। सरकार का तीसरा पहिया अक्सर खामोश ही रहता है। हालांकि एक दो बार यह नाराज हो चुका है और सरकार के मुखिया उद्धव ठाकरे (रिमोट वाले)के घर पर दस्तक देने के बाद अपनी व्यथा से भी उन्हें अवगत करा चुका है, लेकिन इस पहिए को पूरी तरह से समाधान नहीं मिला है। भाजपा को फिर से सत्ता में नहीं आने देना है इसलिए शिवसेना-रांकापा (shiv sena - NCP) तथा कांग्रेस की इस तिकड़ी की सरकार को टिकाए रखने की हर कोशिश की जा रही है। 

राज्य में हुई दो तीन घटनाओं के बाद राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए जिस तरह से गुहार लगायी गई, उससे इस बात की पुष्टि भी हुई सरकार गिराने के प्रयास जारी है। पिछले दिनों अभिनेत्री कंगना राणावत ने राजभवन में जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी (governor bhagat singh koshyari) से कहा कि मुंबई (mumbai) में सुरक्षित नहीं हूं, मुंबई की जनता भी यहां हो रही घटनाओं से भयभीत है, ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) लगातार अपनी ओर से राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास सरकार के आने के बाद से भाजपा बदले की भावना से काम कर रही है, ऐसा आरोप कांग्रेस ने लगा है। कांग्रेस का कहना है कि राज्य से सत्ता जाने के बाद से भाजपा येन-केन-प्रकारेण महाराष्ट्र की जनता को परेशान कर रही है। 

मुंबई, महाराष्ट्र तथा मराठी कलाकारेम का अपमान करने वाली कंगना राणावत को भाजपा की ओर से दिया जा रहा समर्थन क्या बता रहा है, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। कंगना राणावत के मसले पर शिवसेना तथा कांग्रेस का एक स्वर होने के बावजूद कंगना राणावत के समर्थन में आने वालों की संख्या में काफी ज्यादा है।  राज्य में करोना महामारी का फैलाव दिनों दिन बढता ही जा रहा है। कोरोना को मात देने के लिए सरकार की ओर से माझे कुटुंब, माझी जिम्मेदारी अभियान पिछले दिनों शुरु किया गया, लेकिन नियोजन के अभाव में इस अभियान के सफल होने के आसार कम ही नज़र आ रहे हैं। 25 अक्टूबर तक चलने वाले माझे कुटुंब, माझी जिम्मेदारी अभियान अगर सफल हुआ और कोरोना का कहर कम हुआ तो राज्य सरकार की स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार होगा। सरकार निर्माण में अग्रणी भूमिका अदा करने वाले राकांपा सुप्रिमो समेत राकांपा के अन्य नेता अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। 

उपमुख्यमंत्री अजित पवार (ajit pawar) तथा गृहमंत्री अनिल देशमुख (anil deshmukh) को आदेश देने जैसी मजबूती मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) के पास नहीं है, उस पर विपक्ष की आक्रामकता, शिवसैनिकों की मनमानी और मनपा के अतिक्रमण विभाग के बुलडोजर ने राज्य सरकार की जो किरकिरी की है, उसे देखते हुए शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राऊत (sanjay raut) का यह कहना कि राज्य की महाविकास आघाडी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाती है या नहीं। फिलहाल सरकार का कामकाज और उस पर विपक्ष की ओर से किए जा रहे प्रहार को देखते हुए यह कहना ही उचित है कि सरकार का पांच साल तक सरकार चलाने का सपना देखना मुंगेरीलाल के हसीन सपने के अलावा कुछ और नहीं है।

(Note : यह लेखक के अपने विचार हैं। इसका मुंबई लाइव से कोई संबंध नहीं है।)

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