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मदर टेरेसा के ये विचार सिखाएंगे जीवन का मकसद!


मदर टेरेसा के ये विचार सिखाएंगे जीवन का मकसद!
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‘बीता कल गुजर गया, आने वाला कल अभी नहीं आया। मेरे पास बस आज का दिन है।‘ पूरे विश्व को इस तरह के थॉट्स दिए हैं प्रेम की मूरत मदर टेरेसा नें। आज उनका जन्म दिवस है। मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसीडोनिया की राजधानी सोप्ज में हुआ था। 87 साल की उम्र 5 सितंबर 1997 में वे इस दुनियां को अलविदा कहकर चली गईं। पर आज भी वे और उनके थॉट्स लोगों के बीच जिंदा हैं। उन्होंने जाति-पांति, काले-गोरे का भेदभाव किए बगैर सारा जीवन गरीब और निःसहाय लोगों की मदद में समर्पित किया है। हमारे समाज को चाहिए की वे मदर टेरेसा के जीवन से सीख लेते हुए प्रेम के दीपक जलाएं।


शायद ये आप नहीं जानते होंगे

  • मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। उनका दिल उनके नाम की ही तरह कोमल था, जो गरीब को सहारा देकर ही सांस लेता था।  
  • मदर टेरेसा एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती थीं। वे 5 बहने थी जिनमें मदर टेरेसा सबसे छोटी थीं। जब वे मात्र 8 साल की थी उसी समय उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद मदर टेरेसा का लालन पालन उनकी मां ने किया।
  • मदर टेरेसा को मिल बांटकर खाने की प्रेरणा उनकी मां से ही मिली थी। आर्थिक स्थिति बेहतर ना होने की वजह से मदर टेरेसा की मां उनसे कहा करती थी कि जो भी है हमारे पास उसे मिलबांटकर खाना चाहिए।
  • मात्र 16 साल की उम्र में मदर टेरेसा रोमन कैथोलिक नन बन गईं थी। दो साल बाद उन्हें मदर टेरेसा नाम मिला।
  • मदर टेरेसा 1929 में कलकत्ता शिफ्ट हुई थी, 15 सालों तक उन्होंने यहां पर गरीब बालिकाओं को शिक्षी दी। 1950 में रोमन कैथोलिक ऑर्गनाइजेशन के तहत भारत में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शुरुआत की थी।
  • मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था बेसहारा, कोढ़ और क्षय रोग के पीड़ितों के कल्याण और पुनर्वास का काम करती है। यह संस्था अब 4500 सक्रिय सिस्टर्स की मदद से 133 देशों में काम कर रही है।
  • मैला ढोने वालों के सम्मान के लिए टेरेसा ने पूरी जिंदगी नीली धारी वाली सफेद साड़ी पहनी थी। ऐसा भी कहा जाता है कि उनके पास सिर्फ 3 साड़ियां ही थी।
  • इस महान कार्य के लिए मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मृत्यू के पश्चात उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।


मदर टेरेसा के ये थौट्स जीवन को देंगे नई दिशा

  • हम भविष्य से डरते हैं क्योंकि आज को बर्बाद कर रहे हैं।
  • मैं स्वर्ग से बाहर रहकर उन लोगों के दिलों में रोशनी पैदा करूंगी, जो अंधेरे में हैं।
  • बड़े स्तर पर चीजें करने से मैं सहमत नहीं हूं। हमारे लिए अकेला इंसान भी मायने रखता है।
  • साधरण काम कीजिए, लेकिन उसे असाधरण प्रेम के साथ कीजिए।
  • एक दूसरे से मिलते वक्त मुस्कुराइए, क्योंकि मुस्कुराना ही प्रेम की शुरुआत है।  
  • प्रेम की शुरुआत घर से होती है।
  • मैं हर देश प्यार करती हूं, मैं ईश्वर की संतान हूं, जो हर इंसान से प्रेम करती है।
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