मुंबई जैसे शहर में आपने अनगिनत लोगों को कटे-फटे कपड़ों, कई दिनों से न नहाने वाले, लंबी दाढ़ी, घने बालों में घूमने वाले अनेकों को देखा होगा। कोई भी इन जैसे लोगों को देख कर मुंह बिचकाता हुआ निकल जायेगा। लेकिन एक ऐसा शख्स है जो ऐसे लोगों की ढूंढकर बड़े ही अनोखे तरीके से उनकी मदद करता है।
इस शख्स का नाम है रविन्द्र बिरारी, जो पेशे से नाई का काम करते हैं। लेकिन ये घूम घूम कर ऐसे लोगों के भी बाल काटते हैं जो रास्ते के बेसहारा होते हैं, भिखारी होते हैं, जिनके दाढ़ी बाल काफी लंबे हो चुके होते हैं।
टिटवाला के रहने वाले रवींद्र बिरारी ने इस तरह सैकड़ों ऐसे लोग के बाल काट चुके हैं, वो भी बिल्कुल मुफ्त में। साथ ही वे ऐसे लोगों को मुफ्त में नए कपड़े भी पहनाते हैं।
रेलवे स्टेशनों पर घूम कर लोगों के बाल काट कर अपना घर चलाने वाले बिरारी कुछ समय निकालकर भिखारियों, विकलांगों, नेत्रहीनों के मुफ्त में बाल काटते हैं।
पिछले आठ वर्षों से, रवींद्र बिरारी ने रेलवे स्टेशन पर निराश्रित, भिखारियों और विकलांगों की इसी प्रकार से सेवा करते आ रहे हैं। लेकिन यह कार्य इतना सरल भी नहीं था जितना कि यह लगता है।
बिरारी हर सोमवार रेलवे स्टेशनों और अनेकों इलाकों में घूमते हैं, और ऐसे लोगों को ढूंढते हैं जिनके दाढ़ी और बाल काफी लंबे होते हैं। ऐसे लोग से बिरारी खुद बात करते हैं और उनसे दाढ़ी बाल कटाने का निवेदन करते हैं। ये खुद मुफ्त में दाढ़ी बाल काटने की बात कहते हैं। कई लोग तो हिंसक व्यवहार करने लगते हैं, जिसके बाद बिरारी उनसे दोस्ताना व्यवहार करते हैं, उन्हें कुछ खाने पीने के लिए देते हैं। और जब सामने वाला निश्चिन्त हो जाता है तो उसका मुफ्त में दाढ़ी बाल काटते हैं।
बढ़ती दाढ़ी उन्हें समझाती है कि उन्हें अपने बाल काटने की जरूरत है। लेकिन अक्सर उन्हें खारिज कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में रवींद्र धीरे-धीरे अपना विश्वास हासिल करने की कोशिश करता है। अक्सर यह उनके साथ मारपीट करने का समय होता है। लेकिन रवींद्र ने अपना काम जारी रखा।
कई बार तो स्थितियां इतनी गंभीर हो जाती हैं कि बिरारी को ऐसे लोगों से मार तक खाना पड़ा है, लेकिन अपनी धुन के पक्के बिरारी अपना काम लगातर करते हैं।
अब तक, रवींद्र बिरारी ने मानसिक रूप से बीमार और अपंग, कई भिखारियों के बाल और दाढ़ी काटे हैं। ऐसा करते हुए उन्हें कई अजीब अनुभव भी हुए हैं।
वे कहते हैं, मैं पिछले 8 सालों से यह काम कर रहा हूं। मुझे ऐसा करने में बहुत समस्याएँ आती हैं। लेकिन मैं कभी पीछे नहीं हटा। अक्सर ऐसा हुआ है कि दाढ़ी और बाल कटवाने के बाद किसी की याददाश्त लौट आती है। उन्होंने अपनी पहचान बताई है। और कई लोग यह भी भूल जाते हैं कि उनका चेहरा पहले कैसा दिखता था। लेकिन दाढ़ी, बाल और कपड़े पहनने के बाद, वे उन दिनों को याद करते हैं।
सड़क के किनारे बैठे भिखारियों की हालत अक्सर खराब रहती है। उनके शरीर पर घाव हैं। इसमें कीड़े भी होते हैं। लेकिन रवींद्र उसके पास जाते हैं और उसकी दाढ़ी और बाल काटते हैं। वे उनके घावों को साफ करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वे अक्सर खुद कई बार बीमार पड़ जाते हैं।
रवींद्र अपने दम पर एक सैलून चलाने की कोशिश कर रहे हैं। ताकि वे ऐसे और अधिक लोगों तक पहुंच सकें और उनकी सेवा इसी माध्यम से कर सकें, लेकिन इसके लिए उन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है। जिसे अकेले बिरारी पूरा करने में असमर्थ हैं।