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13 साल की कैंसर पीड़ित बच्ची के लिए भगवान बने स्टेशन मास्टर विनायक शेवाले

रेलवे विभाग ने भी शेवाले के इस काम से खुश होकर उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

13 साल की कैंसर पीड़ित बच्ची के लिए भगवान बने स्टेशन मास्टर विनायक शेवाले
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किसी भी मरीज के लिए उसकी मेडिकल फ़ाइल कितनी महत्वपूर्ण होती है यह सभी जानते हैं। यह बात एक कैंसर मरीज के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। अब जरा कल्पना कीजिये कि एक कैंसर मरीज की मेडिकल फ़ाइल गुम हो जाएं या फिर ट्रेन में छुट जाए तो मरीज पर क्या बीतेगी? वह भी तब जब उस फ़ाइल में मरीज के एक साल की मेडिकल हिस्ट्री हो। दरअसल यह कल्पना नहीं बल्कि हकीकत में हुई घटना है।

13 साल की ख़ुशी जिसे पेट का कैंसर था, उसका ऑपरेशन भी हुआ था। उसकी मेडिकल फ़ाइल ट्रेन में उस समय छुट गयी जब वह इलाज के लिए अपनी मां के साथ टाटा मेमोरियल अस्पताल जा रही थी। लेकिन भला हो उस स्टेशन मास्टर का जिसने डेढ़ घंटे की कड़ी मेहनत के बाद आखिर ख़ुशी की मेडिकल हिस्ट्री ढूँढ ही निकाली और उसे ख़ुशी को सौंप दिया।

नवी मुंबई के पनवेल की रहने वाली ख़ुशी अपनी मां साधना सोनार (38) के साथ रेगुलर चेकअप कराने के लिए टाटा अस्पताल जा रही थी। इन्होने पनवेल से सीएसटी जाने वाली लोकल ट्रेन पकड़ी। ट्रेन जब शिवड़ी स्टेशन पहुंची तो दोनों उतर गये, लेकिन उतरने के बाद इन्हें पता चला कि ख़ुशी की मेडिकल हिस्ट्री की फाइल तो ट्रेन में ही छुट गयी। इसके बाद तो ख़ुशी की मां साधना का तो दिल ही बैठ गया। जिस थैली में ख़ुशी की मेडिकल हिस्ट्री थी उसमे 10 हजार रुपए भी थे। इसके बाद साधना ने स्टेशन मास्टर विनायक शेवाले को सारी बात बताई।

साधना की सारी बात सुनने के बाद शेवाले ने उसने धैर्य रखने और हरसंभव मदद की बात कही। इसके बाद शेवले ने शिवड़ी और सीएसटी के बीच पड़ने वाले सभी स्टेशन के स्टेशन मास्टरों को इस बारे में जानकारी दी, साथ ही उन्होंने सीएसटी कंट्रोल रूम में कॉल कर इसकी खबर दी। जब ट्रेन सीएसटी पहुंची तो उसे वापस वाशी जाना था लेकिन शेवाले के फोन के कारण ट्रेन का शेड्यूल बदलकर उसे वापस पनवेल भेज दिया गया। 

और जब ट्रेन वापस शिवड़ी पहुंची तो शेवले ने कोच में चढ़कर बैग को ढूंढ निकाला। इस काम में शेवाले को डेढ़ घंटे लग गये लेकिन इनकी मेहनत रंग लाई और खुशी की फाइल मिल गई।

साधना और ख़ुशी दोनों शेवाले को धन्यवाद दिया और साधना ने कहा कि यह फ़ाइल उनके लिए बहुत जरुरी थी, इसे पा कर वे कितनी खुश हैं बता नहीं सकती। अगर यह फ़ाइल नहीं मिलती तो काफी नुकसान हो जाता। साधना सोनार, खुशी की मां 

अब रेलवे विभाग ने भी शेवाले के इस काम से खुश होकर उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है।

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