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सौर ऊर्जा पर चलनेवली मस्जिद


सौर ऊर्जा पर चलनेवली मस्जिद
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भारत में भले ही हर गांव में बिजली आ गई हो लेकिन अभी भी हर घर में बिजली आना बाकी है। सरकार ने हमेशा से ही पारंपरिक उर्जा के साथ साथ सौर उर्जा को भी बढ़ावा दिया है। सौर उर्जा से ना ही सिर्फ उर्जा की बजत होती है बल्की कम दाम पर बिजली मिल जाती है। कार्बन उत्सर्जन के खिलाफ लड़ाई में, सौर ऊर्जा अब एक खास हथियार बन गया है। रिहायशी इलाको और बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स के बाद अब धार्मिक स्थल भी सौर उर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे है।

मालाड के पठानवाड़ी में स्थित नूरानी मस्जिद ने सौर उर्जा को अपनाने की अच्छी पहल की है। यह मुंबई की आठवीं मस्जिद है जो बिजली बचाने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करती है।

बिजली बचाने की पहल
नूरानी मस्जिद की छत पर सोलर पैनल लगाए गए हैं। 25 किलोवाट क्षमता वाले 72 सौर पैनल बनाए गए हैं। गर्मी के दौरान, सौर प्रणाली 110 यूनिट बिजली का उत्पादन करती है और मानसून के मौसम में 80 यूनिट बिजली उत्पन्न करती है। इसका उपयोग लाइट्स, पंखे, एसी और अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है।

बिजली के साथ पैसे की बचत
सोलर पैनल की मदद से सालाना 35 हजार यूनिट्स बिजली जेनरेट होती हैं। मस्जिद की वार्षिक लागत 80 हजार यूनिट है। इसलिए,सौर पैनल की मदद से हर साल मस्जिद को लगभग 4.3 लाख रुपये की बचत होती है। मस्जिद के ट्रस्टियों के अनुसार, बिजली बिल 85 हजार 300 रुपये घटकर 37 हजार 400 रुपये हो गया।

कंपनी ने MSSS ग्रीन टेक के लिए सोलर पैनल लगाए हैं। कंपनी के मुताबिक, मस्जिद की छत पर ज्यादा जगह उपलब्ध है। जिसके कारण परियोजना के दूसरे चरण में एक और 25 किलोवाट क्षमता को और भी शामिल किया जा सकता है। 2020 तक, मस्जिद का बिजली बिल 90 प्रतिशत तक कम होने की उम्मीद है। कंपनी ने यह स्पष्ट किया है कि इस परियोजना को स्थापित करने के लिए 15.23 लाख की राशि साढ़े तीन साल में जमा की जाएगी।

ट्र्स्ट के अध्यक्ष रशिम गुलाम रसूल मरेडिया का कहना है की" हमारे द्वारा उठाया गया ये कदम पर्यावरम की दृष्टी से काफी महत्तवपूर्ण है, आगे आनेवाले पीढ़ियों के लिए उर्जा का बचाव काफी जरुरी है , हम सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली बचाने की कोशिश कर रहे हैं, सौर ऊर्जा के उपयोग से 17.5 टन कार्बन डाइऑक्साइड को पैदा होने से रोका गया"।

सौर उर्जा का इस्तेमाल करनेवाली नूरानी मस्जिद कोई पहली मस्जिद नहीं है। मुंबई ऐसी कुल 7 और मस्जिदे है जो इस सौर पैनल का इस्तेमाल करते है। मदरसा-ए-मोहमदडिया, आग्रिपाड की आकाश मस्जिद, कलबादेवी इथली जामा मस्जिद, मोहम्मद अली रोड की मीनारा मस्जिद, मस्जिद बंदर की झकारिया मस्जिद और भायखला की ताक्वा मस्जिद सौर उर्जा पैनल का इस्तेमाल करते है।

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