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लॉकडाऊन का असर, देश में सबसे अधिक तनावग्रस्त हैं मुंबई के लोग

इस लॉकडाउन का देश के नागरिकों पर मानसिक रुप सेे बड़ा प्रभाव पड़ा है, जिसमें 65 प्रतिशत लोग मध्यम से गंभीर स्तर के तनाव का अनुभव कर रहे हैं।

लॉकडाऊन का असर,  देश में सबसे अधिक तनावग्रस्त हैं मुंबई के लोग
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कोरोना (Coronavirus) के प्रसार को रोकने के लिए मार्च महीने में देश भर में लॉकडाउन (lockdown) लगाया गया था। जिसके 4 महीने बाद सरकार की तरफ से अनलॉक (unlock) के दौरान धीरे धीरे कुछ क्षेत्रों में छूट दी जा रही है। हालांकि अब तक काफी क्षेत्रों में ढील दी जा चुकी है।

साथ ही इस लॉकडाउन (lockdown) में कई कारखाने और उद्योगधंदे बंद हो जाने से कई व्यापारियों को आर्थिक रूप से नुकसान भी हुआ। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि इस लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ गया है। इस सर्वेक्षण में इस कोरोना (Coronavirus) और लॉकडाउन (lockdown) काल में चौकानें वाली खबर यह है कि मुंबई के नागरिक देश में सबसे अधिक तनाव में जी रहे हैं।

इस सर्वेक्षण को your dost नामकी मेंटल हेल्थ संस्था ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा कराया।

इस सर्वेक्षण के अनुसार मुंबई में तनाव 48 प्रतिशत बढ़ गया है। इसके बाद बेंगलुरु, दिल्ली और चेन्नई का क्रमशः 37, 35 और 23 प्रतिशत स्थान है। यह बात 'मेंटल हेल्थ इन कोविड एंड लॉकडाउन इन इंडिया' के अध्ययन में सामने आई है।

इस सर्वेक्षण के लिए, अप्रैल और जून के बीच देश में 8,396 लोगों का अध्ययन किया गया था। इस लॉकडाउन का देश के नागरिकों पर मानसिक रुप सेे बड़ा प्रभाव पड़ा है, जिसमें 65 प्रतिशत लोग मध्यम से गंभीर स्तर के तनाव का अनुभव कर रहे हैं। लॉकडाउन की शुरुआत में 33% लोग बहुत तनाव में थे। जबकि जुुन के अंत तक यह आंकड़ा बढ़कर 55.3 प्रतिशत हो गया था।

इन तनावग्रस्त लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह सता रही थी कि यह लॉकडाउन कब तक चलेगा। लंबे समय तक चलने वाले लॉकडाउन ने काम और जीवन का संतुलित भी बिगाड़ दिया है।  पांच में से दो भारतीय श्रमिकों को वेतन कटौती का भी सामना करना पड़ा है।

सर्वेक्षण में शामिल लोगों में 41 प्रतिशत तक चिंता बढ़ गई थी। लॉकडाउन ने 38% लोगों के गुस्से और हताशा को बढ़ा दिया है। सर्वेक्षण में पाया गया कि 59 प्रतिशत भारतीय काम और निजी जीवन के बीच संतुलन की कमी से प्रभावित थे।

इस तनाव से पीड़ित छात्रों का अनुपात अधिक है जो 39% है। जबकि तनावग्रस्त कर्मचारियों का अनुपात 35% है। जैसे-जैसे लॉकडाउन आगे बढ़ाया जा रहा है छात्रों को भावनात्मक रूप से अधिक नुकसान उठाना पड़ा। उनमें क्रोध, चिंता और चिड़चिड़ापन की वृद्धि हो रही है। लॉकडाउन में इमोशनल होने में भी 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, साथ ही इस लॉकडाउन से 11 फीसदी लोगों ने नींद नहीं आने की शिकायत भी की। कई ने स्थिति से निपटने के लिए विभिन्न माध्यमों का सहारा लिया है, जैसे दोस्तों और परिवार के साथ फोन पर बात करना और समाचार पढ़ना।

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