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मुंबई के 16 फीसदी पैरेंट्स को चिंता नहीं है कि उनका बच्चा नेट पर क्या देख रहा है!

इसका खुलासा ओएलएक्स 2020 इंटरनेस बिहेवियर सर्वे से हुआ है। ओएलएक्स 2020 इंटरनेट बिहेवियर सर्वे के दौरान कुल 12 तरह के अलग-अलग सवाल पूछे गए थे।

मुंबई के 16 फीसदी पैरेंट्स को चिंता नहीं है कि उनका बच्चा नेट पर क्या देख रहा है!
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क्या आपको मालुम है कि मुंबई में रहने वाले 52 फीसदी पैरेंट्स अपने बच्चों द्वारा यूज किये जा रहे इंटरनेट सामाग्री को लेकर काफी आशंकित रहते हैं। ये अपने बच्चों पर नजर रखते हैं। यह हाल मुंबई का है लेकिन दिल्ली और पुणे के पैरेंट्स तो और भी आशंकित रहते हैं। दिल्ली के 57 फीसदी और पुणे के 66 फीसदी पैरेंट्स अपने बच्चों पर नियमित रूप से निगरानी रखते हैं। इसका खुलासा ओएलएक्स 2020 इंटरनेस बिहेवियर सर्वे से हुआ है। ओएलएक्स 2020 इंटरनेट बिहेवियर सर्वे के दौरान कुल 12 तरह के अलग-अलग सवाल पूछे गए थे। 

ओएलएक्स 2020 इंटरनेस बिहेवियर सर्वे कहता है कि 16 प्रतिशत मुंबई, 14 प्रतिशत पुणे और 17 प्रतिशत दिल्ली के पैरेंट्स को इस बात की चिंता नहीं रहती कि उनका बच्चा इंटरनेट पर किस रुप में कंटेंट को एक्सेस कर रहा है। 

इस सर्वे के अनुसार 63 प्रतिशत दिल्ली, 66 प्रतिशत मुंबई और 72 प्रतिशत पुणे के लोग सार्वजनिक स्थानों के ओपन वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल ऑनलाइन बैंकिंग के लिए नहीं करते हैं वे इसे असुरक्षित मानते हैं। जबकि पुणे के 28 प्रतिशत, दिल्ली के 37 प्रतिशत और मुंबई के 34 फीसदी लोग सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क से ऑनलाइन बैंकिंग लेन-देन करना सुरक्षित मानते हैं। 

सर्वे आगे कहता है कि, सर्वे के दौरान कुछ लोगों  से यह भी पूछा गया कि वे अपने बैंक का पासवर्ड कितनी बार बदलते हैं? इसके जवाब में 38 फीसदी दिल्ली और 39 फीसदी मुंबई के लोगों ने बताया कि वे नियमित अपने बैंक का पासवर्ड बदलते रहते हैं। जबकि 31 प्रतिशत दिल्ली, 30 प्रतिशत और 26 प्रतिशत पुणे के लोगों को यह याद ही नहीं था कि उन्होंने पिछली बार बैंक का पासवर्ड कब बदला था। 

सर्वे में यह भी पता चला कि 54 प्रतिशत दिल्ली के लोग अनजान व्यक्ति से अपना फोन नंबर और पता बता देते हैं। इतना ही नहीं 23 प्रतिशत दिल्ली के लोग ओटीपी जैसी अति संवेदनशील जानकारी भी अजनबी से शेयर करते हैं, जबकि बैंक सहित RBI ऐसा करने की मनाही करता है। 

कुछ ऐसे लोग मुंबई में हैं,  57 फीसदी मुंबई के लोग अपना फोन नंबर और पता अजनबी को बताते हैं। 23 फीसदी ओटीपी की जानकारी अनजान व्यक्ति को दे देते हैं। और 22 प्रतिशत लोग अपने क्रेडिट व डेबिट कार्ड की संवेदनशील जानकारी किसी अनजान शख्स के साथ ऑनलाइन शेयर कर बैठते हैं।

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