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महाराष्ट्र- बिना वैध फिटनेस प्रमाणपत्र वाले ऑटो, टैक्सी और बसों को प्रतिदिन 50 रुपये का जुर्माना देना होगा


महाराष्ट्र- बिना वैध फिटनेस प्रमाणपत्र वाले ऑटो, टैक्सी और बसों को प्रतिदिन 50 रुपये का जुर्माना देना होगा
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महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने सोमवार, 27 मई को एक आदेश जारी किया कि बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के चलने वाले ऑटोरिक्शा और निजी पर्यटक बसों पर प्रतिदिन 50 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई और उसके आसपास के महानगरीय क्षेत्र (MMR) में 8 से 10% रिक्शा बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के चल रहे हैं। इनमें से कुछ वाहनों ने 2016 से अपने सर्टिफिकेट का नवीनीकरण नहीं कराया है। (Autos Without Valid Fitness Certificates to Pay INR 50 Daily Fine)

किसी भी वाहन की सुरक्षा पर नज़र रखने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है। यह वाहन की तकनीकी स्थिति का पता लगाने के लिए पूरी जाँच के बाद जारी किया जाता है। यह सर्टिफिकेट इस बात की गारंटी देता है कि वाहन सार्वजनिक सड़कों पर चलाने के लिए सुरक्षित है।

मुंबई ऑटो रिक्शा-टैक्सीमैन यूनियन ने इस नए निर्देश पर असंतोष व्यक्त किया है। उनका तर्क है कि क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (RTO) को 2016 से वाहन फिटनेस से संबंधित बकाया जुर्माना मिल रहा है। यूनियन के अनुसार, ठाणे और नवी मुंबई में स्थिति विशेष रूप से विकट है। COVID-19 महामारी के बाद से कई ड्राइवर अपने वाहन के ऋण का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुछ ने तो गाड़ी चलाना भी बंद कर दिया है।

यूनियन ने पत्र लिखकर मांग की है कि जुर्माना वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि अधिकांश ऑटोरिक्शा मौजूदा फिटनेस प्रमाणपत्र के बिना स्थानीय मार्गों पर चलते हैं।पुणे और पिंपरी चिंचवाड़ यूनियन ने भी इस फैसले का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर अगले आठ दिनों के भीतर यह जुर्माना रद्द नहीं किया गया तो वे आंदोलन शुरू करेंगे। यूनियनों ने शुल्क नहीं हटाए जाने पर महाराष्ट्र में हड़ताल की धमकी दी है। पुणे मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं।

मोटर कार अधिनियम की धारा 81 में कहा गया है कि जो वाहन आवश्यक आवधिक फिटनेस निरीक्षण करने में विफल रहते हैं, उन पर प्रतिदिन 40 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अक्टूबर 2017 में इस पर उच्च न्यायालय में मुकदमा चलाया गया था और बाद में अप्रैल की शुरुआत में इस फैसले को पलट दिया गया था। 17 मई को परिवहन आयुक्त कार्यालय ने सभी आरटीओ को एक परिपत्र भेजा, जिसमें अनुरोध किया गया कि वे नियम को लागू करें।

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