बीते कुछ सालों से बेस्ट की पहल को आर्थिक घाटा सहन करना पड़ रहा है। विविध कारणों के चलते बीते साल बेस्ट को लगभग 1800 करोड़ रुपए का फटका लगा है, यह जानकारी बेस्ट प्रशासन ने सोमवारी 6 अगस्त को दी है। यह जानकारी उस वक्त दी गई जब बेस्ट का 61वां महापालिकाकरण दिवस मनाया जा रहा था। इसी मौके पर कोलाबा स्थित बेस्ट भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में यह जानकारी दी गई।
वर्तमान में, बेस्ट के पास 3337 बस हैं। इसमें एक मंजला, डबल-डेकर, मिडी, इलेक्ट्रिक मिडी, एयर कंडिशन वाली बसों का समावेश है। इनमें से 90 फीसदी बसें हर रोज मुंबई की सड़कों पर दौड़ती हैं। उन्हें सड़क पर होने वाली विविध बाधाओं से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें पहली बाधा है, मुंबई की यातायात भीड़। सड़क पर बढ़ रहे अन्य वाहनों के कारण, बेस्ट की गति पर एक सीमा है जिसकी वजह से ईंधन बर्बाद होता है। ईंधन पर परिणामी व्यय अतिरिक्त खपत करता है।
आज के समय में बेस्ट के लिए दूसरी बड़ी बाधा प्रतिस्पर्धा है। आज लोगों के पास बेस्ट के अलावा ऑटो-टैक्सी (ओला-उबर) जैसे विकल्प मौजूद हैं। ज्यादातर लोग आज टैक्सी का सहारा ले रहे हैं। कम यात्री होने के बाद भी बेस्ट को अपनी बसें सड़कों पर दौड़ानी पड़ रही हैं। इससी वजह से बेस्ट को जो राजस्व मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है।
बेस्ट की सभी बसों का लक्ष्य हर रोज 5 लाख किमी की यात्रा करना है, पर उपरोक्त कारणों के चलते बेस्ट दिन भर में 15,000 किमी की यात्रा भी पूरी नहीं कर पा रहा है। 10 में से 3 फेरी हर रोज रद्द की जाती हैं। इसलिए, हर साल 55 लाख रुपए का राजस्व डूब रहा है। जिसे बेस्ट का सबसे बड़ा नुकसान माना जाता है।
मुंबईकरों के लिए बेस्ट दूसरी लाईफ लाइन मानी जाती है। हर दिन 25 से 30 लाख यात्री बेस्ट से यात्रा करते हैं। महिला और स्टूडेंट इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करते हैं।