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'जब तक लोग लॉकडाउन नियमों का पालन नहीं करेंगे, लोकल ट्रेंन में यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी'

महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाने और आम जनता को लोकल में यात्रा करने की अनुमति देने की मांग पर राज्य सरकार का पक्ष रखा।

'जब तक लोग लॉकडाउन नियमों का पालन नहीं करेंगे, लोकल ट्रेंन में यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी'
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मुंबई उच्च न्यायालय (bombay high court) ने बुधवार को राज्य सरकार को मध्य और पश्चिम रेलवे की फेरियों को बढ़ाने को कहा था। इसके बाद राज्य सरकार ने शुक्रवार, 9 अक्टूबर, 2020 को अदालत को सूचित किया कि, राज्य सरकार को लोकल ट्रेनों (local train) की फेरियों बढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं है। इस संबंध में प्रस्ताव रेलवे प्रशासन को भेज दिया गया है और उन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की पीठ के समक्ष सुनवाई में, महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ाने और आम जनता को लोकल में यात्रा करने की अनुमति देने की मांग पर राज्य सरकार का पक्ष रखा।

आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया कि वर्तमान में कोरोना (Covid-19) रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन उसे रोकने में प्रशासन सफल भी है। इसलिए, सरकार एक के बाद एक सेक्टर खोल रही है। कोरोना में केवल आपातकालीन सेवा कर्मियों को स्थानीय यात्रा करने की अनुमति है। राज्य सरकार, बढ़ती मांग के अनुसार लोकल ट्रेनों की संख्या को बढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं है।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस सेवा का लाभ आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों के अतिरिक्त गैर-आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों द्वारा लिया गया है या नहीं। लेकिन लोग अभी भी मास्क (mask) नहीं पहनते हैं और सामाजिक दूरी नही बनाए रखते हैं।  इसके बजाय, वे अस्पताल में ऑक्सीजन मास्क पहनने को तैयार हैं। तो उन्हें पहले जिम्मेदारी से काम करने दें। तभी वे लोकल में यात्रा करने की अनुमति देने पर विचार कर सकते हैं।

उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया, प्रसिद्ध गायक बालासुब्रमण्यम (singer bala ने अपने माइक को एक व्यक्ति को इस्तेमाल करने के लिए दिया और उसके बाद उन्होंने मास्क नहीं पहना। और उसी गलती से उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी।

उस पर, स्थानीय लोगों की मांग भी बढ़ रही है क्योंकि सरकार एक के बाद एक क्षेत्र खोल रही है। लोकल ट्रेनों की मांग को ध्यान में रखते हुए ट्रेनों की फेरियों को

बढ़ाया जाना चाहिए।  कार्यालय समय को अलग रखने के लिए योजना की आवश्यकता होती है ताकि स्थानीय लोगों की पीक आवर्स के दौरान भीड़ न जुटने पाए।

और इस योजना में केवल प्रशासन की भागीदारी ही नहीं बल्कि शासन की भी भागीदारी होनी चाहिए।

अदालत ने कहा, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर दिसंबर-जनवरी में आएगी।  हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी।

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