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लोकल में भीड़ को नियोजित करने के लिए रेलवे और राज्य सरकार की तैयारी अधूरी

जानकारों का कहना है कि, अगर सभी के लिए लोकल ट्रेनों को चलाया जाता है तो सबसे पहले भीड़ को कंट्रोल करना जरुरी होगा। इसके लिए योजना और आपसी समन्वय बना कर काम करना होगा।

लोकल में भीड़ को नियोजित करने के लिए रेलवे और राज्य सरकार की तैयारी अधूरी
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मुंबई की लाइफलाइन (lifeline of mumbai) कही जाने वाली लोकल ट्रेंनों (local train) में जिस तरह से चरण दर चरण लोगों को यात्रा करने की अनुमति दी जा रही है, उससे यात्रियों को परेशानी ही हो रही है। जहां एक तरफ खुद राज्य सरकार लोगों से भीड़ न करने की अपील कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ ट्रेंनों में लगातार भीड़ बढ़ती ही जा रही है।

परिणामस्वरूप, यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और जबकि लोकल ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है। जिससे रेलवे और राज्य सरकार भीड़ को नियोजित करने में असमर्थ साबित हो रही है। यानी एक तरफ़ तो अनलॉक (unlock) के जरिये ट्रेंनों में भीड़ बढ़ाई जा रही है तो दूसरी तरफ सीमित संख्या में ट्रेनों को चलाया जा रहा है।

ट्रेनों को चलाने से पहले भीड़ को कम करने के उद्देश्य से कई प्लान बनाए गए थे, जैसे ऑफिस के टाइम में बदलाव किया जाएगा, ताकि लोग एक साथ न आ-जा सके। मेट्रो की तरह औटमैटिक डोर लगाए जाएंगे, टिकट के लिए नया सिस्टम अपनाया जएगा, लेकिन इन सब बातों पर अमल नहीं हुआ।

साथ ही सार्वजनिक परिवहन को शुरू करते समय भीड़ का कंट्रोल कैसे किया जाएगा, इस पर भी विचार नहीं किया गया। इस बीच, रेलवे और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी भी देखने को मिल रही है।

जानकारों का कहना है कि, अगर सभी के लिए लोकल ट्रेनों को चलाया जाता है तो सबसे पहले भीड़ को कंट्रोल करना जरुरी होगा। इसके लिए योजना और आपसी समन्वय बना कर काम करना होगा। लोकल ट्रेनों की संख्या के साथ साथ उनकी फेरियों की भी संख्या को बढ़ाना होगा।

पश्चिमी (Western railway) और मध्य रेलवे (central railway) को अक्सर लोकल ट्रेनों को शुरू करने और बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड से अनुमति लेनी पड़ती है।  इसमें भी काफी समय लगता है। इसलिए, इन दोनों विभागों के लिए एक ही निगम स्थापित करना आवश्यक है।

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