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"जेट का बंद होना 22000 परिवार के सपनें बिखरने जैसा"- कैप्टन तपेश कुमार

मुंबई लाइव के साथ खास बातचीत में जेट एयरवेज के पूर्व कैप्टन तपेश कुमार ने कंपनी के बंद होने के बाद के अपने अनुभव को शेय़र किया

"जेट का बंद होना 22000 परिवार के सपनें बिखरने जैसा"- कैप्टन तपेश कुमार
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जेट एयरवेज की सभी उड़ाने फिलहाल बंद है और इसके साथ ही दिन ब दिन खत्म होती जा रही जेट के लिए कभी काम करनेवाले उनके कर्मचारियों की उम्मीदें। आर्थिक स्थिती खराब होने के कारण 16 अप्रैल से ही जेट एयरवेज ने अपनी सभी उड़ाने बंद कर दी है। कंपनी ने सभी कर्मचारियों के मेडिक्लेम की सुविधा  भी बंद कर दी है। ऐसे समय में अब जेट के लगभग 22000 कर्मचारियों के सामने ना ही सिर्फ उनकी नौकरी का सवाल खड़ा हो गया है बल्की पिछलें कई महिनों उनकी रुकी हुई सैलरी भी उन्हे नहीं मिली है।  


इन दिनों लगभग हर दिन जेट के कर्मचारी किसी ना किसी तरह से विरोध प्रदर्शन कर रह है। कभी सरकार के दखल की मांग करते है तो कभी किसी पार्टी के पास अनी तकलीफ लेकर पहुंच जाते है , फिर भी अभी तक उनकी स्थिती में कोई भी खास सुधार नहीं हुआ है , हां ये बात और है की कुछ लोगों को किसी और एयरलाइंस ने नौकरी जरुर दी है लेकिन उन्हे भी उंगलियों पर गिना जा सकता है। 

मुंबई लाइव ने जेट एयरवेज में काम करनेवाले कैप्टन तपेश कुमार से बात की और जाना की आखिर जेट के कर्मचारियों की मौजूदा स्थिती क्या और उन्हे किन किन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।   


कैप्टन तपेश कुमार का कहना है की "... आखिरी बार हमने गोयल को तब सुना था जब उन्होने इस्तीफा दिया था और उसके बाद  5 मई, 2019  को हमें उनसे एक पत्र मिला, जेट के मुख्य सार्वजनिक अधिकारी राहुल तनेजा लगातार संपर्क में थेलेकिन हर कोई अनिश्चितताओं की चपेट में था,वास्तव मेंहमें कंपनी के बंद होने के बाद प्रबंधन से विशेष रूप से सीईओ और सीपीओ से अधिक संवाद मिला"


कैप्टन तपेश कुमार बताते है की जेट एयरवेज के साथ उनका सफर 8 अप्रैल 2013 से शुरु हुआ। जेट के साथ लगभग उन्होने पांच साल काम किया। दुर्भाग्य से, चीजें कभी भी फिर से एक जैसी नहीं होंगी। वह अपने  कॉकपिट और उसमें से दिखनेवाले  हवाई नजारे को हमेशा याद रखेंगे। कंपनी से जुड़े लोगों ने दिल दहला देने वाली कहानियां साझा कीं। मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म दोनों पर दिखनेवाली रिपोर्ट और वीडियो पिछले कुछ महीनों में उनके साथ हुई भावनात्मक उथल-पुथल को दिखाती  हैं।



कैप्टन तपेश कुमार का कहना है की "भावनात्मक रूप से यह एक उथल-पुथल रहा था क्योंकि किसी दिन हमे लग रहा था की  एतिहाद और अन्य संगठन मिलकर इस मुसीबत की घड़ी में मिलकर कंपनी का साथ देगे लेकिन अगले ही दिन सब कुछ खत्म हो जाता है,  मेरे सामने फिलहाल आर्थिक समस्या नहीं है   क्योंकि मैं 5 साल से काम कर रहा हूं और मैने पर्याप्त बचत की है , लेकिन हर किसी के साथ ऐसा नहीं है, विशेष रूप से उन लोगों के साथ जो पायलट नहीं हैं और अन्य सेवाओं में काम करते है, इनमे से कई लोग तो हालही में कंपनी में शामिल हुए थे, जनवरी से पायलटों को भुगतान नहीं किया गया है, कुछ कर्मचारियों को मार्च के बाद से और अगस्त के बाद से उनका वेतन नहीं मिला है। ”


यह तपेश की पहली नौकरी थी। उनके पिता भी शुरू से ही एयरलाइंस से जुड़े हुए थे, लेकिन दोनों के लिए ही इस बात को भूला पाना मुश्किल था की एयरलाइंस की सारी सेवाएं अब बंद हो गई है। बातचीत से साफ नजर आ रहा था की तपेश को लग रहा था की कुछ गलत हुआ है।  

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए तपेश बताते है की " अगर कंपनी ने अपनी स्थिती पहले से ही लोगों के सामने रखनी शुरु कर दी होती तो कई लोग अभी तक अपने लिए कोई और विकल्प देख लेते और इतने लोग बेरोजगार नहीं होते"


समय के साथजेट एयरवेज के अधिकारियों ने परिचालन को कम करने का फैसला कियाजिसके बाद धीरे धीरे सभी सेवाएं समाप्त कर दी गई।  कर्मचारी  सब देख रहे थे लेकिन उन्हे कभी भी अंदाजा नहीं था की यह मामला इतना गंभीर हो जाएगा।  

तपेश ने कंपनी की यादों को याद करते हुए कहा की  "हम वास्तव में कभी नहीं जानते थे कि हमारी आखिरी उड़ान कब होगी?,स्थितियां धीरे धीरे खराब होने लगी और बहुत कम स्पष्टता थीदिलचस्प बात यह है कि मैं अपनी  बॉम्बे-दिल्ली उड़ान में अपने सह-पायलट के साथ मजाक कर रहा था कि मुझे आशा है कि यह हमारी आखिरी उड़ान नहीं है,लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह मेरी आखिरी उड़ान थी चूंकि स्थितियो में  कोई स्पष्टता नहीं थीइसलिए मुझे लगता है कि हमारे पास लोगों को विदा करने के लिए सही समय भी नहीं था" ।


तपेश अब अपने पिता के एविएशन एकेडमी में छात्रों को ट्रेनिंग दे रहे है। वह जल्द ही एयर एशिया में काम शुरु करने जा रहे है। तपेश के पास स्पाइसजेट और एयरइंडिया में भी काम करने का मौका मिला लेकिन उन्होने एयर एशिया के साथ जुड़ने का फैसला किया है।


भले ही तपेश को किसी और कंपनी के साथ काम करने का मौका मिल गया हो लेकिन जेट के कई कर्मचारियों के सामने अभी भी अपने परिवार के पालन पोषण का सवाल खड़ा है। जेट का बंद होने सिर्फ एक कंपनी का बंद होने नहीं है , बल्की 22000 परिवारों के सामने अपने सपनों को पल पल बिखरते देखना है।  


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