संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘सावरिया’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाली सोनम कपूर ने ‘रांझणा’ ‘नीरजा’, ‘प्रेम रतन धन पायो’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया है। अब वे 1 फरवरी को पहली बार अपने पिता अनिल कपूर से साथ फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ में नजर आने वाली हैं। फिल्म की रिलीज से पहले सोनम ने ‘मुंबई लाइव’ के साथ खास बातचीत में फिल्म और निजी जिंदगी से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया...
स्टार किड होने का कितना फायदा मिलता है?
मुझे 16 साल हो गए हैं फिल्म इंडस्ट्री में, मैंने खुद को शुरुआत में ही बोल दिया था कि मैं अपने पिता के साथ काम नहीं करूंगी। जब कुछ बन जाउंगी तभी करूंगी। क्योंकि मैं जानती थी कि लोग यही कहेंगे कि मैं अनिल कपूर की बेटी हूं इसलिए इंडस्ट्री में हूं। मैं अपना करियर खुद बनाना चाहती थी, इसलिए मैंने यह रास्ता चुना। स्टार किड को शुरुआत में 2-3 अवसर मिल जाते हैं। पर उसके बाद खुद को साबित करना होता है, तभी आगे काम मिलता है। आप इंडस्ट्री में तभी बनें रहोगे जब आप दर्शकों को एंटरटेन कर पाओगे और प्रोड्यूसर की कमाई में भी कमी ना आए।
डायरेक्शन में जाने का सोच रही हैं?
आप किस आधार पर किसी स्क्रिप्ट का चुनाव करती हैं?
मैं हमेशा एक अच्छी फिल्म का हिस्सा बनना चाहती हूं। मैं उसमें यह नहीं सोचती कि मुझे स्क्रीन स्सेस कितना मिल रहा है और मेरा किरदार कैसा है। यही वजह है कि मैंने ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘पैडमैन’ जैसी फिल्मों में काम किया है। वहीं ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ की स्क्रिप्ट मुझे बहुत पसंद आयी। इस फिल्म में काम करने के लिए खुद को भाग्यशाली मानती हूं।
आनंद (आनंद अहूजा) से जब आप पहली बार मिले, उनका रिएक्शन कैसा था?
जब मैं पहली बार आनंद से मिली थी, तब मैं बहुत बुरे स्नीकर्स पहना करती थी। उन्होंने मेरे स्नीकर्स देखकर कहा यार ये क्या स्नीकर्स पहन रखी हो, चलो मैं तुम्हारे लिए नए स्नीकर्स लेकर आता हूं। उन्होंने तुरंत ही मेरे लिए नए स्नीकर्स खरीदे। वे बहुत हैंडसम हैं। उस समय उनके सिर कम बाल थे क्योंकि उन्हें एक्सरसाइज करने का शौख है और उन्हें बालों की वजह से गर्मी लगती है। पर अब उन्होंने मेरे लिए बाल बड़े रख लिए हैं।
आनंद किस तरह के इंसान हैं?