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Interview: 'तानाजी' कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर अजय देवगन ने कही ये हैरान कर देने वाली बात

अजय ने तानाजी को स्कूल में पढ़े जाने को लेकर कहा, लोगों ने इतने बड़े बड़े त्याग किए, बड़ी बड़ी लड़ाइयां लड़ीं, और हमारे स्कूल में सिर्फ एक पैराग्राफ में बात खत्म कर दी गई। और मुझे नहीं लगता है कि मेरे बच्चों को वह भी पढ़ने मिला होगा।

Interview: 'तानाजी' कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर अजय देवगन ने कही ये हैरान कर देने वाली बात
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‘फूल और कांटे’ फिल्म से बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री लेने वाले एक्टर अजय देवगन ने हरेक जॉनर की फिल्में की हैं, हीरो के साथ साथ विलेन भी बनें, पर उन्हें हमेशा दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिला। 2019 में ‘टोटल धमाल’ और ‘दे दे प्यार दे’ की बड़ी सफलता के बाद अजय अब हिस्टोरिकल पीरियड ड्रामा फिल्म ‘तानाजी: द अनसंग वॉरियर’ में तानाजी मालुसरे के किरदार में नजर आने वाले हैं। यह फिल्म अपने अनाउंसमेंट के बाद से ही सुर्खियों में रही है। पर फिल्म के ट्रेलर ने दर्शकों की उत्सुक्ता को दोगुना कर दिया है। दर्शकों की यह जिज्ञासा 10 जनवरी 2020 को पूरी होगी। फिल्म की रिलीज से पहले मुंबई लाइव ने अजय देवगन से खास मुलाकात की। इस मुलाकात में जो बातचीत हुई उसको संक्षेप में आगे पढ़िए।

आपने स्कूल में तानाजी के बार में कितना पढ़ा था?

वही तो प्रॉब्लम है, स्कूल में एक छोटा सा पैराग्राफ था। लोगों ने इतने बड़े बड़े त्याग किए, बड़ी बड़ी लड़ाइयां लड़ीं, और हमारे स्कूल में सिर्फ एक पैराग्राफ में बात खत्म कर दी गई। और मुझे नहीं लगता है कि मेरे बच्चों को वह भी पढ़ने को मिला होगा। यह बहुत ही दुख की बात है। दरअसल हमारे योद्धाओं के बारे में ब्रिटिश ने दबाया है, वे नहीं चाहते थे कि लोग ऐसे योद्धाओं के बारे में पढ़ें, और लोग जागरुक हों और खुद लड़ने के लिए तैयार हों। और उसके बाद हमारी स्कूली किताबें ज्यादा बदली नहीं हैं। किताबों में आपको ज्यादातर ब्रिटिश और मुगल के बारे में ही पढ़ने को मिलता है, जोकि दुखद है। इसलिए मैंने यह सीरीज (अनसंग वॉरियर) शुरु की है, यह (तानाजी) उसका पहला पार्ट है। हरेक स्टेट में एक से बढ़कर एक वॉरियर हैं, जिनके बारे में काम चल रहा है। तानाजी जानकारी के आभाव में सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित हैं, पर उन्होंने पूरे देश के लिए लड़ा है। इसलिए मैं चाहता हूं कि इनकी वीरगाथा, जन जन तक पहुंचे। जब लोगों को पता होगा कि हमने इस देश को कैसे पाया है, इसके लिए कितनों ने अपनी जाने दी हैं तो हम उसको अधिक संभालना सीखेंगें।

अनसंग वॉरियर की सीरीज में आप ही एक्टिंग करेंगे?

नहीं, जरूरी नहीं हैं। हर सीरीज शायद मैं शूट भी ना करूं और कर भी नहीं सकता। तो मुझे दूसरे एक्टर को लेकर भी यह सीरीज करनी होगी।

क्या आपको लगता है कि अब दर्शकों का टेस्ट बदल चुका है, इसलिए कंटेट बेस्ड फिल्में अच्छा कर रही हैं? 

देखिए, फिल्में वही बनती हैं, जो दर्शक देखना चाहते हैं। सोसायटी बदलती है, तो फिल्में बदलती हैं। सोसायटी को पहले उस तरह की फिल्में पसंद थीं, तो वे उस तरह की फिल्में देखते थे। अब लोगों का पूरा माइंडसेट बदल चुका है, इसलिए हम भी अलग फिल्में बना रहे हैं। पहले के जमाने में गोल्ड (सोना) की स्मगलिंग बहुत हुआ करती थी, तो गोल्ड की स्मगलिंग पर फिल्में बना करती थीं। 80 के दशक में राजनेताओं का करप्शन हुआ, वह भी आपने फिल्मों में देखा। जो देश में करंट टॉपिक थे, उस पर फिल्में बनती थीं।

फिल्म कॉन्ट्रोवर्सी में न फंसे इसका आपने किस तरह से ध्यान रखा है?

हमने पूरा ध्यान रखा है कि फिल्म कॉन्ट्रोवर्सी में न फंसे, उसी तरह से हमने फिल्म को बनाया भी है। फिल्म की कहानी बहुत स्ट्रेट है, फिर भी कॉन्ट्रोवर्सी आएगी ही आएगी। उसका हम कुछ नहीं कर सकते हैं।

किसी पीरियड ड्रामा फिल्म को शूट करना पहले से मुश्किल होता है, ऊपर से यह फिल्म 3डी में है? 

फिल्म को शूट करने के लिए बहुत सारी प्लानिंग और मेहनत लगी है। जो विजुअल्स हैं और जो 3डी है, इस तरह का 3डी आपने हिन्दुस्तान में देखा नहीं होगा। इस तरह की चीजें पहली बार की गई हैं। शूट भी जिस तरह से किया गया है, वह भी यहां पर पहली बार हुआ होगा। मुझे सबसे अच्छी चीज यह लग रही है कि फिल्म की क्वालिटी बहुत अच्छी आई है, और जितना भी काम हुआ है पूरे हिन्दुस्तान के लोगों की मदद से हुआ है, बाहर के लोगों को इसमें नहीं लिया गया है।

फिल्म सिर्फ सेट पर शूट हुई है, या और कहीं भी शूट हुई है?

फिल्म के लिए सेट लगाए गए थे। 16वीं सदी की फिल्म बनाने के लिए हम कहां जाकर शूट कर सकते हैं, हमें कोई लोकेशन ही नहीं मिलेगा।

एक इंसान में ऐसी कौन सी बातें होती हैं , जो तानाजी जैसा व्यक्तित्व बनाती हैं? 

हम सोच ही नहीं सकते। जो उन्होंने त्याग किए हैं, आप और मैं कर ही नहीं सकते। यहां तक की इस बारे में हम सोच भी नहीं सकते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि ऐसे लोग ये सब करने के लिए ऊपर से ही कुछ लेकर आते हैं। एक स्ट्रेंथ लेकर आते हैं। पर हां अगर हमें सिर्फ इतना समझ जाए कि उन्होंने इतना बड़ा बड़ा त्याग किया है और हमें जो देकर गए हैं, उसकी इज्जत करने लग जाएं और संभालने लग जाएं तो काफी है।


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