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सुनता सबकी हूं पर करता अपने मन की हूं: अर्जुन कपूर

मैं जिद्दी उस मामले में हूं कि मुझे पता है कि सुनो सबकी, करो अपने मन की। अगर मैं कल को आपकी बात मानकर कुछ करूं तो मैं जिंदगी भर आपको ब्लेम करूंगा जोकि गलत है। वह बहुत खटास के साथ जीने वाली बात हो जाती है।

सुनता सबकी हूं पर करता अपने मन की हूं: अर्जुन कपूर
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7 साल पहले फिल्म इशकजादे से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले अर्जुन कपूर के खात में अब 13 वीं फिल्म जुड़ने जा रही है, जिसका नाम है इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड। इस फिल्म को रेड के डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता ने डायरेक्ट किया है। फिल्म 24 मई को रिलीज होगी। रिलीज से पहले अर्जुन कपूर ने मुंबई लाइव से खास बातचीत की। इस मुलाकात में उन्होंने फिल्म और निजी जिंदगी से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया।   

 

पहली बार इस तरह की फिल्म में नजर आए हैं, तो क्या आप मानते हैं कि रियल लाइफ वाली फिल्मों में आपकी यह प्रॉपर एंट्री है

मैंने ‘औरंगजेब’ की थी, वह मेरे लिए बहुत रियालस्टिक थी। उस समय वह फिल्म प्रोड्यूसर को फायदा नहीं पहुंचा पाई, पर आज लगती तो कुछ ज्यादा ही प्रोड्यूसर को मुनाफा होता। मेरे लिए ‘फाइंडिंग फैनी’ और ‘इशकजादे’ भी रियालस्टिक थी। मैं एक प्रोड्यूसर का बेटा हूं, इसलिए मेरी इमेज एक कॉमर्शियल फिल्म वाले एक्टर की बन गई है। जैसे ‘तेवर’, ‘गुंडे’ ‘2 स्टेट’ ‘इशकजादे’ में आपको छोकरा जवां याद आता है, ‘की एंड का’ में आप हाय हील याद करते हो, पर आप वह नहीं देखते हो कि उस समय फिल्म की सेंसटिविटी क्या थी। लोगों को लगा करीना और मैं था तो फिल्म कॉमर्शियल है, पर असल में फिल्म की एक अलग ही सेंसटिविटी है।

फिल्म की शूटिंग कहां-कहां हुई

फिल्म की शुरुआत पटना से होती है, जैसा कि आपने ट्रेलर में गोल घर देखा होगा, तो कहानी और किरदार की शुरुआत यहीं से होती है। इसके बाद नेपाल में काठमांडू और पोखरा में फिल्म शूट की गई है। पटना से लेकर नेपाल तक हमें बेहद ही सपोर्टिव लोग मिले, पोखरा पता नहीं क्यों अंडररेटेड प्लेस है। वहां की खूबसूरती देखती बनती है।

आतंकी यासिन भटकल आज भी जेल में है, आप इस पर क्या कहेंगे। 

मेरा खून खौल उठता है इस बात को सुनकर कि आज भी यासीन भटकल जेल में जिंदा है। 400 से अधिक लोगों की हत्या करने वाले राक्षस के बारे में हम बात नहीं करना चाहते हैं। हमने अब तक उस दानव के बारे में कोई बात ही नहीं की है। जेल में रख कर हम उसे बिरयानी खिलाते रहे हैं। हम उसका ध्यान रख रहे हैं। जिसने मासूम लोगों का खून बहाने में जरा भी विचार नहीं किया।

अर्जुन ने आगे कहा, इस देश की सबसे बड़ी विडंबना यह भी है कि आज भी यासीन भटकल से यह पूछा जाता है कि उसे अपने किए पर शर्मिंदगी महसूस होती है या नहीं। मैं उस राक्षस से नफरत करता हूं। मेरी प्रार्थना है कि कोर्ट इस मामले में कड़े से कड़ा फैसला ले। हमारी फिल्म भी यही बात कहती है कि बुरे लोग सामाजिक परिवेश में रहना नहीं चाहिए।

फिल्मों में आपने ज्यादातर जिद्दी किस्म के किरदार निभाए हैं, निजी जिंदगी में कितने जिद्दी है?

मैं निजी जिंदगी में उस तरह से अड़ियल नहीं हूं, पर हां कहीं न कहीं मेरी परवरिश ऐसे माहौल में हुई थी, जहां मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मैंने खुद से गलतियां की उनसे सीखा और सुधार भी किया। मैंने अपना एक करियर बनाया है। मैं जिद्दी उस मामले में हूं कि मुझे पता है कि सुनो सबकी, करो अपने मन की। अगर मैं कल को आपकी बात मानकर कुछ करूं तो मैं जिंदगी भर आपको ब्लेम करूंगा जोकि गलत है। वह बहुत खटास के साथ जीने वाली बात हो जाती है। अगर मैं किसी चीज के लिए कनवेंस नहीं हूं तो मैं वह नहीं करूंगा।

आपके फिल्मी करियर और इशकजादे को 7 साल हो गए, इस जर्नी को केसे देखते हैं 

पहली बात तो मैं बहुत खुश नसीब हूं मुझे 7 सालों में 13 फिल्में मिलीं। मैंने बहुत अच्छे-अच्छे एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के साथ काम किया। मैं इसे बहुत ही अच्छी जर्नी मानता हूं। हिट और फ्लॉप होना तो एक अलग जर्नी है उसे साइड में करना होता है। मैं अपने दर्शकों से बहुत खुश हूं, एक तरह से मैंने करियर की पहली फिल्म मं निगेटिव किरदार निभाया था, फिर भी दर्शकों ने मुझे पसंद किया। मैं तभी भी इमोशनल था आज भी हूं। तभी भी हंसी मजाक करता था आज भी करता हूं। मेरे पास अब 7 साल का अनुभव है, पर इंसान को जब गलतियां करनी होती हैं तो कभी भी करता है।

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