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मायानगरी का महाभारत

भारतीय फिल्मों (bollywood) के वर्तमान स्वरूप पर गंभीरता से विचार करें तो एक बात बड़ी प्रखरता से सामने आती है कि आज की फिल्मों में सीखने जैसा कुछ भी नहीं रहा है।

मायानगरी का महाभारत
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फिल्मी दुनिया को इन दिनों न जाने किसकी नज़र लग गई है। भारतीय फिल्मों (bollywood) के वर्तमान स्वरूप पर गंभीरता से विचार करें तो एक बात बड़ी प्रखरता से सामने आती है कि आज की फिल्मों में सीखने जैसा कुछ भी नहीं रहा है। अश्लीलता, बालात्कार, फरेब, मारपीट, बदला, नशीले पदार्थों का सेवन यही सब कुछ दिखाया जाता है, दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि जो कालाकार फिल्मी पर्दे पर जिस तरह का किरदार निभाते हैं, वे वास्तविक जीवन में उन किरदार के बिल्कुल विपरीत होते हैं, इसकी ताजा मिसाल दीपिका पादुकोण (deepika padukone) हैं। फिल्मी पर्दे पर मस्तानी का किरदार निभाने वाली दीपिका पादुकोण कथित रूप से किसी ड्रग्स (drugs) मंडली में मुख्य किरदार में हो, तो इसे क्या कहा जाए। 

मनोरंजन (entertainment) की वह दुनिया जिसे हर कोई अपनी-अपनी तरह से पसंद करता है, यदि उसे यह बताया जाए कि जिस कलाकार को आप दिलोंजान से पसंद करते हैं, वह चरस, गांजा और कोकीन लेते हैं। अभी तो सिर्फ तीन बड़ी अभिनेत्रियों के ही ड्रग्स के बारे में पूछताछ हुई है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिया मिर्जा (dia mirza), नम्रता शिरोड़कर (namrata shirodkar) को भी एनसीबी (NCB) दफ्तर में अधिकरियों के सवालों का सामना करना पड़ेगा, हो सकता है कि दीपिका की तरह दिर्या मिर्जा और नम्रता शिरोड़कर की आखों से आंसू छलक पड़ें। यह बेहद शर्म की बात है कि भारतीय फिल्म जगत में चर्चित अभिनेत्रियों की सूची में पहला स्थान रखने वाली अभिनेत्री दीपिका पादुकोण अपनी मैनेजर से यह कहती है कि माल है क्या, अपनी मैनेजर से ड्रग्स को माल संबोधित करना और उसी दौरान कहना कि हैश चाहिए, गांजा (Weet) नहीं। एक ऐसी अभिनेत्री जिसे भारतीय दर्शक एक आदर्श अभिनेत्री के रूप में देखते हैं, जिसमें उन्हें आदिशक्ति माता जगदंबा का रूप दिखायी देता है, वह अगर हशीश (hashish) की मांग करें तो वह कितना लज्जास्पद लगता है।

कलाकार की जिम्मेदारी सिर्फ किरदार निभाने तक ही नहीं होती, बल्कि उसकी जिम्मेदारी उस किरदार को वास्तविक जीवन जीने में भी होती है। दीपिका पादुकोण के साथ-साथ सारा अली खान (sara ali khan), श्रद्धा कपूर (shraddha kapoor), रकुलप्रीत सिंह (rakul preet singh) इस सभी तारिकाओं नेस भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (narcotics control bureau) की ओर से पूछताछ की गई। दीपिका पादुकोण से साढ़े सात, श्रद्धा कपूर से साढ़े छह तथा सारा अली खान से साढे छह घंटे की कड़ी पूछताछ में तीनों अभिनेत्रियों ने यह स्वीकार नहीं किया कि उन्होंने कभी ड्रग्स नहीं ली है। एनसीबी मुख्यालय में पूछताछ के लिए एकदम साधारण सी पोशाक तथा साधारण कार के पहुंचने वाली तीनों अभिनेत्रियों ने अपनी सफाई पेश करते हुए खुद को बचाने की पूरी कोशिश की। दीपिका पादुकोण पूछताछ के दौरान तीन बार रो पड़ी। इस पर एनसीबी के अधिकारियों ने कहा कि यहां इमोशनल ड्रामा मत कीजिए। पूछताछ के दौरान दीपिका जितनी बार रोई, उससे कहीं ज्यादा उन्होंने सारे सवालों के गोल मटोल जवाब दिए।

मायानगरी के इस महाभारत में ड्रग्स रूपी कौरव सेना के कुछ ही चेहरे अभी सामने आए हैं पिक्चर तो अभी बाकी है, अभी सिर्फ क्लाईमेक्स (climax) ही दिखाया गया है। अश्लीलता के नंगे नाच के बीच नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले कतिपय फिल्मी सितारों ने पूरी मायानगरी के दामन पर ऐसा दाग लगाया है कि फिल्म नगरी उन सितारों को उलाहना देते हुए पूछ रही है कि लागा दामन पर दाग पर छुड़ाऊं कैसे? मायानगरी के मायाभारत की ड्रग्स लेने इस कौरव सेना के सभी चेहरों को सामने लाने से पहले यौन शोषण करने वाले अनुराग कश्यप (anurag kashyap) जैसे न जाने कितने चेहरों पर बदनामी के दाग लगते रहेंगे।  

अनुराग कश्यप पर लगा आरोप कितना सही है, या गलत, यह तो आने वाले समय में तय होगा, लेकिन इतना तो निश्चित है कि मायानगरी के इस महाभारत में न तो कोई कृष्ण की तरह महानायक के रूप में सामने आया और न ही किसी के मायानगरी पर लेंगे ड्रग्स रूपी बदनामी के दाग को सदा-सदा के लिए खत्म करने का आश्वासन दिया। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (sushant singh rajput) की रहस्यमयी मौत की इतनी सघन जांच नहीं होती तो शायद ही मायानगरी की नशीली दुनिया का वह सच सामने आ पाता, जो अभी सामने आया है। मायानगरी की महाभारत में ड्रग्स रूपी लंकानगरी के कुछ कौरव सदस्य ही अभी सामने आए हैं, आने वाले समय में इस नगरी के बहुत से सदस्य सामने आएंगे, इसलिए इतंजार करते हुए इतना जरूर कहा जा सकता है  कि ड्रग्स नगरी के कौरव सदस्यों में से जिनने पूछताछ हुई है या जिनसे निकट भविष्य में पूछताछ होगी, उन सभी को फिल्मों में काम न दिया जाए।

अकेले मुंबई में हर दिन 500 किलो ड्रग्स की खपत होने की जानकारी मिली है। हेरोइन नामक ड्रग्स की एक किलो की कीमत सात करोड़ रूपए है। इसका सीधा अर्थ यह है कि मुंबई में हर दिन करोड़ों रूपए की ड्रग्स आती है और यह मायानगरी के उन सितारों के घर बड़े शौक से सेवन की जाती है, जिन्हें हम अपना आदर्श मानते हैं। ड्रग्स मंडली में शामिल सभी सुर सुदंरों तथा सुरासुंदरियों को काली सूची में डाल दिया जाए। यहां केंद्रीय मंत्री और RPI के अध्यक्ष रामदास आठवले (ramdas athawale) के उस बयान का जिक्र करना जरूरी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन-जिन पर ड्रग्स लेने का दाग लगा है, उनको काम न दिया जाए, जो लोग खुद को छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना सब कुछ मानते हैं, उनकी मायानगरी के इस महाभारत पर ऐसी खामोशी हैरान- परेशान करती है। 

अगर सरकार इसी तरह हाथ पर हाथ धरे बैठी रही तो पूरी की पूरी मायानगरी नशीली हो जाएगी, मायानगरी को जो लोग ड्रक्सनगरी बनाने पर आमादा है, उन्हें अब सबक सीखना जरूरी है, लेकिन मायानगरी का ड्रग्स रूपी महाभारत तभी समाप्त होगा, जब सभी लोग मिलकर इसे जड़ से समाप्त करने का संकल्प लेंगे। सच तो यह है कि सरकार, पुलिस, कलाकार, समाज और दर्शक ये पांच पांडव मिलकर जब तक मायानगरी के इस महाभारत के सभी कौरवों का अंत नहीं करेंगे, तब तक महानगरी की यह अंतहीन महाभारत जारी रहेगी।                

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