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बीमा कंपनी क्लेम से हुई परेशान, कोविड पॉलिसी की बंद

बीमा कंपनियों को दावों के लिए प्राप्त कुल प्रीमियम से 150 प्रतिशत अधिक भुगतान करना होगा। इसलिए ये कंपनियां डरी हुई हैं। बीमा कंपनियां कम मुनाफा और ज्यादा क्लेम देख रही हैं।

बीमा कंपनी क्लेम से हुई परेशान, कोविड पॉलिसी की बंद
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पिछले साल से शुरू हुए कोरोना महामारी (Corona pandemic) के बाद, कई बीमा कंपनियों (insurance company) ने अवसर को देखते हुए एक विशेष कोविड मेडिक्लेम पॉलिसी (special covid mediclaim policy) शुरू की। हालांकि, कंपनियों को साल भर अंदर ही कोरोना पॉलिसी (covid policy) को बंद करना पड़ा। ऐसा इसलिए है क्योंकि बीमा कंपनियों को दावों के लिए प्राप्त कुल प्रीमियम से 150 प्रतिशत अधिक भुगतान करना होगा।  इसलिए ये कंपनियां डरी हुई हैं। बीमा कंपनियां कम मुनाफा और ज्यादा क्लेम देख रही हैं।

कोरोना की दूसरी लहर से मरने वालों की संख्या काफी बढ़ी है। नतीजतन, बीमा कंपनियों के कोविड पॉलिसी के दावे भी काफी बढ़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि, केवल 25 प्रतिशत नए पॉलिसीधारकों ने मेडिक्लेम के दावे किए हैं। हालांकि, इन दावों की रकम कंपनी को मिले कुल प्रीमियम से 150 फीसदी ज्यादा है, नतीजतन बीमा कंपनियों के पैरों तले जमीन खिसक गई है।

कंपनियों ने ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें इन नीतियों से भारी नुकसान होगा। इसलिए कंपनियों ने इन नीतियों का नवीनीकरण बंद कर दिया है। अधिकांश बीमा कंपनियों ने विशेष कोविड मेडिक्लेम पॉलिसियों को ही बंद कर दिया हैं।

कंपनियों की यह भूमिका अब उन लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है जो नई पॉलिसी लिए हैं और पुरानी का नवीनीकरण कराया हैं। कंपनियों ने अब सामान्य प्रीमियम भी बढ़ा दिया है। जिसके बाद से बीमा पॉलिसी निर्माताओं को परेशानी हो रही है।

कंपनियों ने पिछले साल मार्च में कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद कोरोना मरीजों पर होने वाले इलाज के खर्च के लिए कोरोना कवच मेडिक्लेम पॉलिसी पेश की थी। जिसके तहत 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये प्रतिमाह प्रीमियम देकर सुरक्षा दी जा रही थी। इन पॉलिसियों की अवधि साढ़े तीन से नौ महीने की होती है। इस पॉलिसी के तहत 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता था।

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