आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ने क्रेडिट पॉलिसी की दरों में बदलाव की घोषणा करते हुए रेपो रेट 0.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। तो वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 0.25 फीसदी से बढ़कर 6.25 फीसदी हो गया है। ये फैसला रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने 3 दिन तक चलने वाली बैठक में किया है।
क्या होता है रेपो रेट?
आपको बता दें कि रेपो रेट वो रेट होता है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जबकि रिवर्स रेपो रेट में बैंक अपने पैसे को आरबीआई के पास जमा करती है और आरबीआई उस पर ब्याज देता है.
क्या होगा इससे?
जब बैंकों को आरबीआई से ही महंगा उधार मिलता है तो बैंक भी इसकी पूर्ति करने के लिए ग्राहकों के ऊपर बोझ डालते हैं.
रेपो रेट बढ़ने से होम लोन, ऑटो लोन के साथ साथ पर्सनल लोन की क़िस्त (EMI) महंगी हो जाती है। यही नहीं इसका असर आम लोगों के साथ-साथ कॉर्पोरेट्स सेक्टर पर भी पड़ता है। बैंक अपना लोन महंगा कर देते हैं इससे लोगों के होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की EMI बढ़ जाएगी और कारोबारियों के लिए भी लोन महंगा हो जाएगा।
रिजर्व बैंक के इस एलान के बाद शेयर बाजार में भी गिरावट देखि गई। सेंसेक्स 50 अंक से अधिक गिर गया। आरबीआई ने वित्तवर्ष 2019 के लिए जीडीपी 7.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।