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Corona effect: कच्चे तेल की कीमत शून्य डॉलर से भी नीचे

मंगलवार को अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें शून्य डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गईं। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिकी कच्चा तेल इतनी कम पहुंच गया है।

Corona effect: कच्चे तेल की कीमत शून्य डॉलर से भी नीचे
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कई देशों में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए वहाँ की सरकार द्वारा लॉकडाउन घोषित किया गया है। इसकी वजह से दुनिया भर में व्यापार ठप्प हो गया है, सड़कें खाली हैं, कारखाने बंद हो गए हैं। परिणामस्वरूप ईंधन की मांग में तेजी से गिरावट आई है। जिसका असर यह हुआ कि, पिछले कुछ दिनों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में भी भारी गिरावट आ गयी है।  मंगलवार को अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें शून्य डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गईं।  इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिकी कच्चा तेल इतनी कम पहुंच गया है।

मंगलवार को अमेरिकी क्रूड 37.63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया। दुनिया भर के बाजार कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से त्रस्त हैं। तेल की मांग कम होने के बावजूद तेल की आपूर्ति बढ़ रही है। मांग की तुलना में आपूर्ति आधिक होने के कारण अमेरिकी कच्चे तेल की वायदा दर मंगलवार को प्रति बैरल शून्य डॉलर पर आ गयी।

ऐसा इतिहास में पहली बार है कि कच्चे तेल की कीमतें शून्य से नीचे गिर गई हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस सहित खाड़ी में पेट्रोलियम उत्पादक देश तेल की कीमतों में अचानक गिरावट से चिंतित हैं। इससे पहले 1946 में, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कच्चे तेल की कीमतो में इतनी गिरावट देखी गईं थी। पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) इस बारे में जानकारी मांगेगा कि तेल की कीमतें शून्य से नीचे कैसे गिर गईं। अमेरिकी बाजार खनिज तेल की बड़ा आपूर्ति बजार है।  इसलिए, तेल के भंडारण की चुनौती सामने है।

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