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हबीब ने बाढ़ से लड़कर जीती जिंदगी की जंग!


हबीब ने बाढ़ से लड़कर जीती जिंदगी की जंग!
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26 जुलाई 2005 की वह काली तारीख लोगों से भुलाए नहीं भूलती। 24 घंटे तक हुई 944 मिमी. बारिश ने मुंबई को जलमग्न कर दिया था। मुंबईरों ने इससे पहले इतनी अधिक बारिश कबी नहीं देखी थी। यह बाढ़ 1094 लोगों को निगल गई थी।

इस हादसे में जहां कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, तो वहीं कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने बाढ़ का सामना किया और खुद की जान बचाने में कामयाबी हासिल की। उन्हे एक वक्त के लिए ऐसा भी लगा था कि 26 जुलाई उनकी लाईफ की आखिरी तारीख होगी पर, उन्हें जिंदगी जीने का एक और मौका मिला।

22 वर्षीय हबीब मीठीबोरवाला उस समय स्टार वन पर प्रसारित होने वाले 'रीमिक्स' सीरियल के काफी लोकप्रिय चेहरा थे। वे इस सीरियल में नकुल का किरदार निभा रहे थे। 26 जुलाई की बाढ़ उनका करियर खत्म करने आई थी, पर वे अपनी कहानी बताने के लिए जिंदा बच गए।

इस त्रासदी को आज 12 साल हो गए हैं, पर हबीब के जख्म अभी तक भरे नहीं है, वो काली रात उन्हें आज भी डरा देती है। वे बताते हैं, शाम के 4 बजे थे और मैं रोज़ सिनेमा ऑफिस से अपने टीडीएस प्रमाणपत्र को इकट्ठा करने के बाद घर लौट रहा था। मैं अपनी कार में था और जुहू सर्कल पहुंचा था। मैंने देखा कि बारिश पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थी। और मेरी कार के अंदर पानी भरने लगा, फिर भी मुझे लगा मैं निकल जाऊंगा। मैंने अपने पिता को फोन करके कहा कि वे चिंता ना करें मैं जल्द घर पहुंच जाऊंगा। उसके बाद मैंने एसी ऑन किया साथ ही म्यूजिक चालू करके पैरों को ऊपर उठा लिया। तब तक मैं ठीक था। उसके बाद क्या हुआ, मुझे कुछ याद नहीं था। जाहिर है, मैं बेहोश हो गया था और पैरालाइज हो गया था। बाद में, मुझे पता चला कि एसी गैस लीक हो गई थी जिससे मैं बेहोश हुआ। जब मुझे अस्पताल ले जाया गया था, मुझे याद है कि डॉक्टर्स ने मुझे मृत घोषित कर दिया था, लेकिन सौभाग्य से उन्हें एहसास हुआ कि मैं अभी भी जीवित हूं। मुझे लाइफ सपोर्ट में रखा गया था। डॉक्टर्स ने परिवार वालों से कहा था हबीब के पैर काटने पड़ेगे। पर ईश्वर का शुक्रिया ऐसा नहीं हुआ। और आज में सामान्य जीवन जी रहा हूं।

हबीब का अपने होमटाउन गोधरा (गुजरात) और फिर मुंबई में चार साल तक फिजियोथेरेपी द्वारा इलाज चला। हबीब ने बताया कि इस दौरान सभी ने सोच लिया था कि मैं फिर से कभी नहीं चल पाऊंगा। लेकिन अब मैं चल सकता हूं, छलांग लगा सकता हूं और तैर भी सकता हूं।

हबीब का अल्लाह पर खास भरोसा है, उनका मानना है कि वह किसी खास कारण से अल्लाह द्वारा बचाए गए हैं। हबीब को बीएमसी से नाराजगी भी हैं उनका कहना है कि बीएमसी आम आदमी से जुड़े मुद्दो पर लापरवाह है।

हबीब का कहना है कि हमारी बीएमसी बाढ़ से लड़ने के लिए पूरी तरह से सक्षम नहीं थी। अगर पानी को निकालने के लिए पंपिंग व्यवस्था ठीक होती तो इतनी बड़ी त्रासदी ना होती। उन्होंने आगे कहा कि इस बाढ़ के लिए हम भी जिम्मेदार हैं। हमने प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग करके जगह जगह फेंका का था, जिसने गटर को जाम किया।

हबीब कहते हैं, रिकवर होने के बाद मैंने अपनी कहानी कुछ स्कूलों में जाकर सुनाई। इसके पीछे का मकसद था लोग अपनी जिंदगी के महत्व समझ सकें। मेरी एक दोस्त आत्महत्या करने के लिए सोच रही थी पर मेरी कहानी सुनकर उसे जिंदगी का मोल समझा और आज वह खुश है।


BRIMSTOWAD परियोजना खा रही धूल

2005 की बाढ़ से पहले, मुंबई को 1985 में भी बाढ़ का सामना करना पड़ा था। इसके बाद, बीएमसी ने बृहन्मुंबई स्टॉर्मवॉटर ड्रेनेज (BRIMSTOWAD) को पेश करने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें शामिल हैं: -

I) नालियों के प्रतिस्थापन

Ii) वरली, हाजी अली और क्लीवलैंड बंदर में पम्पिंग स्टेशन स्थापित करना,

पर 2005 तक ऐसा कुछ भी नहीं हो सका था। बीएमसी ने इसका बहाना दिया था कि उसके पास पैसे नहीं है  । बीएमसी ने 100 वर्ष पुरानी जल निकासी प्रणाली को बेहतर बनाने और नए पम्पिंग स्टेशन बनाने के लिए, BRIMSTOWAD परियोजना शुरू की थी। देरी के कारण परियोजना की लागत 600 करोड़ रुपये से बढ़कर 1200 करोड़ रुपये हो गई। पर यह परियोजना अभी भी अधूरी है।

समय रहते लोगों को चाहिए कि वे खुद को जागरुक कर लें। नाला,  समुद्र या सड़कों पर प्लास्टिक की थैलियों को फेंकने से बचें। प्लास्टिक की वजह से न केवल मनुष्य को बल्कि जानवरों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। प्लास्टिक की थैलियां खाने से बड़ी संख्या में जानवरों की मौत हो रही हैं। साथ ही इससे वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। अगर हम चाहते हैं कि 26 जुलाई जैसी त्रासदी हमारे सामने दोबारा ना आए तो हमें प्लास्टिक के उपयोग से बचना होगा।

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