इंसानों के लिए बीएमसी भले ही संवदेनशील न हो लेकिन जानवरों के प्रति बीएमसी का विशेष लगाव है। आपको बता दें कि मुंबई में स्थित 11 हिंदू श्मशानभूमि में सीएनजी गैस से लाशों को अंतिम संस्कार करने की बीएमसी की योजना पिछले तीन सालों से अधर में लटकी हुई है, लेकिन कुत्तों और बिल्लियों सहित तमाम पालतू जानवरों के लिए के लिए सीएनजी पर आधारित श्मशान भमि बनाने की घोषणा बीएमसी ने किया है।
मुंबई में जानवरों के लिए एक भी श्मशान भूमि नहीं
मुंबई जैसे शहर में जानवरों के लिए लोग आगे बढ़ कर कार्य करते हैं, कई संगठन भी जानवरों के हित के लिए काम करते हैं। साथ ही मुंबई के लाखों घरों में भी पालतू जानवर मिल भी जाएंगे। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि मुंबई में अभी भी जानवरों के लिए कोई श्मशानभूमि नहीं है। एनजीओ द्वारा संचालित दो श्मशान भूमि एक बोरीवली में और एक परेल इलाके में है, जहां जानवरों का अंतिम संस्कार किया जाता है। यहां वहीं लोग आते हैं जो इन इलाकों के आसपास होते हैं, नहीं तो अमूमन लोग मृत जानवरों को या तो खुले में फेंक देते हैं या तो जमीन में दफना देते थे।
देवनार पशुवधगृह के महाव्यवस्थापक डॉ. योगेश शेट्ये ने बताया कि तमाम शिकायतों के मिलने के बाद बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता ने मुंबई के तीन जगहों पर श्मशानभूमि बनाने की मंजूरी दी है। यह तीन स्थान है महालक्ष्मी, देवनार और मालाड। यह श्मशान भूमि 'पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप' (PPP) के तहत बनाये जाएंगे। यह श्मशान भूमि इकोफ्रेंडली होंगे यानी 'सीएनजी' पर आधारित होंगे। उन्होंने आगे बताया कि इन श्मशानभूमि के निर्माण में लगभग 2 करोड़ रूपये का खर्च आएगा।
बीएमसी ने यह निर्णय लकड़ियों को जलाने से होने वाले प्रदुषण को रोकने के लिए लिया है। इस योजना के शुरू होने से प्रदुषण में कमी आएगी। इसी को देखते हुए तीन साल पहले 11 हिंदू श्मशान भूमि को भी सीएनजी पर आधारित करने की योजना लाई गयी थी, जिनमे से 7 में काम चालू है और 4 में अभी होना बाकी है, लेकिन तीन साल होने के बाद भी यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी।