हाईवे पर स्थित शराब की दुकानों को बचाने के लिए क्या महाराष्ट्र सरकार शराब व्यवसाइयों की मदद कर रही है। ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि मुंबई में स्थित पश्चिम और पूर्वी हाईवे पर से पीडब्लूडी के अधिकार को समाप्त कर उसे अब एमएमआरडीए को सौंप दिया गया है, अर्थात राज्य सरकार इन हाईवे को अब स्टेट हाइवे की जगह शहरी सड़क में घोषित (हाईवे को डिनोटिफाई करना) कर दिया है।
हालांकि सरकार के ऊपर कोई उंगली न उठे इसके लिए हाईवे की दुर्दशा और गड्ढों के दुरुस्तीकरण के लिए एमएमआरडीए को सौंपे जाने की बात कही गयी है। लेकन सूत्रों की माने तो शराब राज्य सरकार के ऊपर लिकर लॉबी का दाबाव था।साथ ही सरकार द्वारा हाईवे को डिनोटिफाई करने की समय पर भी सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने कोर्ट के फैसले की आने के बाद ही यह कदम क्यों उठाया?
आपको बता दें कि कोर्ट के फैसले से बचने के लिए कई राज्य सरकारों ने स्टेट हाईवे को शहरी सड़क घोषित करना (हाईवे को डिनोटिफाई करना) शुरू कर दिया है। दरअसल जब से हाईवे पर शराब की दुकानों के बंद होने का सिलसिला शुरू हुआ है तब से ज्यादातर दुकाने शहर के बीचो बीच रिहायशी इलाको में शिफ्ट होनी शुरू हो गयी हैं। देश के कई हिस्सो में इस बात को लेकर लगातार प्रदर्शन भी हो रहे हैं।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर?
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल से नेशनल और स्टेट हाईवे के किनारे शराब बिक्री पर रोक लगा दी है और इस पर होटल-रेस्तरां में बिकने वाली शराब पर भी रोक लगा दी है। नेशनल हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों पर रोक का फैसला 1 अप्रैल से लागू हो गया है।
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क्यों लिया गया ये फैसला?
राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों (हाइवे) पर लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के पीछे शराब की दुकानों को जिम्मेदार माना जाता रहा है जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। इसके तहत नेशनल और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे के बाहर ही शराब की दुकानों को खोला जा सकेगा।