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जोगेश्वरी भूखंड घोटाला के जिम्मेदार BMC अधिकारी की पेंशन में की जाएगी 10 फीसदी की कटौती

चौधरी को उक्त घोटाले का दोषी पाया गया था। इस प्रकार, स्थायी समिति के समक्ष पेश हुए प्रस्ताव में उनकी पेंशन में 10% यानी 5 साल के लिए कटौती का निर्णय लिया गया है।

जोगेश्वरी भूखंड घोटाला के जिम्मेदार BMC अधिकारी की पेंशन में की जाएगी 10 फीसदी की कटौती
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साल 2018 में सामने आए जोगेश्वरी प्लॉट घोटाले (jogeshwari plot scam) मामले में बीएमसी (bmc) ने तत्कालीन डीपी (डेवलपमेंट प्लान) के उपमुख्य अभियंता भास्कर चौधरी (bhaskar choudhry) की पेंशन मेंं से 10% कटौती का निर्णय किया है। चौधरी सेवा निवृत हो रहे हैं। चौधरी को उक्त घोटाले का दोषी पाया गया था। इस प्रकार, स्थायी समिति के समक्ष पेश हुए प्रस्ताव में उनकी पेंशन में 10% यानी 5 साल के लिए कटौती का निर्णय लिया गया है।

जोगेश्वरी में 14000 वर्गमीटर प्लॉट की कीमत लगभग 500 करोड़ रुपये का है और कई वर्षों से यह विवाद में रहा है। साल 2018 में, तत्कालीन bmc अधिकारी प्रमुख द्वारा अनियमितित बरते जाने के बाद यह मामला सामने आया। जिसके बाद इसे लेकर मामला दर्ज किया गया था। यही नहीं इस मामले में विकास योजना और कानूनी विभागों के 4 अन्य अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया और 14 अन्य को जांच का सामना करना पड़ा था।

क्या था मामला?

मामले के मुताबिक, बीएमसी ने पिछले डीपी में जोगेश्वरी में इस प्लाट को अस्पताल और मनोरंजन मैदान के लिए आरक्षित किया था। लेकिन बीएमसी (bmc) ने अपनी ओर से इसे कब्जे में करने की कोशिश नहीं की। इस बीच, इसके कथित मालिक बिल्डर ज्ञानप्रकाश शुक्ला (gyan prakash shukla) ने इसे साल 2014 खरीदने का नोटिस बीएमसी को भेजा। नोटिस में तकनीकी गलती होने से मामला काफी लंबा साल 2016 तक खींच गया, साथ ही bmc द्वारा इस मामले में उचित प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। समय बीतने के बाद बीएमसी को भूखंड की याद आई और फिर प्रशासन ने इसे अधिग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू की। इस बीच, शुक्ला इस मामले को उच्च न्यायालय में ले गए। जहां बीएमसी को कानूनी आधार पर हार का मुंह देखना पड़ा।

कमिश्नर के आदेश से छेड़छाड़

NBT की रिपोर्ट के अनुसार, बीएमसी की हार को सर्वोच्च न्यायालय में फिर चुनौती देने के कमिश्नर के आदेश में शब्दों के कथित छेड़छाड़ का मुद्दा भी सामने आया। कथित छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई। इस बीच, संबंधित बीएमसी स्टाफ की ट्रेन में मौत हो गई। काफी समय गंवाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में केस दायर किया गया, जहां समय पर बीएमसी की ओर से वकील ही नहीं पहुंचे, जिसके बाद वहां से भी बीएमसी को मुंह की खानी पड़ी। अब, प्रशासन इस पर फिर याचिका दायर करने का दावा कर रहा है। भूखंड के मूल मालिक को लेकर भी भ्रम की स्थिति कायम है।

इस घोटाले के कुल 23 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। भास्कर चौधरी को इसका जिम्मेदार मानते हुए bmc ने उसके पेंशन में से 10% यानी 5 साल के लिए कटौती करने का निर्णय किया है।

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