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अरे बापरे ! एक गड्ढे को भरने के लिए औसतन 2 लाख 3 हजार 966 रूपये खर्च किये गए!


अरे बापरे ! एक गड्ढे को भरने के लिए औसतन 2 लाख 3 हजार 966 रूपये खर्च किये गए!
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बीएमसी का दावा है कि वह मुंबईकरों को सड़कों पर परेशानी से मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. लेकिन जमीनी स्तर पर पिछले साल की तुलना में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है. हालांकि बीएमसी का दावा है कि वो मुंबई सड़कों पर पड़े गड्ढो को लगभग 90 प्रतिशत भरा जा चूका है. बीएमसी के दावों के मुताबिक 10 जून से 1 अगस्त 2019 तक 2648 गड्ढो में से 2334 को भरा जा चूका है वहीँ सिर्फ 414 गड्ढे को भरना बाकी है. मगर बीएमसी की दावों की पोल एक आरटीआय से खुल गई है।

आरटीआय कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने मुंबई महानगरपालिका से 2014 से अबतक मुंबई की सडको पर पड़े गड्ढो के सन्दर्भ में जानकारी मांगी थी इस सन्दर्भ में सहाय्यक अभियंता तथा सुचना अधिकारी श्री. . . जुन्नरकर ने शकील अहमद शेख को  सुचना उपलब्ध कराई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार में 2013 से 31 जुलाई 2019 तक मुंबई की सडको पर गड्ढो की कुल 24146 ऑनलाईन शिकायतें प्राप्त हुई है. तथा कुल 23388 गड्ढों को भरा जा चूका हैमगर जैसा की बीएमसी ने दावा है कि, 10 जून से 1 अगस्त 2019 तक 2648 गड्ढो में से 2334 को भरा जा चूका है वहीँ सिर्फ 414 गड्ढे को भरना बाकी है. मगर आरटीआय से प्राप्त सुचना के अनुसार 1 अप्रैल 2019 से 31 जुलाई 2019 तक गड्ढों के सन्दर्भ में कुल 2661 शिकायते ऑनलाईन प्राप्त हुई है. जिसमे से 2462 गड्ढों को भरा जा चूका है. और महज 199 गड्ढें भरने बाकी है.


वर्षानुसार प्राप्त ऑनलाईन शिकायतें एवं करवाई

अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 तक कुल 2300 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 2268 गड्ढों को भरा गया, महज 32 गड्ढे भरने बाकी.

अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक कुल 2093 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 2098 गड्ढों को भरा गया, यहाँ पर चौकाने वाली बात यह है कि, प्राप्त शिकायतों से 5 गड्ढे ज्यादा भरे गए.

अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक कुल 1593 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 1583 गड्ढों को भरा गया, महज 15 गड्ढे भरने बाकी.

अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक कुल 6544 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 6098 गड्ढों को भरा गया, महज 446 गड्ढे भरने बाकी.

अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक कुल 4045 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 3981 गड्ढों को भरा गया, महज 64 गड्ढे भरने बाकी.

अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक कुल 4910 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 4898 गड्ढों को भरा गया, महज 12 गड्ढे भरने बाकी.

अप्रैल 2019 से 31 जुलाई 2019 तक कुल 2661 गड्ढों की शिकायतें प्राप्त हुई एवं 2462 गड्ढों को भरा गया, महज 199 गड्ढे भरने बाकी.

गौरतलब है कि, मुंबई की सड़कों पर पड़े गड्ढों को भरने के लिए 2013 से 2019 तक कुल 175 करोड़ 51 लाख 86 हजार अनुमानित बजट था एवं कुल गड्ढे भरने के लिए अब तक कुल 113 करोड़ 84 लाख 77000 हजार रूपये खर्च किये गए है.

वर्षानुसार अनुमानित बजट एवं खर्च

अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 अनुमानित बजट 50 करोड़, खर्च 46 करोड़ 25 लाख 97 हजार

अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 अनुमानित बजट 39 करोड़ 24 लाख, 26 हजार, खर्च 34 करोड़ 16 लाख 92 हजार

अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 अनुमानित बजट 35 करोड़, खर्च 10 करोड़ 61 लाख 27 हजार

अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 अनुमानित बजट 9 करोड़ 5 लाख, 86 हजार, खर्च 6 करोड़ 94 लाख 97 हजार

अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 अनुमानित बजट 10 करोड़ 50 लाख, खर्च 7 करोड़ 73 लाख 22 हजार

अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 अनुमानित बजट 11 करोड़ 70 लाख, खर्च 7 करोड़ 98 लाख 7 हजार

अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 अनुमानित बजट 40 करोड़ खर्च अबतक 14 लाख 35 हजार

किस वर्ष कितने रपये खर्च हुए एक गड्ढा भरने के लिए

वर्ष 2013-2014 में 2268 गड्ढे भरने के लिए 46 करोड़ 25 लाख 97 हजार रूपये खर्च किये गए है. इस हिसाब से एक गड्ढा को भरने के लिए औसतन 2 लाख 3 हजार 966 रूपये खर्च हुए है.

वर्ष 2014-2015 में 2098 गड्ढे भरने के लिए 34 करोड़ 16 लाख 92 हजार रूपये खर्च किये गए है. इस हिसाब से एक गड्ढा को भरने के लिए औसतन 1 लाख 67 हजार 632 रूपये खर्च हुए है.

वर्ष 2015-2016 में 1583 गड्ढे भरने के लिए 10 करोड़ 61 लाख 27 हजार रूपये खर्च किये गए है. इस हिसाब से एक गड्ढा को भरने के लिए औसतन 67 हजार 41 रूपये खर्च हुए है.

वर्ष 2016-2017 में 6098 गड्ढे भरने के लिए 6 करोड़ 94 लाख 97 हजार रूपये खर्च किये गए है. इस हिसाब से एक गड्ढा को भरने के लिए औसतन 11 हजार 396 रूपये खर्च हुए है.

वर्ष 2017-2018 में 3981 गड्ढे भरने के लिए 7 करोड़ 73 लाख 22 रूपये खर्च किये गए है. इस हिसाब से एक गड्ढा को भरने के लिए औसतन 19 हजार 417 रूपये खर्च हुए है.

वर्ष 2018-2019 में 4898 गड्ढे भरने के लिए 7 करोड़ 98 लाख 7 रूपये खर्च किये गए है. इस हिसाब से एक गड्ढा को भरने के लिए औसतन 16 हजार 292 रूपये खर्च हुए है.



आरटीआय कार्यकर्त्ता शकील अहमद शेख के मुताबिक गड्ढो को भरने में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार होता हैहर साल गड्ढे भरने के लिए करोडों रूपये खर्च किये जाते है. मगर गड्ढे जस के तस रहते है।जिसके कारण गड्ढों में गिरने से कई लोगों की मौत हो जाती हैएक तरफ मुंबई महानगरपालिका शतप्रतिशत गड्ढे भरने का दावा तो करता हैमगर सडको पर गड्ढे है या फिर गड्ढे में सड़क, कहना बहुत ही मुश्किल हैबीएमसी सिर्फ शिकायत किये गड्ढों को भरती हैजबकि बीएमसी के अधिकारीयों की जिम्मेदारी है कि, प्रतिदिन उनके प्रभाग में स्वयं निरिक्षण करे और गड्ढो को समय रहते भरते रहेंशकील अहमद शेख ने मनपा आयुक्त प्रवीण परदेशी से मांग की है कि, पारदर्शिता लाने के लिए गड्ढे भरने की एवं खर्च की जानकारी मनपा के संकेतस्थल पर प्रतिदिन अपडेट करवाएं, जिससे लोगों को सही जानकारी प्राप्त हो सके

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