Advertisement

बॉम्‍बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, नौकरशाहों और न्यायिक अधिकारियों को नहीं मिले अतिरिक्त घर!

खंडपीठ के न्यायाधीश बी.आर. गवई ने यह राय पूर्व पत्रकार और ऐक्टिविस्ट केतन तिरोडकर द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दी।

बॉम्‍बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, नौकरशाहों और न्यायिक अधिकारियों को नहीं मिले अतिरिक्त घर!
SHARES

बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सूनाते हुए कहा है की जिन नौकरशाहों और न्यायिक अधिकारियों के पास महाराष्ट्र में कम से कम एक प्रॉपर्टी है, उसे किसी भी सरकारी योजना में एक और घर आबंटित नहीं किया जाना चाहिए। न्यायाधीश बी.आर. गवई ने यह राय पूर्व पत्रकार और ऐक्टिविस्ट केतन तिरोडकर द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दी।


केतन तिरोडकर ने दी थी याचिका

दरअसल केतन तिरोडकर ने अपनी याचिका में कहा था की मौजूदा जजों के अलावा, सरकार उन जजों को भी ‌फ्लैट आबंटित कर रही है, जो मुंबई उच्च न्यायालय से रिटायर हो चुके हैं या जो पहले महाराष्ट्र में ही कार्यरत थे, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय में चले गए हैं। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा की 'हम मानते हैं कि यदि किसी जज या वरिष्ठ नौकरशाह के पास मुंबई में या पूरे महाराष्ट्र में कहीं भी घर है, तो उसे किसी भी सरकारी योजना में दूसरा घर नहीं लेना चाहिए। इसकी क्या जरुरत है?' इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है की वह इस बात पर विचार करे।


यह भी पढ़े- आयडल परीक्षा के पहले ही पेपर में लेटमार्क

तिरुडकर की याचिका के मुताबिक, अगस्त 2015 में सरकार ने न्यायाधीशों के प्रस्तावित सहकारी आवास समाज द्वारा इस संबंध में किए गए अनुरोध के बाद ओशिवारा में 32,300 वर्ग फीट सार्वजनिक साजिश पर सेवारत न्यायाधीशों के लिए एक आवास योजना मंजूर की थी। हालांकि निर्माण अभी तक नहीं किया जा रहा है, सरकार ने न्यायिक अधिकारियों को स्वामित्व के आधार पर 84 घरों में से प्रत्येक 1,076 वर्ग फुट की पेशकश की है। हालांकि सरकार ने अभी तक 39 न्यायाधीशों की सदस्यता मंजूर कर दी है, फिर भी दो सेवारत न्यायाधीशों ने अपने दावे को आत्मसमर्पण कर दिया है

Read this story in मराठी or English
संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें